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वर्ल्ड नर्सिंग डे: चंडीगढ़ PGI के कोविड वार्ड में दिन-रात अपना फर्ज निभा रही हैं नर्स - चंडीगढ़ पीजीआई कोविड 19 वार्ड नर्स

वर्ल्ड नर्सिंग डे के मौके पर ईटीवी भारत की टीम चंडीगढ़ पीजीआई पहुंची और उन नर्सिस से खास बातचीत की जो इस मुश्किल वक्त में कोविड 19 वार्ड में ड्यूटी कर रही हैं.

world nursing day special
चंडीगढ़ PGI के कोविड वार्ड में दिन-रात अपना फर्ज निभा रही हैं नर्स
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Published : May 12, 2020, 7:46 PM IST

चंडीगढ़: कोरोना महामारी काल बनकर लोगों पर कहर बरपा रही है. जहां डॉक्टर्स सबसे आगे होकर कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे हैं तो वहीं डॉक्टर्स का दाहिना हाथ बनकर उनकी मदद नर्स कर रही हैं. इस दौर में भी नर्स अपनी और अपने परिवार की चिंता छोड़कर मरीजों की जान बचाने में जुटी हैं. वर्ल्ड नर्सिंग डे पर ऐसी नर्सों को ईटीवी भारत सलाम करता है जो कोरोना के इस दौरान में डॉक्टर्स के कदम से कदम मिलाकर कोरोना से जंग लड़ रही हैं.

वर्ल्ड नर्सिंग डे के मौके पर ईटीवी भारत की टीम चंडीगढ़ पीजीआई पहुंची और उन नर्सिस से खास बातचीत की जो इस मुश्किल वक्त में कोविड 19 वार्ड में ड्यूटी कर रही हैं.

क्लिक कर देखें रिपोर्ट

नर्सिंग ऑफिसर डलफिना वर्मा ने बताया की नर्स की दिनचर्या हमेशा ही व्यस्त रहती है, लेकिन कोरोना के इस दौर में उनका काम काफी बढ़ गया है. उन्हें ना तो खुद के लिए समय मिल पा रहा है और ना ही अपने परिवार के लिए. इस महा संकट के दिनों में जहां लोग घर से बाहर निकलने से डरते हैं. वहीं एक नर्स को घर जाते हुए डर लगता है कि कहीं उनसे संक्रमण उनके परिवार में ना फैल जाए.

वहीं नर्सिंग ऑफिसर कमलेश ने बताया कि वो पिछले 33 सालों से नर्स के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं और अगले साल उनका रिटायरमेंट है. फिर भी वो इस उम्र में पूरे जज्बे के साथ कोविड 19 वार्ड में डॉक्टर्स की मदद कर रही हैं.

कोविड 19 वार्ड में काम कर रहीं दूसरी नर्सिंग ऑफिसर स्वीटी कटोच ने बताया कि वो पिछले 23 सालों से नर्स के तौर पर काम कर रही हैं. इस दौरान उन्होंने इस बात को महसूस किया है कि एक नर्स हर जिम्मेदारी को बखूबी निभा सकती है और निभा भी रही है. एक नर्स जो अस्पताल में मरीजों की सेवा कर रही है, वो घर में एक मां की तौर पर अपने बच्चों की देखभाल करती है. नर्स पत्नी भी है और अस्पताल में जूनियर्स की मां भी है.

ये भी पढ़िए: बापूधाम कोरोना हॉटस्पॉट: सेक्टर 26 की मंडी को सेक्टर 17 में किया गया शिफ्ट

नर्सिंग स्टाफ किसी भी अस्पताल के लिए एक लाइफलाइन की तरह होता है. जो लोगों की जिंदगियां बचाने में बेहद महत्वपूर्ण किरदार अदा करता है. ये लोग अपने फर्ज के आगे अपने आप को और अपने परिवार को भी पीछे छोड़ देते हैं, क्योंकि इनके सामने लोगों की जिंदगी बचाना ही सबसे बड़ा कर्तव्य होता है. आज कोविड-19 के दौर में ये स्वास्थ्य कर्मी अपनी जान की परवाह किए बिना अपने कर्तव्य को निभा रहे हैं. शायद इसीलिए ही इन्हें कोरोना योद्धा का नाम दिया गया है.

चंडीगढ़: कोरोना महामारी काल बनकर लोगों पर कहर बरपा रही है. जहां डॉक्टर्स सबसे आगे होकर कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे हैं तो वहीं डॉक्टर्स का दाहिना हाथ बनकर उनकी मदद नर्स कर रही हैं. इस दौर में भी नर्स अपनी और अपने परिवार की चिंता छोड़कर मरीजों की जान बचाने में जुटी हैं. वर्ल्ड नर्सिंग डे पर ऐसी नर्सों को ईटीवी भारत सलाम करता है जो कोरोना के इस दौरान में डॉक्टर्स के कदम से कदम मिलाकर कोरोना से जंग लड़ रही हैं.

वर्ल्ड नर्सिंग डे के मौके पर ईटीवी भारत की टीम चंडीगढ़ पीजीआई पहुंची और उन नर्सिस से खास बातचीत की जो इस मुश्किल वक्त में कोविड 19 वार्ड में ड्यूटी कर रही हैं.

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नर्सिंग ऑफिसर डलफिना वर्मा ने बताया की नर्स की दिनचर्या हमेशा ही व्यस्त रहती है, लेकिन कोरोना के इस दौर में उनका काम काफी बढ़ गया है. उन्हें ना तो खुद के लिए समय मिल पा रहा है और ना ही अपने परिवार के लिए. इस महा संकट के दिनों में जहां लोग घर से बाहर निकलने से डरते हैं. वहीं एक नर्स को घर जाते हुए डर लगता है कि कहीं उनसे संक्रमण उनके परिवार में ना फैल जाए.

वहीं नर्सिंग ऑफिसर कमलेश ने बताया कि वो पिछले 33 सालों से नर्स के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं और अगले साल उनका रिटायरमेंट है. फिर भी वो इस उम्र में पूरे जज्बे के साथ कोविड 19 वार्ड में डॉक्टर्स की मदद कर रही हैं.

कोविड 19 वार्ड में काम कर रहीं दूसरी नर्सिंग ऑफिसर स्वीटी कटोच ने बताया कि वो पिछले 23 सालों से नर्स के तौर पर काम कर रही हैं. इस दौरान उन्होंने इस बात को महसूस किया है कि एक नर्स हर जिम्मेदारी को बखूबी निभा सकती है और निभा भी रही है. एक नर्स जो अस्पताल में मरीजों की सेवा कर रही है, वो घर में एक मां की तौर पर अपने बच्चों की देखभाल करती है. नर्स पत्नी भी है और अस्पताल में जूनियर्स की मां भी है.

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नर्सिंग स्टाफ किसी भी अस्पताल के लिए एक लाइफलाइन की तरह होता है. जो लोगों की जिंदगियां बचाने में बेहद महत्वपूर्ण किरदार अदा करता है. ये लोग अपने फर्ज के आगे अपने आप को और अपने परिवार को भी पीछे छोड़ देते हैं, क्योंकि इनके सामने लोगों की जिंदगी बचाना ही सबसे बड़ा कर्तव्य होता है. आज कोविड-19 के दौर में ये स्वास्थ्य कर्मी अपनी जान की परवाह किए बिना अपने कर्तव्य को निभा रहे हैं. शायद इसीलिए ही इन्हें कोरोना योद्धा का नाम दिया गया है.

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