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जानें सिजेरियन डिलीवरी के बाद ब्रेस्टफीडिंग के मायने, त्वचा से त्वचा का स्पर्श स्तनपान कराने में करता है मदद

world breastfeeding week 2023: जो शिशु स्तनपान नहीं करते वो अधिकतर कमजोर और बीमार रहते हैं. लेकिन जो शिशु सही से स्तनपान कर लेते हैं उनको जीवनभर बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है. आइए जानते हैं ब्रेस्टफीड करवाने से मां और बच्चा दोनों को क्या गजब के फायदे मिलते हैं.

world breastfeeding week 2023
सिजेरियन डिलीवरी के बाद ब्रेस्टफीडिंग
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Published : Aug 3, 2023, 7:17 PM IST

चंडीगढ़: नवजात को जन्म के छह माह तक मां का दूध ही पिलाना चाहिए. यह जच्चा और बच्चा दोनों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है. अगस्त के पहले हफ्ते में विश्व स्तर पर ब्रेस्टफीडिंग को लेकर जागरूकता फैलाई जाती है. सिजेरियन डिलीवरी वाली महिलाओं को ब्रेस्टफीडिंग को लेकर कई वहम रहते हैं. जिसके चलते हर साल विश्व स्तर पर 'वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक' यानी विश्व सत्नपान सप्ताह के जरिए महिलाओं को जागरूक किया जाता है.

ये भी पढ़ें: पब्लिक में ब्रेस्टफीडिंग पर हार्दिक पांड्या की पत्नी नताशा स्टेनकोविक ने कही ये बात

बच्चे को नहीं मिल पाता मां का स्पर्श: जिन महिलाओं की डिलीवरी पहली बार सिजेरियन हो उनको भी नवजात को दूध पिलाने से वंचित रखा जाता है. जिसके चलते मां का स्पर्श बच्चे को नहीं मिल पाता और मां को कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स भी हो सकती है. चंडीगढ़ PGI की जानी-मानी पीडियाट्रिशियन भवनीत भारतीय जो लंबे समय से ब्रेस्टफीडिंग के लिए काम कर रही हैं और उन महिलाओं को जागरूक कर रही हैं, जिन्हें ब्रेस्टफीडिंग के सही मायने पता नहीं है.

स्तनपान में मां का स्पर्श फायदेमंद: स्तनपान करते समय मां का स्पर्श बच्चे को कम रोने में मदद करता है. बच्चे के तापमान, सांस लेने की दर दिल की धड़कन और रक्त शर्करा को स्थिर करता है. मां के कोलोस्ट्रम को अधिक आसानी से प्रवाहित करने में मदद करता है. साथ ही बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा भी देता है. मां का दूध बच्चे को बीमारियों से बचाने में भी हेल्प करता है.

मां का दूध बेहद फायदेमंद: डॉ. भवनीत भारती ने बताया कि बच्चे के लिए मां का दूध औषधि के समान होता है. मां का दूध न सिर्फ न्यूट्रिशन देता है, बल्कि हर तरह के इंफेक्शन से भी बचाता है. इसके साथ ही रिसर्च में पाया गया है कि मां का दूध बच्चे को कैंसर जैसे खतरों से भी बचा सकता है. यह कहना गलत नहीं होगा कि सिजेरियन के समय एक मां को कई तरह की समस्याएं आती हैं. क्योंकि यह एक छोटा ऑपरेशन होता है. लेकिन इसके बावजूद भी अगर ऑपरेशन थिएटर का स्टाफ समझदार होगा तो बच्चे के पैदा होने के कुछ सेकंड में ही मां का दूध पिलाने का फैसला करेगा, जो एक सही फैसला होगा.

सिजेरियन डिलीवरी में परेशानियां: सिजेरियन के समय कुछ महिलाओं की तबीयत बिगड़ जाती है. जहां उसे होश नहीं रहता कि वह बच्चे को जन्म दे चुकी है. ऐसे में इस तरह के बच्चों के लिए ब्रेस्ट मिल्क बैंक बनाया गया है. जहां पर किसी अन्य माता द्वारा निकाले गए दूध को स्टेरलाइज करके और उसमें से हर तरह से स्वच्छ करते हुए बच्चे को दूध पिलाया जा सकता है. जिन माताओं को नेचुरल तौर पर शुरुआत में दूध नहीं आता और उन्हें डॉक्टर कहते हैं कि वह बच्चे को गाय का दूध, पाउडर वाला दूध पिलाएं तो यह करना एक बच्चे के लिए घातक हो सकता है. क्योंकि बच्चे के लिए जितना लाभदायक और स्वस्थ मां का दूध होता है, उतना अन्य दूध नहीं होता.

ये भी पढ़ें: मां के दूध से नहीं फैलता कोरोना संक्रमण : डब्ल्यूएचओ

कामकाजी महिलाओं के लिए सलाह: बच्चों की डॉक्टर भवनीत ने बताया कि आज के समय में वर्किंग महिलाएं जिन्हें बच्चे पालने में और उन्हें दूध पिलाने में समस्या आती है. उनके लिए भी कई तरह के उपाय डॉक्टर द्वारा दिए जाते हैं. वहीं, 2017 मैटरनिटी एक्ट की बात करें तो हर एक सेक्टर में काम करने वाली वर्किंग महिलाएं जो अभी-अभी मां बनी है, उसे दिन में चार बार अपने बच्चे को दूध पिलाने का समय दिया जाता है. इसके अलावा वह महिलाएं अपने हाथों से दूध निकाल कर फ्रिज में रख सकती हैं. जिसे घर के अन्य सदस्य बोतल के जरिए बच्चे को पिला सकते है.

चंडीगढ़: नवजात को जन्म के छह माह तक मां का दूध ही पिलाना चाहिए. यह जच्चा और बच्चा दोनों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है. अगस्त के पहले हफ्ते में विश्व स्तर पर ब्रेस्टफीडिंग को लेकर जागरूकता फैलाई जाती है. सिजेरियन डिलीवरी वाली महिलाओं को ब्रेस्टफीडिंग को लेकर कई वहम रहते हैं. जिसके चलते हर साल विश्व स्तर पर 'वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक' यानी विश्व सत्नपान सप्ताह के जरिए महिलाओं को जागरूक किया जाता है.

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बच्चे को नहीं मिल पाता मां का स्पर्श: जिन महिलाओं की डिलीवरी पहली बार सिजेरियन हो उनको भी नवजात को दूध पिलाने से वंचित रखा जाता है. जिसके चलते मां का स्पर्श बच्चे को नहीं मिल पाता और मां को कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स भी हो सकती है. चंडीगढ़ PGI की जानी-मानी पीडियाट्रिशियन भवनीत भारतीय जो लंबे समय से ब्रेस्टफीडिंग के लिए काम कर रही हैं और उन महिलाओं को जागरूक कर रही हैं, जिन्हें ब्रेस्टफीडिंग के सही मायने पता नहीं है.

स्तनपान में मां का स्पर्श फायदेमंद: स्तनपान करते समय मां का स्पर्श बच्चे को कम रोने में मदद करता है. बच्चे के तापमान, सांस लेने की दर दिल की धड़कन और रक्त शर्करा को स्थिर करता है. मां के कोलोस्ट्रम को अधिक आसानी से प्रवाहित करने में मदद करता है. साथ ही बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा भी देता है. मां का दूध बच्चे को बीमारियों से बचाने में भी हेल्प करता है.

मां का दूध बेहद फायदेमंद: डॉ. भवनीत भारती ने बताया कि बच्चे के लिए मां का दूध औषधि के समान होता है. मां का दूध न सिर्फ न्यूट्रिशन देता है, बल्कि हर तरह के इंफेक्शन से भी बचाता है. इसके साथ ही रिसर्च में पाया गया है कि मां का दूध बच्चे को कैंसर जैसे खतरों से भी बचा सकता है. यह कहना गलत नहीं होगा कि सिजेरियन के समय एक मां को कई तरह की समस्याएं आती हैं. क्योंकि यह एक छोटा ऑपरेशन होता है. लेकिन इसके बावजूद भी अगर ऑपरेशन थिएटर का स्टाफ समझदार होगा तो बच्चे के पैदा होने के कुछ सेकंड में ही मां का दूध पिलाने का फैसला करेगा, जो एक सही फैसला होगा.

सिजेरियन डिलीवरी में परेशानियां: सिजेरियन के समय कुछ महिलाओं की तबीयत बिगड़ जाती है. जहां उसे होश नहीं रहता कि वह बच्चे को जन्म दे चुकी है. ऐसे में इस तरह के बच्चों के लिए ब्रेस्ट मिल्क बैंक बनाया गया है. जहां पर किसी अन्य माता द्वारा निकाले गए दूध को स्टेरलाइज करके और उसमें से हर तरह से स्वच्छ करते हुए बच्चे को दूध पिलाया जा सकता है. जिन माताओं को नेचुरल तौर पर शुरुआत में दूध नहीं आता और उन्हें डॉक्टर कहते हैं कि वह बच्चे को गाय का दूध, पाउडर वाला दूध पिलाएं तो यह करना एक बच्चे के लिए घातक हो सकता है. क्योंकि बच्चे के लिए जितना लाभदायक और स्वस्थ मां का दूध होता है, उतना अन्य दूध नहीं होता.

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कामकाजी महिलाओं के लिए सलाह: बच्चों की डॉक्टर भवनीत ने बताया कि आज के समय में वर्किंग महिलाएं जिन्हें बच्चे पालने में और उन्हें दूध पिलाने में समस्या आती है. उनके लिए भी कई तरह के उपाय डॉक्टर द्वारा दिए जाते हैं. वहीं, 2017 मैटरनिटी एक्ट की बात करें तो हर एक सेक्टर में काम करने वाली वर्किंग महिलाएं जो अभी-अभी मां बनी है, उसे दिन में चार बार अपने बच्चे को दूध पिलाने का समय दिया जाता है. इसके अलावा वह महिलाएं अपने हाथों से दूध निकाल कर फ्रिज में रख सकती हैं. जिसे घर के अन्य सदस्य बोतल के जरिए बच्चे को पिला सकते है.

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