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World Aids Day 2022: एचआईवी संक्रमित होने के बाद भी मुमकिन है जिंदगी, चंडीगढ़ पीजीआई में हुए कई शोध - HIV

वर्तमान में HIV का कोई प्रभावी इलाज नहीं है. इस कारण आज भी लोग इसके वायरस से डरते हैं. पीजीआई चंडीगढ़ (Chandigarh PGI research) में इस वायरस से जुड़े नए-नए शोध पर भी ध्यान दिया जा रहा है. एचआईवी से जुड़े कई सफल शोध पीजीआई में किए गए हैं.

World Aids Day 2022 Healthy life is possible after infected with HIV Chandigarh PGI research
World Aids Day 2022: एचआईवी संक्रमित होने के बाद भी मुमकिन है जिंदगी, चंडीगढ़ पीजीआई में हुए कई शोध
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Published : Nov 30, 2022, 8:11 PM IST

Updated : Dec 3, 2022, 2:38 PM IST

चंडीगढ़: लोगों को HIV के प्रति जागरूक करने के लिए हर वर्ष 1 दिसंबर (World Aids Day 2022) को वर्ल्ड एड्स डे मनाया जाता है. वर्तमान में HIV का कोई प्रभावी इलाज नहीं है. इस कारण आज भी लोग इसके वायरस से डरते हैं. पीजीआई के विशेषज्ञों को मानना है कि समय के साथ एचआईवी के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं हुआ है लेकिन इसके इलाज का स्वरूप जरूर बदल गया है. पहले जहां मरीज का इलाज शुरू करने के लिए चिकित्सक मरीज के शरीर में एक स्तर के गिरने का इंतजार करते थे.

वहीं अब मरीज के वायरस के संपर्क में आते ही उसका इलाज शुरू कर दिया जाता है. पीजीआई एआरटी सेंटर के नोडल अधिकारी व शोध के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर प्रो. अमन शर्मा ने बताया कि एचआईवी शरीर में रोग और संक्रमण से लड़ने वाली महत्वपूर्ण कोशिकाओं को नष्ट कर व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है. उचित मेडिकल केयर से एचआईवी को नियंत्रित किया जा सकता है. ऐसे में इलाज की शुरुआत से ही मरीज को सतर्क रहते हुए उचित दवाएं लेनी चाहिए, इससे वह लंबे समय तक जीवित रह सकता है.

इस दौरान कोई भी व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आता है तो वह सही समय पर इलाज लेकर इस संक्रमण से सुरक्षित हो सकता है. इसके साथ ही प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर प्रो. अमन शर्मा ने बताया कि एचआईवी से जुड़े कई शोध समय-समय पर पीजीआई (Chandigarh PGI research) में किए जा रहे हैं. वहीं इनमें से एक सफल शोध न्यूरोलॉजिकल से जुड़ा था. पीजीआई में पंजाब से एक महिला आई थी. वह चलने फिरने के लायक भी नहीं थी. ऐसे में हमारी टीम ने एचआईवी से संबंधित मरीज जिसको न्यूरोलॉजिकल शिकायत भी थी.

उस मरीज के खून के साथ ही रीढ़ की हड्डी से फ्लूड निकालकर उसकी जांच की गई. उनके खून में वायरस नहीं मिला, लेकिन फ्लूड में हाई वायरल लोड यानी काफी ज्यादा मात्रा में संक्रमण पाया गया. इस जांच परिणाम के आधार पर डॉक्टरों ने ऐसे मरीजों को दी जाने वाली एआरटी को बदलते हुए, अगले चरण की एआरटी देनी शुरू की. इसका बेहतर परिणाम देखने को मिला. महिला मरीज की सेहत में तेजी से सुधार होता नजर आया. जो महिला व्हीलचेयर पे थी, वह अब चल पा रही थी.

पढ़ें: Rare Surgery : एचआईवी संक्रमित का सफल किडनी ट्रांसप्लांट

प्रो. अमन का ने कहा कि मरीजों के रोग प्रतिरोधक क्षमता के आधार पर अन्य बीमारियों से बचाव के साथ ही उनके न्यूरोलॉजिकल प्रभाव पर भी नजर रखना जरूरी है. अगर कोई मरीज बार-बार शारीरिक संतुलन, याददाश्त की कमजोरी, लगातार सिर दर्द, झनझनाहट, सुन्नेपन की शिकायत करे तो उनकी सीएसएफ वायरल स्केप जांच जरूर करवानी चाहिए. क्योंकि ऐसे मरीजों के ब्रेन तक संक्रमण पहुंच चुका होता है. एचआईवी संक्रमण की जांच के दौरान संक्रमित मरीजों के खून की जांच की जाती है. उसके आधार पर उनकी एआरटी शुरू की जाती है.

पढ़ें: क्या है मेडिकल कॉलेज में बॉन्ड पॉलिसी, जानिए क्यों मचा है हरियाणा में बवाल

इस शोध के बाद यह साफ हो गया कि संक्रमण का दायरा दिमाग तक पहुंच सकता है. इसलिए लक्षणों को नजरअंदाज किए बिना उनकी जांच कर दवाएं शुरू करनी चाहिए. आज के समय में HIV के मरीज के संक्रमण के स्तर को गिरते हुए नहीं देखा जाता है. जब मरीज अस्पताल में आता है तो उसे तुरंत इलाज मुहैया करवाया जाता है. संक्रमण चाहे प्रथम चरण का हो या दूसरे- तीसरे चरण का, सभी के इलाज चरणों को पहचानते हुए दवाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं. HIV से जुड़ा इलाज भारत के सभी क्षेत्र में उपलब्ध है.

पढ़ें: जबलपुर में एक शख्स ने विश्व एड्स दिवस पर खुद को HIV पॉजिटिव करने की दी चेतावनी, जानें क्या है मामला

वहीं पीजीआई में इस वायरस से जुड़े नए-नए शोध पर भी ध्यान दिया जा रहा है. अगर उत्तर भारत में एचआईवी मरीजों की स्थिति की बात की जाए तो यह डाटा गुप्त रखा जाता है. दिल्ली में स्थित नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाईजेशन द्वारा बताया गया है कि पिछले 10 वर्षों में असुरक्षित यौन संबंध के कारण देश में 17 लाख से अधिक लोग एचआईवी से संक्रमित हुए हैं. यह डाटा इस वर्ष जुलाई महीने तक का है. नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाईजेशन द्वारा भारत के हर क्षेत्र में एचआईवी मरीजों पर विशेष तौर पर ध्यान दिया जाता है, ताकि वे इस रोग से जुड़ी हर जानकारी और इलाज मुफ्त में पा सके.

चंडीगढ़: लोगों को HIV के प्रति जागरूक करने के लिए हर वर्ष 1 दिसंबर (World Aids Day 2022) को वर्ल्ड एड्स डे मनाया जाता है. वर्तमान में HIV का कोई प्रभावी इलाज नहीं है. इस कारण आज भी लोग इसके वायरस से डरते हैं. पीजीआई के विशेषज्ञों को मानना है कि समय के साथ एचआईवी के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं हुआ है लेकिन इसके इलाज का स्वरूप जरूर बदल गया है. पहले जहां मरीज का इलाज शुरू करने के लिए चिकित्सक मरीज के शरीर में एक स्तर के गिरने का इंतजार करते थे.

वहीं अब मरीज के वायरस के संपर्क में आते ही उसका इलाज शुरू कर दिया जाता है. पीजीआई एआरटी सेंटर के नोडल अधिकारी व शोध के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर प्रो. अमन शर्मा ने बताया कि एचआईवी शरीर में रोग और संक्रमण से लड़ने वाली महत्वपूर्ण कोशिकाओं को नष्ट कर व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है. उचित मेडिकल केयर से एचआईवी को नियंत्रित किया जा सकता है. ऐसे में इलाज की शुरुआत से ही मरीज को सतर्क रहते हुए उचित दवाएं लेनी चाहिए, इससे वह लंबे समय तक जीवित रह सकता है.

इस दौरान कोई भी व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आता है तो वह सही समय पर इलाज लेकर इस संक्रमण से सुरक्षित हो सकता है. इसके साथ ही प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर प्रो. अमन शर्मा ने बताया कि एचआईवी से जुड़े कई शोध समय-समय पर पीजीआई (Chandigarh PGI research) में किए जा रहे हैं. वहीं इनमें से एक सफल शोध न्यूरोलॉजिकल से जुड़ा था. पीजीआई में पंजाब से एक महिला आई थी. वह चलने फिरने के लायक भी नहीं थी. ऐसे में हमारी टीम ने एचआईवी से संबंधित मरीज जिसको न्यूरोलॉजिकल शिकायत भी थी.

उस मरीज के खून के साथ ही रीढ़ की हड्डी से फ्लूड निकालकर उसकी जांच की गई. उनके खून में वायरस नहीं मिला, लेकिन फ्लूड में हाई वायरल लोड यानी काफी ज्यादा मात्रा में संक्रमण पाया गया. इस जांच परिणाम के आधार पर डॉक्टरों ने ऐसे मरीजों को दी जाने वाली एआरटी को बदलते हुए, अगले चरण की एआरटी देनी शुरू की. इसका बेहतर परिणाम देखने को मिला. महिला मरीज की सेहत में तेजी से सुधार होता नजर आया. जो महिला व्हीलचेयर पे थी, वह अब चल पा रही थी.

पढ़ें: Rare Surgery : एचआईवी संक्रमित का सफल किडनी ट्रांसप्लांट

प्रो. अमन का ने कहा कि मरीजों के रोग प्रतिरोधक क्षमता के आधार पर अन्य बीमारियों से बचाव के साथ ही उनके न्यूरोलॉजिकल प्रभाव पर भी नजर रखना जरूरी है. अगर कोई मरीज बार-बार शारीरिक संतुलन, याददाश्त की कमजोरी, लगातार सिर दर्द, झनझनाहट, सुन्नेपन की शिकायत करे तो उनकी सीएसएफ वायरल स्केप जांच जरूर करवानी चाहिए. क्योंकि ऐसे मरीजों के ब्रेन तक संक्रमण पहुंच चुका होता है. एचआईवी संक्रमण की जांच के दौरान संक्रमित मरीजों के खून की जांच की जाती है. उसके आधार पर उनकी एआरटी शुरू की जाती है.

पढ़ें: क्या है मेडिकल कॉलेज में बॉन्ड पॉलिसी, जानिए क्यों मचा है हरियाणा में बवाल

इस शोध के बाद यह साफ हो गया कि संक्रमण का दायरा दिमाग तक पहुंच सकता है. इसलिए लक्षणों को नजरअंदाज किए बिना उनकी जांच कर दवाएं शुरू करनी चाहिए. आज के समय में HIV के मरीज के संक्रमण के स्तर को गिरते हुए नहीं देखा जाता है. जब मरीज अस्पताल में आता है तो उसे तुरंत इलाज मुहैया करवाया जाता है. संक्रमण चाहे प्रथम चरण का हो या दूसरे- तीसरे चरण का, सभी के इलाज चरणों को पहचानते हुए दवाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं. HIV से जुड़ा इलाज भारत के सभी क्षेत्र में उपलब्ध है.

पढ़ें: जबलपुर में एक शख्स ने विश्व एड्स दिवस पर खुद को HIV पॉजिटिव करने की दी चेतावनी, जानें क्या है मामला

वहीं पीजीआई में इस वायरस से जुड़े नए-नए शोध पर भी ध्यान दिया जा रहा है. अगर उत्तर भारत में एचआईवी मरीजों की स्थिति की बात की जाए तो यह डाटा गुप्त रखा जाता है. दिल्ली में स्थित नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाईजेशन द्वारा बताया गया है कि पिछले 10 वर्षों में असुरक्षित यौन संबंध के कारण देश में 17 लाख से अधिक लोग एचआईवी से संक्रमित हुए हैं. यह डाटा इस वर्ष जुलाई महीने तक का है. नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाईजेशन द्वारा भारत के हर क्षेत्र में एचआईवी मरीजों पर विशेष तौर पर ध्यान दिया जाता है, ताकि वे इस रोग से जुड़ी हर जानकारी और इलाज मुफ्त में पा सके.

Last Updated : Dec 3, 2022, 2:38 PM IST
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