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सिमरनजीत से सैम बनने की कहानी, जानें एक ट्रांसजेंडर की जुबानी

ट्रांसजेंडर सैम पहले लड़की थे, उनके जूनूंन और जिंदादिली ने उनके सपने को हकीकत में बदलने की कुछ यूं ठानी कि उनकी जिंदगी ही बदल गई.

ट्रांसजेंडर सैम
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Published : Mar 10, 2019, 9:56 PM IST

चंडीगढ: ये कहानी है चंडीगढ़ के रहने वाले ट्रांसजेंडर सैम की है. सैम पहले सिमरनजीत थे यानि उनका जन्म के वक्त लड़की था, लेकिन समय के साथ उनकी भावनाएं भी बदल गई थी.

इस बारे में सिमरनजीत ने परिजनों को भी बताया, लेकिन उन्हें डांटा गया और ऐसा ना सोचने की हिदायत दी गई. सिमरनजीत को भी घरवालों की ये बात मंजूर नहीं थी.


2013 में वह लंदन में एमबीए की पढ़ाई करने पहुंचे. वहां से लौटकर सिमरनजीत सर्जरी करवाने जितना पैसा कमा चुकी थी. उसने दिल्ली आकर मां-बाप को बिना बताई अपनी सर्जरी करवा ली और सिमरन से सैम बन गए.


30 सालों से लड़की की जिंदगी जी रहे सैम की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुई. उनकी इस कहानी की वजह से उन्हें भारत में कोई नौकरी नहीं देता. अब उन्होंने बिजनेस करने की ठानी है.
सैम का कहना है कि उन्हें अपने जीवन साथी के तौर पर तमन्ना का साथ भी मिल गया है और वह तमन्ना के साथ चंडीगढ़ में खुशी-खुशी रहते हैं. उनके माता-पिता भी उनपर गर्व करते हैं.

चंडीगढ: ये कहानी है चंडीगढ़ के रहने वाले ट्रांसजेंडर सैम की है. सैम पहले सिमरनजीत थे यानि उनका जन्म के वक्त लड़की था, लेकिन समय के साथ उनकी भावनाएं भी बदल गई थी.

इस बारे में सिमरनजीत ने परिजनों को भी बताया, लेकिन उन्हें डांटा गया और ऐसा ना सोचने की हिदायत दी गई. सिमरनजीत को भी घरवालों की ये बात मंजूर नहीं थी.


2013 में वह लंदन में एमबीए की पढ़ाई करने पहुंचे. वहां से लौटकर सिमरनजीत सर्जरी करवाने जितना पैसा कमा चुकी थी. उसने दिल्ली आकर मां-बाप को बिना बताई अपनी सर्जरी करवा ली और सिमरन से सैम बन गए.


30 सालों से लड़की की जिंदगी जी रहे सैम की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुई. उनकी इस कहानी की वजह से उन्हें भारत में कोई नौकरी नहीं देता. अब उन्होंने बिजनेस करने की ठानी है.
सैम का कहना है कि उन्हें अपने जीवन साथी के तौर पर तमन्ना का साथ भी मिल गया है और वह तमन्ना के साथ चंडीगढ़ में खुशी-खुशी रहते हैं. उनके माता-पिता भी उनपर गर्व करते हैं.

Intro:कल तक जो सिमरनजीत कौर थी वह आज सैम बनकर आत्मविश्वास के साथ अपनी जिंदगी बिता रहा है। सिमरनजीत वो इंसान थी जिसे अपना शरीर ही एक जेल की तरह लगने लगा था और वह इसे बदलने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थी। सिमरनजीत ने करीब 30 साल एक ऐसे शरीर के साथ गुजारे जिसे वह अपना नहीं समझती थी ।



Body:अपनी संघर्ष से भरी कहानी सुनाते हुए सैम बताते हैं कि जब उनकी उम्र करीब 6 साल थी। तभी से उन्हें एहसास होने लगा था कि उनका शरीर कुछ और है और दिमाग कुछ और । तभी से उन्हें अपने अस्तित्व को लेकर चिंता सताने लगी थी। क्योंकि पर उस पहचान के साथ जिंदगी नहीं जीना चाहते थे। जो पहचान उन्हें जन्म के साथ ही मिली थी। उम्र बढ़ती गई और सैम की बेचैनी भी उसी के साथ बढ़ती गई ।
सैम ने कहा जब उन्होंने इसके बारे में अपनी मां से बात की तो मां ने भी उन्हें खूब डांटा और इस तरह की बातें ना सोचने की सलाह दी। मगर सैम को यह मंजूर नहीं था ।साल 2008 में सैम यानी उस वक्त की सिमरनजीत पढ़ाई के लिए लंदन चली गई। वहां से एमबीए की पढ़ाई करने के बाद सैम यानी सिमरनजीत 2013 में भारत वापस लौटी। तब तक वह इतने पैसे कमा चुकी थी कि अपनी सर्जरी करवा सके। सिमरजीत ने दिल्ली में अपने माता पिता को बिना बताए अपना लिंग चेंज करवा लिया और लड़की के शरीर से लड़के का शरीर बनाने के लिए हारमोंस भी लेने शुरू कर दिए ।
सैम बताते हैं की सर्जरी के बाद जब उनके शरीर में परिवर्तन होना शुरू हो गया ।उन्हें ऐसा लगा मानो वह एक ऐसी जेल से बाहर निकल रहे हैं जिससे वह पिछले 30 सालों से बंद थे।
मगर मुश्किलें यहीं खत्म नहीं। हुई सैम ने कहा कि उन्होंने लंदन से एमबीए की डिग्री की है। इसके बावजूद उनकी कहानी की वजह से उन्हें भारत में कोई नौकरी नहीं देता।
जिस वजह से अब वे अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं। सैम ने कहा कि उन्हें अपने जीवन साथी के तौर पर एक महिला का साथ भी मिल गया है। जिसका नाम तमन्ना है और वह तमन्ना के साथ चंडीगढ़ में खुशी खुशी रहते हैं ।
जब इस बारे में हमने तमन्ना से बात की तो तमन्ना ने बताया कि वह सैन के साथ उस वक्त से रह रही हैं जब वह सिमरनजीत थी। लेकिन जब सिमरनजीत सैम बन गई । तब भी उन्होंने उसका साथ नहीं छोड़ा और इसके लिए तमन्ना के घर वालों ने भी कोई आपत्ति नहीं जताई ।
अब वे दोनों अपना परिवार खुशी खुशी चला रहे हैं।


Conclusion:सैम बताते हैं की उनका सिमरनजीत से लेकर सैम तक का सफर काफी
संघर्षपूर्ण रहा है।
क्योंकि जब आपके माता-पिता ही आपकी बात को ना समझे तो दुनिया क्या समझेगी मगर उन्होंने अपनी जीत को नहीं छोड़ा और वह करके दिखाया जो वह करना चाहते थे। अब धीरे धीरे समय बदल रहा है और उनके माता-पिता को अब उन पर शर्म आती बल्कि गर्व होता है।
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