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जानें कैसे किताबों में 'सुपर सरपंच' बने सुनील जागलान - सुनील जागलान स्टोरी बुक

ईटीवी भारत की टीम ने बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच सुनील जागलान से बात की. सुनील जागलान की ओर से महिला सशक्तिकरण के लिए किए गए कामों से संबंधित एक पाठ दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाया जाएगा. जिसमें जागलान को सुपर सरपंच नाम दिया है.

sunil jaglan story will be taught in private schools of delhi
सुनील जागलान
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Published : Jul 15, 2020, 9:41 PM IST

जींद: जिले का बीबीपुर गांव राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान के झंडे गाड़ चुका है. इस गांव की जनसंख्या करीब 6 हजार है. गांव के लोगों ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि सामाजिक बदलाव की जो मुहिम उनके गांव से शुरू हुई थी, वो अब पूरे देश और दुनिया में पहुंच जाएगी. बीबीपुर गांव का बदलाव देश-दुनिया में एक माडल बन गया है. इस काम को करने का श्रेय बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच सुनील जागलान को जाता है.

हरियाणा के जींद जिले के बीबीपुर गांव से शुरू हुई बदलाव की कहानी अब दिल्ली के निजी स्कूलों के दसवीं कक्षा के बच्चे भी पढ़ेंगे. मिशन 'पॉसिबल' के तहत गांवों को शहरों के समान सुंदर बनाने से लेकर उनका डिजिटलीकरण करने, पंचायतों को आनलाइन बनाने और महिला सशक्तिकरण के साथ ही बेटियों के चेहरों पर मुस्कान लाने की जो मुहिम सरपंच के नाते सुनील जागलान ने शुरू की थी, आज वो पूरे देश और दुनिया में मिसाल बन गई है. उनके द्वारा शुरू किए गए सामाजिक बदलाव की कहानी दसवीं क्लास के बच्चों को पढ़ाई जाएगी, जिसमें उन्हें सुपर सरपंच संज्ञा दी गई है.

जाने सामान्य परिवार से सरपंच और फिर किताबों में बने 'सुपर सरपंच' सुनील जागलान की कहानी

'ए विलेज नेम्ड बीबीपुर'

दसवीं क्लास की इस वर्क बुक में सुनील जागलान के द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों, बदलाव के बड़े उदाहरण और उनके नतीजों के साथ ही बच्चों के लिए प्रेरणा के स्रोत के रूप में चैप्टर दिया गया है, जिसका नाम है, ए विलेज नेम्ड बीबीपुर. स्काईपाथ नामक इस वर्क बुक की सीरीज एडीटर डीपीएस शारजाह (संयुक्त अरब अमीरात) की फाउंडर प्रिंसिपल एवं दिल्ली के संस्कृति स्कूल की पूर्व प्रिंसिपल आभा सहगल हैं. अमृता विद्यालय दुर्गापुर की सह-प्रिंसपल सुथापा मुखर्जी ने ये पुस्तक लिखी है. अब अगस्त से ये पुस्तक दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में अगस्त से आरंभ होने वाले शिक्षा सत्र में पढ़ाई जाएगी. फिर इसे देश के बाकी राज्यों में पढ़ाने की शुरुआत होगी.

पूर्व सरपंच सुनील जागलान की कहानी

सुनील जागलान छह जून 2010 से जनवरी 2016 तक बीबीपुर गांव के सरपंच रहे. सरपंच बनने के बाद 2012 में जागलान एक बेटी नंदिनी के पिता बने. तब उन्होंने महिला सशक्तिकरण खासकर बेटियों को बचाने और उनके चेहरों पर मुस्कान लाने का अभियान शुरू किया, जो आज दुनिया में सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन के रूप में जानी जाती है. बेटी-बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की परिकल्पना भी यहीं से पैदा हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश-विदेश में आठ बार जागलान के इस अभियान की अपने भाषण में दिल खोलकर तारीफ की.


बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच सुनील जागलान अब मिशन (अभियान) के मुखिया बन चुके हैं. महिला सशक्तिकरण, पंचायतों को उनके अधिकार दिलाने और हाइटेक बनाने के जो अभियान उन्होंने कई साल पहले गांव स्तर पर शुरू किए थे, अब वो पूरे देश और प्रदेश में लागू हो रहे हैं. सबसे पहले उन्होंने बीबीपुर की पंचायत की वेबसाइट बनाई. पूरे देश की पंचायतों ने इसे अपनया.

सुनील जागलान की गांव को सौगात

  • 2015 में केंद्र सरकार ने सभी पंचायतों के डिजिटलाइजेशन की घोषणा की.
  • 2012 में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए उन्होंने ने पहली महिला ग्राम सभा और महाखाप पंचायत की, जिसमें महिलाओं ने भागेदीरी की.
  • 2012 में 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' अभियान की आधारभूत शुरुआत बीबीपुर से ही हुई. 2015 में केंद्र सरकार ने इसे देशभर में लागू किया.
  • 2012 में ग्राम सचिवालय का प्रस्ताव केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय को भेजा गया, जिसे सरकार ने बाद में लागू किया.
  • 9 जून 2015 को बीबीपुर गांव से सेल्फी विद डॉटर अभियान की शुरूआत हुई.
  • 2016 में सेल्फी विद डॉटर एंड ट्री अभियान चला.

ये भी पढ़ें:-हर गांव में बनेंगे यूथ क्लब, आजकल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बच्चों को दे रहे हैं कोचिंग- खेल मंत्री

साल 2012 से 15 अगस्त और 26 जनवरी को बेटियों से झंडा फहराने की शुरूआत के जनक भी सुनील जागलान हैं, जिसे सरकार ने अपनाया. 2017 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ग्रामीण विकास का बीबीपुर मॉडल ऑफ विमेन एंपावरमेंट एंड विलेज डेवलपमेंट प्लान 100 गांव गोद लेकर लागू किया. हर गांव में पुस्तकालय की शुरुआत बीबीपुर से हुई. कोरोना काल में देश की पहली डिजिटिल ग्राम सभा भी जागलान की देन है, जिसका मॉडल पंचायत एवं विकास विभाग ने केंद्र सरकार को भेजा है.

जींद: जिले का बीबीपुर गांव राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान के झंडे गाड़ चुका है. इस गांव की जनसंख्या करीब 6 हजार है. गांव के लोगों ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि सामाजिक बदलाव की जो मुहिम उनके गांव से शुरू हुई थी, वो अब पूरे देश और दुनिया में पहुंच जाएगी. बीबीपुर गांव का बदलाव देश-दुनिया में एक माडल बन गया है. इस काम को करने का श्रेय बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच सुनील जागलान को जाता है.

हरियाणा के जींद जिले के बीबीपुर गांव से शुरू हुई बदलाव की कहानी अब दिल्ली के निजी स्कूलों के दसवीं कक्षा के बच्चे भी पढ़ेंगे. मिशन 'पॉसिबल' के तहत गांवों को शहरों के समान सुंदर बनाने से लेकर उनका डिजिटलीकरण करने, पंचायतों को आनलाइन बनाने और महिला सशक्तिकरण के साथ ही बेटियों के चेहरों पर मुस्कान लाने की जो मुहिम सरपंच के नाते सुनील जागलान ने शुरू की थी, आज वो पूरे देश और दुनिया में मिसाल बन गई है. उनके द्वारा शुरू किए गए सामाजिक बदलाव की कहानी दसवीं क्लास के बच्चों को पढ़ाई जाएगी, जिसमें उन्हें सुपर सरपंच संज्ञा दी गई है.

जाने सामान्य परिवार से सरपंच और फिर किताबों में बने 'सुपर सरपंच' सुनील जागलान की कहानी

'ए विलेज नेम्ड बीबीपुर'

दसवीं क्लास की इस वर्क बुक में सुनील जागलान के द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों, बदलाव के बड़े उदाहरण और उनके नतीजों के साथ ही बच्चों के लिए प्रेरणा के स्रोत के रूप में चैप्टर दिया गया है, जिसका नाम है, ए विलेज नेम्ड बीबीपुर. स्काईपाथ नामक इस वर्क बुक की सीरीज एडीटर डीपीएस शारजाह (संयुक्त अरब अमीरात) की फाउंडर प्रिंसिपल एवं दिल्ली के संस्कृति स्कूल की पूर्व प्रिंसिपल आभा सहगल हैं. अमृता विद्यालय दुर्गापुर की सह-प्रिंसपल सुथापा मुखर्जी ने ये पुस्तक लिखी है. अब अगस्त से ये पुस्तक दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में अगस्त से आरंभ होने वाले शिक्षा सत्र में पढ़ाई जाएगी. फिर इसे देश के बाकी राज्यों में पढ़ाने की शुरुआत होगी.

पूर्व सरपंच सुनील जागलान की कहानी

सुनील जागलान छह जून 2010 से जनवरी 2016 तक बीबीपुर गांव के सरपंच रहे. सरपंच बनने के बाद 2012 में जागलान एक बेटी नंदिनी के पिता बने. तब उन्होंने महिला सशक्तिकरण खासकर बेटियों को बचाने और उनके चेहरों पर मुस्कान लाने का अभियान शुरू किया, जो आज दुनिया में सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन के रूप में जानी जाती है. बेटी-बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की परिकल्पना भी यहीं से पैदा हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश-विदेश में आठ बार जागलान के इस अभियान की अपने भाषण में दिल खोलकर तारीफ की.


बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच सुनील जागलान अब मिशन (अभियान) के मुखिया बन चुके हैं. महिला सशक्तिकरण, पंचायतों को उनके अधिकार दिलाने और हाइटेक बनाने के जो अभियान उन्होंने कई साल पहले गांव स्तर पर शुरू किए थे, अब वो पूरे देश और प्रदेश में लागू हो रहे हैं. सबसे पहले उन्होंने बीबीपुर की पंचायत की वेबसाइट बनाई. पूरे देश की पंचायतों ने इसे अपनया.

सुनील जागलान की गांव को सौगात

  • 2015 में केंद्र सरकार ने सभी पंचायतों के डिजिटलाइजेशन की घोषणा की.
  • 2012 में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए उन्होंने ने पहली महिला ग्राम सभा और महाखाप पंचायत की, जिसमें महिलाओं ने भागेदीरी की.
  • 2012 में 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' अभियान की आधारभूत शुरुआत बीबीपुर से ही हुई. 2015 में केंद्र सरकार ने इसे देशभर में लागू किया.
  • 2012 में ग्राम सचिवालय का प्रस्ताव केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय को भेजा गया, जिसे सरकार ने बाद में लागू किया.
  • 9 जून 2015 को बीबीपुर गांव से सेल्फी विद डॉटर अभियान की शुरूआत हुई.
  • 2016 में सेल्फी विद डॉटर एंड ट्री अभियान चला.

ये भी पढ़ें:-हर गांव में बनेंगे यूथ क्लब, आजकल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बच्चों को दे रहे हैं कोचिंग- खेल मंत्री

साल 2012 से 15 अगस्त और 26 जनवरी को बेटियों से झंडा फहराने की शुरूआत के जनक भी सुनील जागलान हैं, जिसे सरकार ने अपनाया. 2017 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ग्रामीण विकास का बीबीपुर मॉडल ऑफ विमेन एंपावरमेंट एंड विलेज डेवलपमेंट प्लान 100 गांव गोद लेकर लागू किया. हर गांव में पुस्तकालय की शुरुआत बीबीपुर से हुई. कोरोना काल में देश की पहली डिजिटिल ग्राम सभा भी जागलान की देन है, जिसका मॉडल पंचायत एवं विकास विभाग ने केंद्र सरकार को भेजा है.

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