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सुखबीर बादल ने की दुष्यंत चौटाला से मुलाकात, कृषि अध्यादेश पर मांगा साथ- सूत्र

केंद्र सरकार द्वारा कृषि अध्यादेशों को लेकर शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल और दुष्यंत चौटाला फिर साथ दिखे हैं. सूत्रों के अनुसार सुखबीर बादल ने सोमवार देर शाम दिल्ली में दुष्यंत चौटाला से मुलाकात की है.

sukhbir badal met dushyant chautala regarding agriculture ordinance
सुखबीर बादल ने की दुष्यंत चौटाला से मुलाकात, कृषि अध्यादेश पर मांगा साथ-सूत्र
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Published : Sep 15, 2020, 1:29 PM IST

चंडीगढ़/दिल्ली: एक तरफ जहां लोकसभा में तीनों कृषि अध्यादेशों को पेश किया जा चुका है. दूसरी तरफ इन अध्यादेशों का विरोध भी रुकने का नाम नहीं ले रहा है. सूत्रों की मानें तो अकाली दल नेता सुखबीर बादल ने बीते रोज दिल्ली में हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से मुलाकात की है.

माना जा रहा है कि इस दौरान अकाली दल ने जेजेपी से कृषि अध्यादेशों पर समर्थन मांगा है. दिल्ली में हुई इस बैठक में जेजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला और जेजेपी नेता दिग्विजय चौटाला भी मौजूद रहे. इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल के महासचिव प्रेम सिंह चंदूमाजरा भी वहां मौजूद थे.

बता दें कि शिरोमणि अकाली दल कृषि अध्यादेशों में कुछ बदलाव चाहता है और इसी को लेकर उसने जेजेपी से समर्थन मांगा है. इसके अलावा आज सुखबीर बादल दिल्ली में अकाली दल की मीटिंग भी लेंगे. साथ ही उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मिलने का समय मांगा है.

व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश:

इस अध्यादेश में किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलेगी. किसानों की फसल को कोई भी कंपनी या व्यक्ति खरीद सकता है. वहीं इस अध्यादेश में किसानों को तीन दिन के अंदर पैसे मिलने की बात कही गई है.

इस अध्यादेश से क्यों नाखुश हैं किसान?

उपरोक्त विवाद को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है. जिससे किसानों को डर है कि कंपनियों के दबाव में आकर सरकार उनके साथ विश्वासघात ना कर दे. इस बात को लेकर किसान डरे हुए हैं.

मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश:

इस अध्यादेश के तहत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट खेती को बढ़ावा देने की बात कही है.

इस अध्यादेश से क्यों नाखुश है किसान?

इस अध्यादेश से किसानों को डर है कि किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जाएंगे. जिसके विरोध में किसान सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश:

देश में कालाबाजारी को रोकने के लिए साल 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया गया था. इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एक निश्चित मात्रा से अधिक खाद्य वस्तुओं का भंडारण नहीं कर सकता था.

इस अध्यादेश से क्यों नाखुश हैं किसान?

किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण करने की क्षमता नहीं है. जिससे उनको अपने उत्पादों को कंपनियों को बेचना ही पड़ेगा और कंपनियां जब चाहें इन वस्तुओं का दाम बढ़ा कर लोगों से पैसे ऐंठ सकती हैं.

चंडीगढ़/दिल्ली: एक तरफ जहां लोकसभा में तीनों कृषि अध्यादेशों को पेश किया जा चुका है. दूसरी तरफ इन अध्यादेशों का विरोध भी रुकने का नाम नहीं ले रहा है. सूत्रों की मानें तो अकाली दल नेता सुखबीर बादल ने बीते रोज दिल्ली में हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से मुलाकात की है.

माना जा रहा है कि इस दौरान अकाली दल ने जेजेपी से कृषि अध्यादेशों पर समर्थन मांगा है. दिल्ली में हुई इस बैठक में जेजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला और जेजेपी नेता दिग्विजय चौटाला भी मौजूद रहे. इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल के महासचिव प्रेम सिंह चंदूमाजरा भी वहां मौजूद थे.

बता दें कि शिरोमणि अकाली दल कृषि अध्यादेशों में कुछ बदलाव चाहता है और इसी को लेकर उसने जेजेपी से समर्थन मांगा है. इसके अलावा आज सुखबीर बादल दिल्ली में अकाली दल की मीटिंग भी लेंगे. साथ ही उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मिलने का समय मांगा है.

व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश:

इस अध्यादेश में किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलेगी. किसानों की फसल को कोई भी कंपनी या व्यक्ति खरीद सकता है. वहीं इस अध्यादेश में किसानों को तीन दिन के अंदर पैसे मिलने की बात कही गई है.

इस अध्यादेश से क्यों नाखुश हैं किसान?

उपरोक्त विवाद को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है. जिससे किसानों को डर है कि कंपनियों के दबाव में आकर सरकार उनके साथ विश्वासघात ना कर दे. इस बात को लेकर किसान डरे हुए हैं.

मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश:

इस अध्यादेश के तहत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट खेती को बढ़ावा देने की बात कही है.

इस अध्यादेश से क्यों नाखुश है किसान?

इस अध्यादेश से किसानों को डर है कि किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जाएंगे. जिसके विरोध में किसान सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश:

देश में कालाबाजारी को रोकने के लिए साल 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया गया था. इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एक निश्चित मात्रा से अधिक खाद्य वस्तुओं का भंडारण नहीं कर सकता था.

इस अध्यादेश से क्यों नाखुश हैं किसान?

किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण करने की क्षमता नहीं है. जिससे उनको अपने उत्पादों को कंपनियों को बेचना ही पड़ेगा और कंपनियां जब चाहें इन वस्तुओं का दाम बढ़ा कर लोगों से पैसे ऐंठ सकती हैं.

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