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वाह 'गुरु'! ना सरकारी मदद, ना डोनेशन, खुद की सैलरी से तैयार कर रहे राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी - स्पोर्ट्स टीचर भूपेंद्र सिंह फुटबॉल कोचिंग

कहा जाता है कि एक सच्चा गुरु खुद से ज्यादा अपने शिष्यों को महत्व देता है. ऐसे ही गुरु हैं चंडीगढ़ के स्पोर्ट्स टीचर भूपेंद्र सिंह, जो सेक्टर-22 के सरकारी स्कूल में बतौर स्पोर्ट्स टीचर सेवाएं दे रहे हैं.

Sports teacher Bhupendra Singh
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Published : Sep 4, 2021, 8:19 PM IST

चंडीगढ़: हम उस इंसान को गुरु का दर्जा देते हैं, जो हमें जिंदगी में ऐसा कुछ सिखा जाता है. एक सच्चा गुरु खुद से ज्यादा अपने शिष्यों को महत्व देता है. ऐसा ही गुरु हैं चंडीगढ़ के स्पोर्ट्स टीचर भूपेंद्र सिंह (Sports Teacher Bhupendra Singh), जो सेक्टर-22 के सरकारी स्कूल (Sector-22 Government School Chandigarh) में बतौर स्पोर्ट्स टीचर सेवाएं दे रहे हैं. लेकिन वो स्कूल में स्पोर्ट्स टीचर कम और एक फुटबॉल कोच की भूमिका ज्यादा निभा रहे हैं. वो करीब 12 सालों से बच्चों को फुटबॉल की ट्रेनिंग दे रहे हैं.

भूपेंद्र सिंह सिर्फ बच्चों को फुटबॉल ही नहीं सिखाते, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की सहायता भी करते हैं. वो ऐसे बच्चों को अपने स्तर पर खेल का सामान हो या बच्चों को किसी प्रतियोगिता में हिस्सा दिलवाना. सब वो अपने खर्च पर करते हैं. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर छात्र गरीब तबके के आते हैं. अतिरिक्त खर्च से बचने के लिए बहुत से मां-बाप अपने बच्चों को खेल में डालना नहीं चाहते और जो बच्चे खेलों में आ जाते हैं. उनके पास इतने पैसे नहीं होते कि वो खेल का सामान खरीद सकें. ऐसे बच्चों के लिए भूपेंद्र सिंह किसी मसीहा से कम नहीं हैं.

वाह 'गुरु'! ना सरकारी मदद, ना डोनेशन, खुद की सैलरी से तैयार कर रहे राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी

ईटीवी भारत के साथ बातचीत में भूपेंद्र ने कहा कि बच्चों को खेल में आगे बढ़ाने के लिए बेहतर ट्रेनिंग का होना बेहद जरूरी है. ये बच्चे इतने गरीब परिवारों से आते हैं कि महंगी अकेडमी में जाकर कोचिंग नहीं ले सकते, इसलिए उन्हें वो खुद कोचिंग देते हैं और स्कूल के बाद हर रोज उनकी फुटबॉल की ट्रेनिंग करवाते हैं.

Sports teacher Bhupendra Singh
अपने खर्च से राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार कर रहे स्पोर्ट्स टीचर भूपेंद्र सिंह

उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग के लिए बच्चों को खेल का सामान भी चाहिए होता है. जैसे फुटबॉल, ड्रेस इत्यादि. इन बच्चों के माता-पिता आर्थिक रूप से इतने मजबूत नहीं हैं कि वो बच्चों को ये सब सामान दिलवा सकें, इसलिए मैं खुद अपने स्तर पर बच्चों को सामान मुहैया करवाता हूं. इस सामान के लिए दूसरे लोगों से बात भी करता हूं. ताकि हमें डोनेशन मिल सके और बच्चों को प्रैक्टिस के लिए सामान मुहैया करवाया जा सके.

ये भी पढ़ें- पैरा ओलंपिक में गोल्ड जीतकर लौटे सुमित अंतिल का ढोल नगाड़ों के साथ जोरदार स्वागत, देखें वीडियो

भूपेंद्र सिंह ने बताया कि अगर देश में कहीं भी कोई प्रतियोगिता होती है. तो वो उन बच्चों को अपने खर्चे पर प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए लेकर जाते हैं. बेशक इसमें उनके बहुत से पैसे खर्च हो जाते हैं, लेकिन बच्चों के प्रदर्शन के सामने पैसा कोई मायने नहीं रखता. उन्होंने कहा कि ये बच्चे खूब मेहनत कर रहे हैं. 12 सालों में उन्होंने जितने बच्चों को ट्रेनिंग दी है. वो बच्चे स्कूल में रहते हुए कई बार राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा ले चुके हैं. अब वो अच्छे स्तर पर खेल रहे हैं.

Sports teacher Bhupendra Singh
स्कूल के बाद रोजाना देते हैं फुटबॉल की कोचिंग

कुछ खिलाड़ियों ने भी ईटीवी भारत से बातचीत की. नंदनी और साक्षी नाम की फुटबॉल खिलाड़ी ने बताया कि वो कई सालों से भूपेंद्र सिंह के पास फुटबॉल की कोचिंग ले रही हैं और वो बहुत अच्छी तरह से उन्हें फुटबॉल के गुर सिखा रहे हैं. ज्यादातर लड़कियां राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताएं खेल चुकी हैं. लड़की खिलाड़ियों ने कहा कि पहले हमारे माता-पिता हमें इस खेल में नहीं आने देना चाहते थे, लेकिन भूपेंद्र सर ने उन्हें समझाया. इसके बाद वो यहां पर कोचिंग लेने के लिए आने लगी.

Sports teacher Bhupendra Singh
आर्थिक रूप से कमजोर लड़कियों को दे रहे फ्री में कोचिंग

ये भी पढ़ें- Teachers Day Special: शिक्षा के साथ बच्चों को सिखा रहीं जीवन की कला, अपने खर्चे पर कराती हैं सैर

9वीं से 12वीं क्लास तक की लड़कियां यहां फुटबॉल की प्रेक्टिस करती हैं. उनका कहना है कि भूपेंद्र सिंह जैसे टीचर, एक टीचर होने का असली फर्ज निभा रहे हैं. वो बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हैं और इस बात को भी समझते हैं कि बच्चों का भविष्य एक टीचर ही बदल सकता है. इसलिए वो बच्चों के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं. हालांकि उन्हें कोई सरकारी सहायता नहीं मिलती, लेकिन फिर भी अपने बलबूते वो सैलरी से पैसे खर्च करके इन बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने में लगे हुए हैं.

चंडीगढ़: हम उस इंसान को गुरु का दर्जा देते हैं, जो हमें जिंदगी में ऐसा कुछ सिखा जाता है. एक सच्चा गुरु खुद से ज्यादा अपने शिष्यों को महत्व देता है. ऐसा ही गुरु हैं चंडीगढ़ के स्पोर्ट्स टीचर भूपेंद्र सिंह (Sports Teacher Bhupendra Singh), जो सेक्टर-22 के सरकारी स्कूल (Sector-22 Government School Chandigarh) में बतौर स्पोर्ट्स टीचर सेवाएं दे रहे हैं. लेकिन वो स्कूल में स्पोर्ट्स टीचर कम और एक फुटबॉल कोच की भूमिका ज्यादा निभा रहे हैं. वो करीब 12 सालों से बच्चों को फुटबॉल की ट्रेनिंग दे रहे हैं.

भूपेंद्र सिंह सिर्फ बच्चों को फुटबॉल ही नहीं सिखाते, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की सहायता भी करते हैं. वो ऐसे बच्चों को अपने स्तर पर खेल का सामान हो या बच्चों को किसी प्रतियोगिता में हिस्सा दिलवाना. सब वो अपने खर्च पर करते हैं. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर छात्र गरीब तबके के आते हैं. अतिरिक्त खर्च से बचने के लिए बहुत से मां-बाप अपने बच्चों को खेल में डालना नहीं चाहते और जो बच्चे खेलों में आ जाते हैं. उनके पास इतने पैसे नहीं होते कि वो खेल का सामान खरीद सकें. ऐसे बच्चों के लिए भूपेंद्र सिंह किसी मसीहा से कम नहीं हैं.

वाह 'गुरु'! ना सरकारी मदद, ना डोनेशन, खुद की सैलरी से तैयार कर रहे राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी

ईटीवी भारत के साथ बातचीत में भूपेंद्र ने कहा कि बच्चों को खेल में आगे बढ़ाने के लिए बेहतर ट्रेनिंग का होना बेहद जरूरी है. ये बच्चे इतने गरीब परिवारों से आते हैं कि महंगी अकेडमी में जाकर कोचिंग नहीं ले सकते, इसलिए उन्हें वो खुद कोचिंग देते हैं और स्कूल के बाद हर रोज उनकी फुटबॉल की ट्रेनिंग करवाते हैं.

Sports teacher Bhupendra Singh
अपने खर्च से राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार कर रहे स्पोर्ट्स टीचर भूपेंद्र सिंह

उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग के लिए बच्चों को खेल का सामान भी चाहिए होता है. जैसे फुटबॉल, ड्रेस इत्यादि. इन बच्चों के माता-पिता आर्थिक रूप से इतने मजबूत नहीं हैं कि वो बच्चों को ये सब सामान दिलवा सकें, इसलिए मैं खुद अपने स्तर पर बच्चों को सामान मुहैया करवाता हूं. इस सामान के लिए दूसरे लोगों से बात भी करता हूं. ताकि हमें डोनेशन मिल सके और बच्चों को प्रैक्टिस के लिए सामान मुहैया करवाया जा सके.

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भूपेंद्र सिंह ने बताया कि अगर देश में कहीं भी कोई प्रतियोगिता होती है. तो वो उन बच्चों को अपने खर्चे पर प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए लेकर जाते हैं. बेशक इसमें उनके बहुत से पैसे खर्च हो जाते हैं, लेकिन बच्चों के प्रदर्शन के सामने पैसा कोई मायने नहीं रखता. उन्होंने कहा कि ये बच्चे खूब मेहनत कर रहे हैं. 12 सालों में उन्होंने जितने बच्चों को ट्रेनिंग दी है. वो बच्चे स्कूल में रहते हुए कई बार राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा ले चुके हैं. अब वो अच्छे स्तर पर खेल रहे हैं.

Sports teacher Bhupendra Singh
स्कूल के बाद रोजाना देते हैं फुटबॉल की कोचिंग

कुछ खिलाड़ियों ने भी ईटीवी भारत से बातचीत की. नंदनी और साक्षी नाम की फुटबॉल खिलाड़ी ने बताया कि वो कई सालों से भूपेंद्र सिंह के पास फुटबॉल की कोचिंग ले रही हैं और वो बहुत अच्छी तरह से उन्हें फुटबॉल के गुर सिखा रहे हैं. ज्यादातर लड़कियां राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताएं खेल चुकी हैं. लड़की खिलाड़ियों ने कहा कि पहले हमारे माता-पिता हमें इस खेल में नहीं आने देना चाहते थे, लेकिन भूपेंद्र सर ने उन्हें समझाया. इसके बाद वो यहां पर कोचिंग लेने के लिए आने लगी.

Sports teacher Bhupendra Singh
आर्थिक रूप से कमजोर लड़कियों को दे रहे फ्री में कोचिंग

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9वीं से 12वीं क्लास तक की लड़कियां यहां फुटबॉल की प्रेक्टिस करती हैं. उनका कहना है कि भूपेंद्र सिंह जैसे टीचर, एक टीचर होने का असली फर्ज निभा रहे हैं. वो बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हैं और इस बात को भी समझते हैं कि बच्चों का भविष्य एक टीचर ही बदल सकता है. इसलिए वो बच्चों के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं. हालांकि उन्हें कोई सरकारी सहायता नहीं मिलती, लेकिन फिर भी अपने बलबूते वो सैलरी से पैसे खर्च करके इन बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने में लगे हुए हैं.

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