चंडीगढ़: सीनेट ने पंजाब यूनिवर्सिटी के विभिन्न पाठ्यक्रमों की फीस बढ़ाने को हरी झंडी दे दी है. पारंपरिक पाठ्यक्रमों के लिए 5 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी और विकास निधि के नाम पर 500 रुपये लिए जाएंगे. पहले से पढ़ाई कर रहे छात्रों की फीस में भी 5 फीसदी की बढ़ोतरी होगी. सत्र 2023-24 के लिए यूनिवर्सिटी के विभागों और इसके क्षेत्रीय केंद्रों कॉलेजों में ट्यूशन शुल्क और अन्य यूनिवर्सिटी शुल्क पर चर्चा करने के लिए कुलपति (वीसी) द्वारा गठित समिति की सिफारिश के बाद सीनेट में एक एजेंडा लाया गया था.
सीनेट की मीटिंग के दौरान 6 पाठ्यक्रमों के लिए 15% की फीस वृद्धि का प्रस्ताव दिया था, जिसमें यूनिवर्सिटी बिजनेस स्कूल (यूबीएस) के एमबीए (जनरल, आईबी, एचआर), यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंस (यूआईपीएस) के बी फार्मा और एम फार्मा, बीई (केमिकल/फूड टेक) शामिल हैं) डॉक्टर एसएस भटनागर यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (एसएसबीयूआईसीईटी) और कानून विभाग के एलएलबी और एलएलएम शामिल हैं. इसके अलावा, मीटिंग में सत्र 2023-24 से बुनियादी ढांचे/प्रयोगशाला विकास शुल्क के रूप में प्रति छात्र प्रति वर्ष 10 हजार रुपये जोड़े.
जबकि कुछ सीनेटर पीयू में राजस्व उत्पन्न करने के लिए फीस वृद्धि के पक्ष में थे. जबकि कुछ ने ये कहते हुए इसका विरोध किया कि ये उन छात्रों पर बोझ डालेगा, जो इसे वहन नहीं कर सकते. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल और चंडीगढ़ के पूर्व सांसद सत्य पाल जैन ने शुल्क वृद्धि का कड़ा विरोध किया. उन्होंने कहा कि फीस बढ़ोतरी का मतलब शिक्षा को गरीबों से अलग करना है. मैं पूरी तरह से असहमत हूं और पीयू को राजस्व उत्पन्न करने के लिए अन्य स्रोत खोजने का सुझाव देता हूं. इस निर्णय के साथ, अब पीयू के सभी पारंपरिक पाठ्यक्रमों में शुल्क संरचना में 5% की वृद्धि होगी और स्व-वित्तपोषित पाठ्यक्रमों में 7.5% की वृद्धि होगी.