चंडीगढ़: हरियाणा में कोरोना का प्रभाव धीरे-धीरे कम हो रहा है. जिसके चलते चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा लोगों के लिए कल्चरल फेस्टिवल शुरू कर दिया है. इस कड़ी चंडीगढ़ में शुक्रवार से रोज फेस्टिवल (Rose Festival in Chandigarh) का आयोजन शुरू हो गया है. रोज फेस्टिवल चंडीगढ़ शहर का मुख्य आयोजन है. इस फेस्टिवल में गुलाबों की डेढ़ हजार से भी ज्यादा किस्में इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित की जाती है. कई राज्यों और विदेशों से लोग यहां पर गुलाबों की अलग-अलग किस्में और प्रकृति का अद्भुत नजारा देखने के लिए पहुंचते है.
मेले में अलग-अलग संस्कृतियों मेल देखने को मिलता है. रोज फेस्टिवल में कई तरह के सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते है. जिसमें अलग-अलग राज्यों से आए कलाकार अपनी कला और संस्कृति का प्रदर्शन करते है. इस बार के रोज फेस्टिवल में हरियाणा के कलाकार भी अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे है. इस आयोजन में हरियाणवी लोक नृत्य के जरिए ना केवल लोगों का मनोरंजन कर रहे है. बल्कि हरियाणवी संस्कृति और पहनावे से लोगों को रूबरू भी करवा रहे है.
इस आयोजन में भाग ले रहे हरियाणवी कलाकारों से ईटीवी भारत की टीम ने खास बातचीत की. हरियाणवी लोक नित्यानी प्रीत कौर ने बताया कि वे हरियाणा के कुरुक्षेत्र से होने वाली है और पिछले कई सालों से हरियाणवी लोक नृत्य करती आ रही है. उन्होंने इस तरह के कई बड़े आयोजनों में हरियाणवी लोक नृत्य का प्रदर्शन किया है. हरियाणवी लोक नृत्य के जरिये हरियाणा की संस्कृति को लोगों के बीच दिखा रही है.
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प्रीत कौर ने बताया कि उन्हें रोज फेस्टिवल में आकर अच्छा लग रहा है क्योंकि यह एक अच्छा और बड़ा आयोजन है. जहां पर प्रकृति का सुंदर नजारा देखने को मिल रहा है. इस आयोजन में हरियाणवी नृत्य का प्रदर्शन भी किया था. जिसे दर्शकों ने काफी पसंद भी किया था. लोगों के हौसले के कारण हमें और बेहतर करने का हौसला मिलता है. टीम के अन्य सदस्य महेंद्र सिंह ने कहा कि हरियाणवी संस्कृति से बेहद प्यार और लगाव है.
हम लोगों का बीच हरियाणवी खानपान, हरियाणवी पहनावा और हरियाणवी संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे है. हमारे ग्रुप में कई युवा कलाकार भी है. जो हरियाणवी संस्कृति को आगे बड़ा रहे है. हरयाणवी संस्कृति से दूर होते युवाओं को भी इस हमारे नृत्य के जरिये हरियाणवी संस्कृति से साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे है. इस तरह के आयोजनों में आकर लोक नृत्य और पहनावा को प्रदर्शित करने का मकसद यही है कि हरियाणा की संस्कृति को आगे बढ़ाया जा सके और लोगों को बताया जा सके कि हमारी असली पहचान हमारी संस्कृति ही है.हरियाणवी पहनावा पर बात करते हुए कहा की पुराने समय में अधिकांश लोगो हरियाणा में इस तरह के पहनावे पहने जाते थे.
आज हरियाणवी कल्चर पूरी तरह से विलुप्त हो चुका है. कलाकारों ने बताया कि हमारा मकसद तो हरियाणवी संस्कृति को दिखाना है. लोगों ने भी उनके पहनावे और उनके लोक नृत्य को काफी पसंद किया है. जिससे युवा और बच्चे ना सिर्फ संस्कृति को पसंद कर रहे है. बल्कि उन्हें उम्मीद है कि इस आयोजन के द्वारा आज के युवा अपनी हरयाणवी जड़ों से जुड़ने की कोशिश भी करेंगे.
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