ETV Bharat / state

चंडीगढ़: कोरोना से मरने वाले लोगों का मुफ्त में अंतिम संस्कार करती है ये संस्था

कई ऐसे लोग हैं जो कोरोना के दौर में अपनों को अंतिम विदाई तक नहीं दे पाए. किसी को महामारी का डर है तो किसी के आगे पैसे की कमी है. ऐसे में चंडीगढ़ की रेड क्रॉस सोसायटी पिछले कई महीनों से चंडीगढ़ में 170 से ज्यादा कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार करने में मदद कर चुकी है.

red cross society of chandigarh doing cremation of corona patients
कोरोना मरीजों की अंतिम यात्रा में अहम रोल अदा कर रही ये संस्था, कराए 170 से ज्यादा अंतिम संस्कार
author img

By

Published : Sep 15, 2020, 2:10 PM IST

चंडीगढ़: कोरोना वायरस से मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. इस समय माहौल ऐसा है कि कोई भी कोरोना वायरस से संक्रमित शव को हाथ नहीं लगाना चाहता. डेड बॉडी को शमशान घाट पहुंचाने और फिर अंतिम संस्कार करने में परिजनों को भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

ऐसे में चंडीगढ़ की रेड क्रॉस सोसाइटी ने सराहनीय पहल की है. इस संस्था ने अमीर हो या फिर गरीब, हर किसी की मदद करते हुए डेड बॉडी को अस्पताल से शमशान घाट ले जाने से लेकर उन के अंतिम संस्कार की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले रखी है.

कोरोना से मरने वाले लोगों का मुफ्त में अंतिम संस्कार करती है ये संस्था

चंडीगढ़ के अस्पतालों में हरियाणा, पंजाब सहित हिमाचल से भी कोरोना मरीज इलाज के लिए आते हैं. चंडीगढ़ में पहले 2 से 3 ही मरीजों की मौत हो रही थी, लेकिन अब हर रोज एक दर्जन ज्यादा मरीज कोरोना की वजह से दम तोड़ रहे हैं. रेड क्रॉस से जुड़े लोग हर रोज 3 से 4 कोरोना मरीजों के शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. अभी तक ये संस्था करीब 170 कोरोना मरीजों का अंतिम संस्कार चुकी है.

रेड क्रॉस के लिए काम करने वाले बीएसएफ के रिटायर्ड डीआईजी मोहनलाल ने बताया की रेड क्रॉस की ओर से जितने भी शव हॉस्पिटल से लेकर शमशान घाट तक पहुंचाए जाते हैं, उसके लिए रेड क्रॉस कोई फीस नहीं लेता है. अगर चिता में दाह संस्कार करना है तो नगर निगम उसके लिए 3000 रुपये लेता है, लेकिन अगर दाह संस्कार मशीन में किया जाता है तो उसकी फीस सिर्फ 25 रुपये लगती है. रेड क्रॉस अंतिम संस्कार में गरीब लोगों की मदद भी करता है. कई बार गरीब लोगों की मदद के लिए रेड क्रॉस उनसे एक भी रुपये नहीं लेता है.

कोरोना मरीजों के शवों को जलाने वाले रघुवीर सिंह ने बताया कि रेड क्रॉस की टीम मरीजों के शवों को पैक करके यहां छोड़ जाती है, जिसके बाद वो उन्हें पीपीई किट पहनकर जलाते हैं.

ये भी पढ़िए: सड़क पर घूम रहे आवारा पशु, क्या ऐसे बनेगा फरीदाबाद स्मार्ट सिटी?

इस महामारी में जहां कोरोना मरीजों के शवों से ज्यादातर परिजन दूरी बना कर रखना चाहते हैं. ऐसे वक्त में जब कोरोना मरीजों के शवों के साथ बरती जा रही लापरवाही से जुड़ी कई खबरें सामने आ रही हैं. इस बीच रेड क्रॉस जैसी संस्थाएं भी हैं. जिससे जुड़े लोग अपनी परवाह किए बिना इस मनुष्य जीवन के सफर की अंतिम यात्रा में सहयोग दे रहे हैं.

चंडीगढ़: कोरोना वायरस से मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. इस समय माहौल ऐसा है कि कोई भी कोरोना वायरस से संक्रमित शव को हाथ नहीं लगाना चाहता. डेड बॉडी को शमशान घाट पहुंचाने और फिर अंतिम संस्कार करने में परिजनों को भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है.

ऐसे में चंडीगढ़ की रेड क्रॉस सोसाइटी ने सराहनीय पहल की है. इस संस्था ने अमीर हो या फिर गरीब, हर किसी की मदद करते हुए डेड बॉडी को अस्पताल से शमशान घाट ले जाने से लेकर उन के अंतिम संस्कार की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले रखी है.

कोरोना से मरने वाले लोगों का मुफ्त में अंतिम संस्कार करती है ये संस्था

चंडीगढ़ के अस्पतालों में हरियाणा, पंजाब सहित हिमाचल से भी कोरोना मरीज इलाज के लिए आते हैं. चंडीगढ़ में पहले 2 से 3 ही मरीजों की मौत हो रही थी, लेकिन अब हर रोज एक दर्जन ज्यादा मरीज कोरोना की वजह से दम तोड़ रहे हैं. रेड क्रॉस से जुड़े लोग हर रोज 3 से 4 कोरोना मरीजों के शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. अभी तक ये संस्था करीब 170 कोरोना मरीजों का अंतिम संस्कार चुकी है.

रेड क्रॉस के लिए काम करने वाले बीएसएफ के रिटायर्ड डीआईजी मोहनलाल ने बताया की रेड क्रॉस की ओर से जितने भी शव हॉस्पिटल से लेकर शमशान घाट तक पहुंचाए जाते हैं, उसके लिए रेड क्रॉस कोई फीस नहीं लेता है. अगर चिता में दाह संस्कार करना है तो नगर निगम उसके लिए 3000 रुपये लेता है, लेकिन अगर दाह संस्कार मशीन में किया जाता है तो उसकी फीस सिर्फ 25 रुपये लगती है. रेड क्रॉस अंतिम संस्कार में गरीब लोगों की मदद भी करता है. कई बार गरीब लोगों की मदद के लिए रेड क्रॉस उनसे एक भी रुपये नहीं लेता है.

कोरोना मरीजों के शवों को जलाने वाले रघुवीर सिंह ने बताया कि रेड क्रॉस की टीम मरीजों के शवों को पैक करके यहां छोड़ जाती है, जिसके बाद वो उन्हें पीपीई किट पहनकर जलाते हैं.

ये भी पढ़िए: सड़क पर घूम रहे आवारा पशु, क्या ऐसे बनेगा फरीदाबाद स्मार्ट सिटी?

इस महामारी में जहां कोरोना मरीजों के शवों से ज्यादातर परिजन दूरी बना कर रखना चाहते हैं. ऐसे वक्त में जब कोरोना मरीजों के शवों के साथ बरती जा रही लापरवाही से जुड़ी कई खबरें सामने आ रही हैं. इस बीच रेड क्रॉस जैसी संस्थाएं भी हैं. जिससे जुड़े लोग अपनी परवाह किए बिना इस मनुष्य जीवन के सफर की अंतिम यात्रा में सहयोग दे रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.