चंडीगढ़: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने एक महत्वाकांक्षी योजना स्टार्टअप इंडिया की शुरुआत 2016 में की थी, जिसे हरियाणा ने 2017 में अपनाया था. इसके तहत अपना बिजनेस शुरू करने वाले युवाओं को सरकार लोन उपलब्ध कराती है. हरियाणा सरकार का कहना है कि उसने बीते सालों में प्रदेश के युवाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने में मदद की है.
स्टार्टअप पर ये है सरकार का दावा-
वर्तमान सरकार का दावा है कि उनके कार्यकाल में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश से 29 विशाल इकाइयां स्थापित की गई हैं. इनमें 6,884 करोड़ रुपये के निवेश से 14,285 व्यक्तियों को रोजगार दिया गया है, लेकिन प्रदेश के युवा सरकार के इन दावों से इत्तेफाक नहीं रखते.
युवाओं को नहीं मिल रहा लाभ
युवाओं का कहना है कि सरकार की तरफ से उन्हें कोई खास मदद नहीं मिली है. युवाओं का तो ये भी कहना है कि सरकार ने इकॉनोमी की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दिया. युवाओं का कहना है कि केंद्र सरकार कुछ भी कहे असलियत तो ये है कि हरियाणा में बेरोजगारी बढ़ी है.
बेरोजगारी की रिपोर्ट तो कुछ और बता रही है
सरकार कहती है स्टार्टअप के जरिए रोजगार दिए गए हैं. युवा ये मानने को तैयार नहीं हैं. इसीलिए एक आंकड़े का जानना बहुत जरूरी है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी ने जनवरी 2019 से अप्रैल 2019 के बीच बेरोजगारी की स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी की. जिसके अनुसार देश की बेरोजगारी दर 6.9 प्रतिशत थी तो हरियाणा की बेरोजगारी दर 20.5 प्रतिशत थी.
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स्टार्टअप पर सरकार की ये भी है योजना
बता दें कि हरियाणा सरकार ने स्टार्टअप योजना को बढ़ावा देने के लिए वार्षिक स्टार्टअप प्रतियोगिता (सुप्रति) कराने की योजना तैयार की है. इसके तहत छात्र कॉलेज स्तर पर स्टार्टअप के लिए बिजनेस प्लान तैयार करेंगे. प्रतियोगिता के तहत विजेताओं को स्टार्टअप शुरू करने के लिए बकायदा नकद पुरस्कार दिया जाएगा.