चंडीगढ़: हिंदू पंचांग के अनुसार सावन पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का (Raksha Bandhan 2022) त्योहार मनाया जाता है. पूरा साल बहनों को इस त्योहार का इंतजार रहता है. लेकिन अब की बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा और भद्रा होने के चलते लोगों में भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि आखिर किस तारीख को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाए. इस बार ज्योतिषियों ने 11 अगस्त को मनाने का विचार किया है.
कब है शुभ मुहूर्त: 11 अगस्त को सुबह सूर्य देव के साथ चतुर्दशी तिथि रहेगी और 10:58 बजे से पूर्णिमा तिथि आरंभ हो जाएगी. पूर्णिमा तिथि (Raksha bandhan timing) के साथ ही भद्रा भी आरंभ हो जाएगी, जो कि शाम 8:50 बजे तक रहेगी. शास्त्रों में भद्रा काल में राखी का पर्व मनाना निषेध कहा गया है और 11 अगस्त को ही भद्रा का काल शाम 8:50 बजे तक रहेगा. इस समय के बाद ही राखी बांधना ज्यादा उपयुक्त रहेगा. 12 अगस्त को सुबह 7:05 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा और इससे पहले बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती है. वहीं, 11 अगस्त को भी रक्षाबंधन के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:12 से लेकर 7:50 तक है. ऐसे में भी बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती है.
क्या कहते हैं ज्योतिष: ज्योतिषाचार्य दीप कुमार शास्त्री का (Raksha Bandhan Shubh Muhurat) कहना है कि इस बार भद्रा का वास पृथ्वी लोक में नहीं है और भद्रा पाताल लोक में वास कर रही है. ऐसे में पृथ्वी पर इसका इतना प्रभाव नहीं रहेगा. रक्षाबंधन पर घटित होने वाली भद्रा वृश्चिकी भद्रा है. वृश्चिकी भद्रा की पूंछ भी त्याज्य है. इसलिए भी इस बीच राखी का त्योहार नहीं मनाया जाता है. ऐसे में बहनें 11 अगस्त को सुबह शुभ मुहूर्त में अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं. वहीं, 12 अगस्त को भी सुबह के समय राखी के लिए काफी अच्छा मुहूर्त है.
भद्रा में क्यों नहीं बांधते राखी: भद्रा काल में (Raksha bandhan 2022 Bhadra time) राखी बांधना वर्जित है. पौराणिक कथा के अनुसार लंका नरेश रावण की बहन ने भद्राकाल में राखी बांधी थी जिसके कारण रावण का सर्वनाश हो गया था. भद्राकाल में राखी (rakhi 2022 date and time) बाधंना अशुभ माना गया है, इसके पीछे एक पौराणिक कथा ये है कि शनिदेव की बहन का नाम भद्रा था. भद्रा का स्वभाव बहुत क्रूर था वो हर मांगलिक कार्य, पूजा-पाठ, यज्ञ में विघ्न डालती थी. लिहाजा भद्राकाल में कोई शुभ काम करना अच्छा नहीं माना जाता. इसके परिणाम अशुभ होते हैं.