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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के ड्राफ्ट बाइलॉज को नोटिफाई करने के फैसले पर लगाई रोक - पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट खबर

हाईकोर्ट ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के ड्राफ्ट बाइलॉज को नोटिफाई करने के फैसले पर भी रोक लगा दी है. जस्टिस जितेंद्र चौहान और जस्टिस विवेक पुरी की खंडपीठ ने चंडीगढ़ प्रशासन और निगम को नोटिस जारी करते हुए मामले पर 10 मई के लिए सुनवाई तय की है.

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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के ड्राफ्ट बाइलॉज को नोटिफाई करने के फैसले पर लगाई रोक
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Published : Apr 7, 2021, 10:50 PM IST

चंडीगढ़: लोगों के घरों से ही रेड़ी में कूड़ा ले जाने वाले गार्बेज कलेक्टर को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से फिलहाल राहत मिली गई है. हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ नगर निगम के जनरल हाउस द्वारा 13 दिसंबर 2019 को पारित किए गए प्रस्ताव पर रोक लगा दी है, जिसमें कूड़ा करकट लाने-ले जाने के लिए वाहन खरीदने का फैसला लिया गया था.

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के ड्राफ्ट बाइलॉज को नोटिफाई करने के फैसले पर भी रोक लगा दी है. जस्टिस जितेंद्र चौहान और जस्टिस विवेक पुरी की खंडपीठ ने चंडीगढ़ प्रशासन और निगम को नोटिस जारी करते हुए मामले पर 10 मई के लिए सुनवाई तय की है.

ये भी पढे़ं: चंडीगढ़ नाइट कर्फ्यू में इन चीजों पर मिलेगी छूट, हो सकता है वीकेंड लॉकडाउन पर विचार

लोगों के घरों से रेड़ी में कूड़ा करकट ले जाने वालों की तरफ से याचिका दायर कर कहा गया था कि गार्बेज कलेक्शन के काम के लिए केंद्र सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के दिशा निर्देशों की अनदेखी कर मिडिल मैन तैनात किया गया है. दिशानिर्देशों में स्पष्ट है कि हेल्प ग्रुप की मदद ली जा सकती है, जबकि इस काम के लिए किसी मिडलमैन को नियुक्त नहीं किया जा सकता, प्रशासन इस काम के लिए आउटसोर्स एजेंसी की मदद ले रहा है.

ये भी पढे़ं: जानबूझ कर केस लंबित करने वालों के खिलाफ जिला अदालतें उठाएं सख्त कदम: हाईकोर्ट

याचिका दायर करने वालों की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि वो 15, 20 सालों से लोगों के घरों से रेड़ी में कूड़ा करकट ले जाने का काम कर रहे हैं. चंडीगढ़ नगर निगम ने उनकी जगह मोटराइज्ड गार्बेज कलेक्शन का फैसला लिया है और इसमें नगर निगम की गाड़ी लोगों के घरों से सूखा और गीला कचरा अलग अलग ले जाएगी. लगभग 2,300 लोग घरों से कूड़ा करकट ले जाने का काम कर रहे थे जबकि अब महज 800 को ही मोटराइज्ड गार्बेज कलेक्शन के काम पर रखा गया है.

ये भी पढे़ं: बुधवार को चंडीगढ़ में मिले रिकॉर्ड 399 नए पॉजिटिव मरीज, दो की मौत

याचिका में कहा गया कि कोविड-19 के कठिन दौर में उनकी आय का एकमात्र साधन छीना जा रहा है, जबकि फैसला लेते हुए उन्हें अपनी बात रखने का मौका तक नहीं दिया गया. याची पक्ष की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि लोगों के घरों से कूड़ा ले जाने वालों में ज्यादा कर अनुसूचित जाति या पिछड़ी जाति से जुड़े आर्थिक रूप से कमजोर लोग शामिल है. ऐसे में उनकी आय का साधन न छीना जाए और प्रभावित लोगों को अपनी बात रखने का मौका दिया जाए.

चंडीगढ़: लोगों के घरों से ही रेड़ी में कूड़ा ले जाने वाले गार्बेज कलेक्टर को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से फिलहाल राहत मिली गई है. हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ नगर निगम के जनरल हाउस द्वारा 13 दिसंबर 2019 को पारित किए गए प्रस्ताव पर रोक लगा दी है, जिसमें कूड़ा करकट लाने-ले जाने के लिए वाहन खरीदने का फैसला लिया गया था.

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के ड्राफ्ट बाइलॉज को नोटिफाई करने के फैसले पर भी रोक लगा दी है. जस्टिस जितेंद्र चौहान और जस्टिस विवेक पुरी की खंडपीठ ने चंडीगढ़ प्रशासन और निगम को नोटिस जारी करते हुए मामले पर 10 मई के लिए सुनवाई तय की है.

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लोगों के घरों से रेड़ी में कूड़ा करकट ले जाने वालों की तरफ से याचिका दायर कर कहा गया था कि गार्बेज कलेक्शन के काम के लिए केंद्र सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के दिशा निर्देशों की अनदेखी कर मिडिल मैन तैनात किया गया है. दिशानिर्देशों में स्पष्ट है कि हेल्प ग्रुप की मदद ली जा सकती है, जबकि इस काम के लिए किसी मिडलमैन को नियुक्त नहीं किया जा सकता, प्रशासन इस काम के लिए आउटसोर्स एजेंसी की मदद ले रहा है.

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याचिका दायर करने वालों की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि वो 15, 20 सालों से लोगों के घरों से रेड़ी में कूड़ा करकट ले जाने का काम कर रहे हैं. चंडीगढ़ नगर निगम ने उनकी जगह मोटराइज्ड गार्बेज कलेक्शन का फैसला लिया है और इसमें नगर निगम की गाड़ी लोगों के घरों से सूखा और गीला कचरा अलग अलग ले जाएगी. लगभग 2,300 लोग घरों से कूड़ा करकट ले जाने का काम कर रहे थे जबकि अब महज 800 को ही मोटराइज्ड गार्बेज कलेक्शन के काम पर रखा गया है.

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याचिका में कहा गया कि कोविड-19 के कठिन दौर में उनकी आय का एकमात्र साधन छीना जा रहा है, जबकि फैसला लेते हुए उन्हें अपनी बात रखने का मौका तक नहीं दिया गया. याची पक्ष की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि लोगों के घरों से कूड़ा ले जाने वालों में ज्यादा कर अनुसूचित जाति या पिछड़ी जाति से जुड़े आर्थिक रूप से कमजोर लोग शामिल है. ऐसे में उनकी आय का साधन न छीना जाए और प्रभावित लोगों को अपनी बात रखने का मौका दिया जाए.

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