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चंडीगढ़: किसानों के समर्थन में पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वकीलों ने निकाली कार रैली - चंडीगढ़ वकील किसान आंदोलन समर्थन

किसान दिवस के मौके पर चंडीगढ़ में पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वकीलों ने रैली निकाल कर किसान आंदोलन का समर्थन किया. किसानों ने कहा कि जब तक किसानों की लड़ाई जारी रहेगी तब तक वो उनके साथ खड़े हैं.

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किसानों के समर्थन में पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वकीलों ने निकाली कार रैली
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Published : Dec 23, 2020, 6:39 PM IST

चंडीगढ़: बुधवार को किसान दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वकीलों से किसान आंदोलन को लेकर बातचीत की जिसमें वकीलों ने कहा कि किसानों के आंदोलन में वो उनके साथ है और जब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा तब तक सभी वकील उनका समर्थन करते रहेंगे.

वकीलों का कहना है कि सरकार ने खेती कानून तो बना लिए लेकिन किसी से सलाह मशवरा नहीं किया. सरकार बार-बार कह रही है कि सभी से चर्चा की गई है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ. वकीलों का कहना था कि सरकार इतनी जल्दी क्या थी जो कोरोना काल के बीच में ही कृषि बिलों को पास कर दिया गया.

वहीं कृषि कानून का मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने को लेकर पूछे गए सवाल पर वकीलों का कहना था कि सरकार यदि चाहे तो जिस तरह से इन कानूनों को लागू किया उसी तरह से रद्द भी कर सकती है. उसी तरह से संसद में अपने सांसदों को बुलाकर इसे रद्द भी किया जा सकता है.

ये भी पढ़िए: ग्रामीण इलाकों में बिजली होगी महंगी, दो प्रतिशत पंचायत टैक्स लगाने को मंजूरी

उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को प्रस्ताव भेज रही है पर प्रधानमंत्री खुद किसानों से आकर बात क्यों नहीं कर रहे. वकीलों का ये भी कहना था कि कोई भी लड़ाई हो, वकील उसमें हमेशा शामिल हुए हैं, चाहे आजादी से पहले की बात हो या आजादी के बाद. इसलिए आज भी वकील किसानों के साथ ही खड़े हुए हैं.

चंडीगढ़: बुधवार को किसान दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वकीलों से किसान आंदोलन को लेकर बातचीत की जिसमें वकीलों ने कहा कि किसानों के आंदोलन में वो उनके साथ है और जब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा तब तक सभी वकील उनका समर्थन करते रहेंगे.

वकीलों का कहना है कि सरकार ने खेती कानून तो बना लिए लेकिन किसी से सलाह मशवरा नहीं किया. सरकार बार-बार कह रही है कि सभी से चर्चा की गई है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ. वकीलों का कहना था कि सरकार इतनी जल्दी क्या थी जो कोरोना काल के बीच में ही कृषि बिलों को पास कर दिया गया.

वहीं कृषि कानून का मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने को लेकर पूछे गए सवाल पर वकीलों का कहना था कि सरकार यदि चाहे तो जिस तरह से इन कानूनों को लागू किया उसी तरह से रद्द भी कर सकती है. उसी तरह से संसद में अपने सांसदों को बुलाकर इसे रद्द भी किया जा सकता है.

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उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को प्रस्ताव भेज रही है पर प्रधानमंत्री खुद किसानों से आकर बात क्यों नहीं कर रहे. वकीलों का ये भी कहना था कि कोई भी लड़ाई हो, वकील उसमें हमेशा शामिल हुए हैं, चाहे आजादी से पहले की बात हो या आजादी के बाद. इसलिए आज भी वकील किसानों के साथ ही खड़े हुए हैं.

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