चंडीगढ़: हरियाणा और पंजाब में बाहरी राज्यों से फसल मंगवाने की वजह से दर्ज होने वाले मामलों में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने फसल आने की अनुमति दे दी है. हालांकि हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि अगले आदेश तक फसल को किसी भी मंडी में बेचा नहीं जा सकेगा. इस मामले में करनाल निवासी किसान बीरेंद्र सिंह ने करनाल के डीसी के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसके तहत उसे यूपी से धान खरीदने की मंजूरी नहीं मिली.
किसान की दलील है कि किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य अधिनियम 2020 की धारा 3 किसान को भारत में कहीं भी अपनी उपज बेचने की पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करती है लेकिन उसे यूपी से खरीदकर हरियाणा की उपज बेचने की अनुमति नहीं दी जा रही है. हाई कोर्ट को बताया गया कि जिला मुजफ्फरनगर में उसने और उसके परिवार के सदस्यों ने उनकी स्वामित्व वाली 75 एकड़ जमीन पर एक ग्रेड सुपर पांच किस्म का धान बोया था.
याचिकाकर्ता ने अपने खेतों से लगभग 16 से 50 क्विंटल धान की कटाई की उसका इरादा हरियाणा में अपनी फसल बेचने का था. जहां भारतीय खाद्य निगम और अन्य राज्य एजेंसियां 1888 रुपए प्रति क्विंटल की एमएसपी पर उस धान की खरीद कर रही थी.
याचिकाकर्ता ने चार ट्रॉली में लगभग 650 क्विंटल धान लाल कर घरौंडा मंडी में लाना चाहा लेकिन 24 अक्टूबर को उसे विपणन बोर्ड के अधिकारियों द्वारा रोक दिया गया. उसे कहा गया कि डीसी करनाल द्वारा किसी भी व्यक्ति को अपनी फसल के साथ उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है.
ये भी पढ़ें:बरोदा में हमारी जीत का एक कारण जेजेपी भी, गठबंधन में आ गई है दरार- दीपेंद्र
मामले में हाईकोर्ट ने इन सभी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. इस दौरान पंजाब की कुछ कंपनियों ने धान यूपी से लाए जाने के चलते हो रही कार्रवाई को चुनौती दे दी. हाईकोर्ट ने अब इन सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करने का फैसला किया है. इसके साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि याची अपनी फसल बाहरी राज्यों से हरियाणा व पंजाब की सीमा के भीतर ला सकते हैं लेकिन हाईकोर्ट के अगले आदेश तक वे किसी भी मंडी इत्यादि में अपनी फसल को बेच नहीं सकेंगे.