चंडीगढ़: पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट (punjab haryana high court) ने दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग के गर्भ गिराने की याचिका पर सुनवाई की. पीड़िता की तरफ से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपील की गई थी कि उसके 21 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति दी जाए. पीड़िता की तरफ से दाखिला याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने मेवात मेडिकल कॉलेज को पीड़िता का गर्भ गिराने का आदेश दिया है.
हाई कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो पीड़िता को शारीरिक और मानसिक पीड़ा होगी. पीड़िता ने कोर्ट को बताया कि वो 17 साल की है और दुष्कर्म के चलते वो गर्भवती हुई है. मामले में 21 अक्तूबर को एफआईआर भी दर्ज करवाई गई है. याचिकाकर्ता ने कहा कि पीड़िता खुद नाबालिग है. अगर उसे गर्भ गिराने की अनुमति (rape victim abortion) नहीं दी गई तो उसके भविष्य पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा.
हाई कोर्ट ने याची पक्ष की दलीलें सुनने के बाद नूंह के शहीद हसन खान मेडिकल कॉलेज को मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया था. बोर्ड को पीड़िता की जांच कर 16 नवंबर तक कोर्ट को बताना था कि क्या पीड़िता का गर्भपात सुरक्षित होगा? 16 नवंबर को जब मामला सुनवाई के लिए हाई कोर्ट पहुंचा तो मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पेश की गई. रिपोर्ट में गर्भपात को लेकर कोई सिफारिश ना होने पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने बोर्ड को जमकर फटकार लगाई थी.
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हाई कोर्ट ने बोर्ड को दो दिन के भीतर नए सिरे से रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था. शुक्रवार को याचिका सुनवाई के लिए पहुंची तो कोर्ट ने पाया कि आदेश के बावजूद सही रिपोर्ट पेश नहीं की गई है. हाई कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज को हर हाल में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया और कहा कि ऐसा करने में विफल रहने पर मेडिकल कॉलेज के निदेशक को सोमवार को खुद कोर्ट में पेश होकर जवाब देना होगा. जिसके बाद बोर्ड की तरफ से कोर्ट में रिपोर्ट पेश की गई. रिपोर्ट देखने के बाद हाई कोर्ट ने अब पीड़िता का गर्भपात करने की अनुमति देते हुए, मेडिकल कॉलेज को ये काम जल्द पूरा करने का आदेश दिया है.