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हाई कोर्ट ने AJL Allotment Case में भूपेंद्र हुड्डा को दी अंतरिम राहत, सीबीआई की अर्जी खारिज - एजेएल मामला सीबीआई की अर्जी खारिज

पंजाब एवं हरियाणा कोर्ट ने पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को बड़ी राहत दी है. हाई कोर्ट ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) के साथ एजेएल (AJL) के अंतरिम राहत को जारी रखा है, वहीं कोर्ट ने सीबीआइ की तरफ से मामले कार्रवाई पर रोक हटाने का आग्रह वाली याचिका को खारिज कर दिया है.

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हाई कोर्ट ने AJL Allotment Case में भूपेंद्र हुड्डा को दी अंतरिम राहत
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Published : Sep 10, 2021, 10:02 PM IST

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) के साथ एजेएल (AJL) के अंतरिम राहत को जारी रखा है, वहीं कोर्ट ने सीबीआइ की तरफ से मामले कार्रवाई पर रोक को हटाने का आग्रह वाली याचिका को खारिज कर दिया है. बता दें कि पंचकूला की स्पेशल सीबीआई अदालत ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) जमीन के दोबारा: आवंटन मामले में आरोप तय कर दिए थे.

सीबीआइ अदालत ने भूपेंद्र हुड्डा और गांधी परिवार के एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी और 420 और धारा 13 (आई) (डी) और 13 (2) के तहत आरोप तय किए थे. इन आरोपों को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस याचिका में ये भी कहा गया है कि विशेष सीबीआइ अदालत ने इस मामले में महत्वपूर्ण तथ्यों को अनदेखा किया और ट्रायल कोर्ट निर्णय की त्रुटि और भ्रष्ट इरादे के बीच अंतर करने में विफल रही है. इस याचिका को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने पंचकूला सीबीआइ कोर्ट में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी थी.

क्या है एजेएल घोटाला ?

इस विवाद की शुरूआत वर्ष 1982 में हुई थी. तत्कालीन सरकार ने पंचकूला के सेक्टर-6 में एजेएल को 3360 स्क्वायर मीटर का प्लॉट अलॉट किया गया था. तय समय सीमा के दौरान संबंधित संस्थान ने इस प्लॉट पर किसी तरह का निर्माण नहीं किया. 1996 में पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद बंसीलाल के नेतृत्व वाली तत्कालीन हरियाणा विकास पार्टी सरकार ने इसका कब्जा वापस ले लिया.

ये पढ़ें- भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हाई कोर्ट से मिली बड़ी राहत, इस मामले में लगाई रोक

आरोप लगाया गया है कि वर्ष 2005 में नियमों का उल्लंघन कर प्लाट का आवंटन पुरानी कीमत पर एजेएल को कर दिया गया. उस समय हुड्डा हरियाणा के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री होने के नाते प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष भी थे. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी मामले की जांच की और पंचकूला में एजेएल को जमीन आवंटन में कथित अनियमितताओं के मामले में अपना आरोपपत्र दायर किया था. आरोप ये भी था कि पंचकूला में एक औद्योगिक भूखंड को अवैध रूप से एजेएल को फिर से आवंटित किया गया. आरोप लगे कि इसे कथित तौर पर यंग इंडिया लिमिटेड के माध्यम से गांधी परिवार सहित वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के जरिए कंट्रोल किया जाता है.

ये पढ़ें- AJL प्लॉट आवंटन मामला: पूर्व सीएम हुड्डा को हाईकोर्ट से लगातार दूसरी राहत

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) के साथ एजेएल (AJL) के अंतरिम राहत को जारी रखा है, वहीं कोर्ट ने सीबीआइ की तरफ से मामले कार्रवाई पर रोक को हटाने का आग्रह वाली याचिका को खारिज कर दिया है. बता दें कि पंचकूला की स्पेशल सीबीआई अदालत ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) जमीन के दोबारा: आवंटन मामले में आरोप तय कर दिए थे.

सीबीआइ अदालत ने भूपेंद्र हुड्डा और गांधी परिवार के एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी और 420 और धारा 13 (आई) (डी) और 13 (2) के तहत आरोप तय किए थे. इन आरोपों को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस याचिका में ये भी कहा गया है कि विशेष सीबीआइ अदालत ने इस मामले में महत्वपूर्ण तथ्यों को अनदेखा किया और ट्रायल कोर्ट निर्णय की त्रुटि और भ्रष्ट इरादे के बीच अंतर करने में विफल रही है. इस याचिका को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने पंचकूला सीबीआइ कोर्ट में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी थी.

क्या है एजेएल घोटाला ?

इस विवाद की शुरूआत वर्ष 1982 में हुई थी. तत्कालीन सरकार ने पंचकूला के सेक्टर-6 में एजेएल को 3360 स्क्वायर मीटर का प्लॉट अलॉट किया गया था. तय समय सीमा के दौरान संबंधित संस्थान ने इस प्लॉट पर किसी तरह का निर्माण नहीं किया. 1996 में पट्टे की अवधि समाप्त होने के बाद बंसीलाल के नेतृत्व वाली तत्कालीन हरियाणा विकास पार्टी सरकार ने इसका कब्जा वापस ले लिया.

ये पढ़ें- भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हाई कोर्ट से मिली बड़ी राहत, इस मामले में लगाई रोक

आरोप लगाया गया है कि वर्ष 2005 में नियमों का उल्लंघन कर प्लाट का आवंटन पुरानी कीमत पर एजेएल को कर दिया गया. उस समय हुड्डा हरियाणा के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री होने के नाते प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष भी थे. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी मामले की जांच की और पंचकूला में एजेएल को जमीन आवंटन में कथित अनियमितताओं के मामले में अपना आरोपपत्र दायर किया था. आरोप ये भी था कि पंचकूला में एक औद्योगिक भूखंड को अवैध रूप से एजेएल को फिर से आवंटित किया गया. आरोप लगे कि इसे कथित तौर पर यंग इंडिया लिमिटेड के माध्यम से गांधी परिवार सहित वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के जरिए कंट्रोल किया जाता है.

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