चंडीगढ़: हरियाणा शिक्षा विभाग के बिना एसएलसी (स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट) के सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाने के फैसले का विरोध शुरू हो गया है. शिक्षा विभाग के इस फैसले के खिलाफ निजी स्कूल संचालक उतर आए हैं. निजी स्कूल संचालकों ने इस फैसले को असंवैधानिक, गैर कानूनी और आधारहीन करार दिया है.
हरियाणा शिक्षा विभाग के इस फैसले को देखते हुए सभी प्राइवेट स्कूलों के प्रतिनिधियों ने 25 जून तक सभी ब्लॉक लेवल पर खंड शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी, उप मंडल अधिकारी. डीसी और सभी सांसदों को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देने का फैसला किया है. इसके साथ ही ये भी ऐलान किया है कि अगर फैसला वापस नहीं लिया जाता तो 25 जून को संघर्ष के लिए रणनीति तैयार की जाएगी.
संघ के प्रदेश अध्यक्ष सत्यवान कुंडू ने कहा कि सरकार के इस आदेश के बाद हजारों स्कूलों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. सरकार ने पहले कहा था कि अप्रैल, मई और जून की फीस कोरोना काल के बाद लेनी है. सक्षम अभिभावक फीस दे सकते हैं. अब सरकार ने आदेश दे दिया है कि अगर प्राइवेट स्कूल एसएलसी नहीं देंगे तो 15 दिन के बाद खुद ही एसएलसी जारी मान ली जाएगी. इससे स्कूलों को पिछले 3 महीनों की फीस के साथ-साथ बकाया भी नहीं मिल पाएगा.
क्या है मामला ?
हरियाणा शिक्षा विभाग की ओर से आदेश जारी किया गया है कि जिन छात्रों के पास एसएलसी (स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट) नहीं है और जो प्राइवेट से सरकारी स्कूल में आना चाहते हैं उन्हें बिना एसएलसी के ही दाखिला दे दिया जाएगा.
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प्रदेश में ऐसे बहुत से छात्र हैं जो सरकारी स्कूल में दाखिला लेना चाहते हैं, लेकिन लॉकडाउन होने की वजह से उन्हें पिछले स्कूल से एसएलसी नहीं मिल पा रही थी. ऐसे में बच्चे सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन दाखिला नहीं ले पा रहे थे. जिसके बाद हरियाणा शिक्षा विभाग की ओर से ये फैसला लिया गया है, ताकि लॉकडाउन की वजह के किसी छात्र का भविष्य अधर में ना लटके.