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हरियाणा में आठवीं बोर्ड की परीक्षा करवाने के विरोध में एकजुट हुए प्रदेश के निजी स्कूल

हरियाणा की सभी निजी स्कूलों की एसोसिएशन (private school association haryana) ने चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. आठवीं क्लास को बोर्ड बनाने को लेकर निजी स्कूलों की एसोसिएशन ने विरोध किया.

private school association haryana
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Published : Feb 16, 2022, 5:47 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा की सभी निजी स्कूलों की एसोसिएशन (private school association haryana) ने चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. आठवीं क्लास को बोर्ड बनाने को लेकर निजी स्कूलों की एसोसिएशन ने विरोध किया. एसोसिएशन के सदस्यों ने बताया कि पहले जब 8वीं क्लास को बोर्ड बनाया गया था. तब निजी स्कूलों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जिसके बाद सरकार ने इस आदेश को वापस ले लिया. शिक्षा के अधिकार (राइट टू एजुकेशन) 2022 में 17 जनवरी को संशोधन कर इसे दोबारा से स्कूलों पर थोपने का काम किया है.

सुरेश चन्द्र ने कहा कि सरकार इस मंदी के दौर में विद्यार्थियों पर आर्थिक और परीक्षा के दबाव को लेकर मानसिक बोझ डालने का काम कर ही है. जिससे हक में निजी स्कूल एसोसिएशन बिल्कुल भी नहीं है. उन्होंने कहा कि आठवीं की बोर्ड परीक्षा (haryana 8th board exam) का गठन कर शिक्षा बोर्ड स्कूलों और अभिभावकों पर आर्थिक बोझ डाल रहा है. प्रति स्कूल के रजिस्ट्रेशन के नाम पर पांच हजार रुपये का शुल्क, एनरोलमेंट पर एक सौ रुपये और प्रति विद्यार्थी परीक्षा शुल्क के लिये 550 रुपये निर्धारित कर बोर्ड ने पैसे कमाने का एक जरिया बना लिया है.

ये भी पढ़ें- अरविंद शर्मा ने लगाई विदेशों में फंसे हरियाणा के छात्रों की वतन वापसी की गुहार, केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री से की मुलाकात

जिसे स्कूलों और अभिभावकों को बिल्कुल मंजूर नहीं है. प्रदेश में लगभग दो हजार निजी स्कूल हैं. लिहाजा पांच हजार की दर से प्रति निजी स्कूल का लगभग एक करोड़ रुपये बनता है, जबकि प्रदेश में लगभग साढे चार लाख आठवीं के विद्यार्थियों से वसूली गई 550 रुपये की राशि लगभग पचीस करोड़ रुपये तक बन जाती है. सुरेश चन्द्र ने सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया कि हरियाणा स्कूल एजुकेशन बोर्ड ने कोरोना काल में पूर्ण रूप से एजुकेशन सर्टिफिकेट बेचने का काम किया है. साथ ही असेसमेंट (स्कूलों द्वारा की गई आंतरिक मूल्यांकन) में पांच गुणा अंक देकर वाले फार्मूला लगाकर लगभग साठ हजार बच्चों को बेहतरीन अंक देकर वाहवाही लूटी है.

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चंडीगढ़: हरियाणा की सभी निजी स्कूलों की एसोसिएशन (private school association haryana) ने चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. आठवीं क्लास को बोर्ड बनाने को लेकर निजी स्कूलों की एसोसिएशन ने विरोध किया. एसोसिएशन के सदस्यों ने बताया कि पहले जब 8वीं क्लास को बोर्ड बनाया गया था. तब निजी स्कूलों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जिसके बाद सरकार ने इस आदेश को वापस ले लिया. शिक्षा के अधिकार (राइट टू एजुकेशन) 2022 में 17 जनवरी को संशोधन कर इसे दोबारा से स्कूलों पर थोपने का काम किया है.

सुरेश चन्द्र ने कहा कि सरकार इस मंदी के दौर में विद्यार्थियों पर आर्थिक और परीक्षा के दबाव को लेकर मानसिक बोझ डालने का काम कर ही है. जिससे हक में निजी स्कूल एसोसिएशन बिल्कुल भी नहीं है. उन्होंने कहा कि आठवीं की बोर्ड परीक्षा (haryana 8th board exam) का गठन कर शिक्षा बोर्ड स्कूलों और अभिभावकों पर आर्थिक बोझ डाल रहा है. प्रति स्कूल के रजिस्ट्रेशन के नाम पर पांच हजार रुपये का शुल्क, एनरोलमेंट पर एक सौ रुपये और प्रति विद्यार्थी परीक्षा शुल्क के लिये 550 रुपये निर्धारित कर बोर्ड ने पैसे कमाने का एक जरिया बना लिया है.

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जिसे स्कूलों और अभिभावकों को बिल्कुल मंजूर नहीं है. प्रदेश में लगभग दो हजार निजी स्कूल हैं. लिहाजा पांच हजार की दर से प्रति निजी स्कूल का लगभग एक करोड़ रुपये बनता है, जबकि प्रदेश में लगभग साढे चार लाख आठवीं के विद्यार्थियों से वसूली गई 550 रुपये की राशि लगभग पचीस करोड़ रुपये तक बन जाती है. सुरेश चन्द्र ने सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया कि हरियाणा स्कूल एजुकेशन बोर्ड ने कोरोना काल में पूर्ण रूप से एजुकेशन सर्टिफिकेट बेचने का काम किया है. साथ ही असेसमेंट (स्कूलों द्वारा की गई आंतरिक मूल्यांकन) में पांच गुणा अंक देकर वाले फार्मूला लगाकर लगभग साठ हजार बच्चों को बेहतरीन अंक देकर वाहवाही लूटी है.

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