चंडीगढ़: हरियाणा के निजी स्कूलों ने हरियाणा सरकार के उस फैसले को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी है. जिसमें यह कहा गया है कि निजी स्कूलों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (एसएलसी) के बगैर दाखिला मिलेगा. मामले की अगली सुनवाई 25 जून को होगी.
दरअसल हरियाणा सरकार के पास अभिभावकों ने अपील की थी कि हरियाणा के प्राइवेट स्कूलों से बहुत सारे विद्यार्थी सरकारी विद्यालय में दाखिला ले रहे हैं. ऐसे में उन्हें निजी स्कूलों द्वारा स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट नहीं दिए जाने के चलते दाखिला नहीं मिल पा रहा है और विद्यार्थी एवं अभिभावकों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.
ये भी पढ़ें: सरकार की खामियों को विधानसभा सत्र में रखूंगा: अभय चौटाला
जिसको देखते हुए हरियाणा सरकार ने सरकारी विद्यालय में दाखिला लेने के इच्छुक ऐसे सभी विद्यार्थियों को तुरंत दाखिला देने के निर्देश दिए थे. साथ ही सरकारी स्कूल की ओर से विद्यार्थी के पिछले स्कूल को दाखिले की लिखित सूचना देने के लिए 15 दिन के अंदर ऑनलाइन स्कूल इन सर्टिफिकेट जारी करने के निर्देश दिए थे.
इस मामले में निजी स्कूलों की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले नीसा(निजी विद्यालय एसोसिएशन ) के जनरल सेक्रेटरी कुलभूषण शर्मा ने कहा कि एक तो कोरोना वायरस के चलते अभिभावक ट्यूशन फीस भी नहीं दे रहे हैं. ऐसे में यदि सरकार के आदेश लागू हो जाते हैं तो बिना फीस दिए विद्यार्थी सरकारी स्कूलों में दाखिला ले सकते हैं. जिसका खामियाजा प्राइवेट स्कूल में कार्यरत कर्मचारियों को भुगतना पड़ेगा. ऐसे में सरकार को अपने फैसले पर विचार करना चाहिए.
बता दें कि, कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते लोगों की आय और व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुई है. जिसके हरियाणा के सरकारी स्कूलों में दिखिला लेने वाले बच्चों की संख्या अचानक से बढ़ गई है. फीस नहीं जमा होने के चलते निजी स्कूल बच्चों को स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट नहीं दे रहे हैं. जिसके चलते बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जिसके बाद अभिभावकों ने सरकार से मदद करने की अपील की. जिसके बाद सरकार ने आदेश दिया की सरकारी स्कूलों में दाखिले के लिए स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट आवश्यक नहीं है.