चंडीगढ़: लॉक डाउन में राहत मिलने के बाद जहां कई व्यवसायियों और नौकरी पेशा लोगों ने राहत की सांस ली है तो वहीं मंदिर के पुजारियों को अभी भी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है, लॉक डाउन की वजह से मंदिरों की व्यवस्था गड़बड़ा गई है तो वहीं मंदिरों के पुजारियों की जेब भी खाली हो गई हैं, इस पर ईटीवी भारत की टीम ने जाना कि मंदिरों और पुजारियों का इस लॉक डाउन पर क्या कहना है.
मंदिरों के बंद हैं कपाट, हो रही है आरती
कोरोना से बचने के लिए मंदिरों में भगवान से गुहार लगाई जा रही है, पुजारी बंद दरवाजों के अंदर भगवान की आरती करते हुए देश से कोरोना को खत्म करने की याचना कर रहे हैं, हालांकि मंदिरों में भक्तजनों के आने पर पाबंदी है, दरवाजों पर बड़े-बड़े ताले लटके हैं, लेकिन सुबह शाम पूजा के साथ-साथ भगवान को भोग भी लगाया जा रहा है.
लॉक डाउन में कई जगह जहां ढील मिली है. वहीं मंदिरों में अभी भी ताले ही लगे हुए हैं, एक लंबे अरसे से मंदिरों में ताले लगे हैं, श्रद्धालुओं के वहां जाने पर पाबंदी है. इस लॉक डाउन के कारण मंदिरों की व्यवस्था और उन के पुजारियों की दशा खराब हो गई है, कई मंदिरों का बिजली का बिल बकाया है, तो वहीं भक्तों के न आने से पुजारियों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी हैं.
मंदिरों के बिल पेंडिंग हैं- पुजारी
हमारी टीम मंदिरों में गई तो वहां मौजूद पुजारियों ने अपनी व मंदिर की बिगड़ती व्यवस्था के बारे में बताया, जिस मंदिर में टीम गई, वो ट्रस्ट के माध्यम से संचालित किया जाता है, इस पर पुजारियों ने बताया कि मौजूदा समय मे मंदिर का बिल पेंडिंग है, क्योंकि किसी पदाधिकारी के यहां नहीं आ पाने के चलते मंदिर का दान पात्र खोला नहीं गया. पुजारी ने बताया कि जब यह दान पात्र खोल जाएगा तब मंदिर की व्यवस्था पर खर्च किया जाएगा.
अब गुजारा नहीं चल रहा, जेब खाली है: पुजारी
अपनी स्थिति के बारे में भी पुजारियों ने बताया कि हमे 5 से 7 हजार रुपए मिलते हैं, इतने से पैसों में परिवार का लालन पालन करना बहुत ही कठिन बना हुआ है, इस से पहले आम दिनों में शादी ब्याह, नए वाहन खरीदने पर हमें दक्षिणा आदि मिल जाती थी. जिस से जरूरतें लगभग पूरी हो जाती थी, लेकिन अब हालात ऐसे हैं जिन की वजह से सब चीजों पर रोक है और कोई मंदिरों में नही आ रहा है, अब हमारी जेब भी खाली हो चली हैं, हम जल्द से जल्द इस बीमारी को खत्म करने के लिए सुबह शाम भगवन से याचना कर रहे हैं.