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बिजली विभाग को निजी हाथों में सौंपने जा रहा चंडीगढ़ प्रशासन, लेकिन अभी तक नहीं लगे स्मार्ट मीटर - Privatization of electricity Chandigarh

चंडीगढ़ प्रशासन ने साल 2018 में स्मार्ट बिजली मीटर लगाने की योजना शुरू की थी. जो अभी तक भी पूरी नहीं हुई है.

Joint electricity regulatory commission
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Published : Apr 5, 2021, 12:21 PM IST

Updated : Apr 5, 2021, 12:30 PM IST

चंडीगढ़: प्रशासन ने साल 2018 के जून महीने में स्मार्ट बिजली मीटर लगाने की योजना शुरू की थी. तब दावा किया था कि जल्द ही पूरे शहर में मीटर लग जाएंगे. इसके पीछे प्रशासन ने बिजली चोरी को रोकने को बड़ा कारण बताया था. काम धीमी गति से चलने के कारण ज्वाइंट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (जेईआरसी) ने विभाग से रिपोर्ट मांगी है.

शहर में बिजली के खराब मीटरों समय पर नहीं बदला जा रहा है, जिसपर भी जेईआरसी ने विभाग को कई निर्देश दिए हैं. जेईआरसी (ज्वाइंट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेट्री कमिशन) ने कहा है कि काम ना करने वाले मीटरों को सप्लाई कोड रेगुलेशन्स 2018 के तहत निर्धारित समय सीमा में बदला जाना चाहिए. इसमें लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए.

ठंडे बस्ते में स्मार्ट बिजली मीटर की योजना

ऐसे में अब प्रशासन को स्मार्ट मीटर लगाने की रिपोर्ट हर महीने जेईआरसी को देनी होगी. प्रशासन अभी तक सात हजार मीटर लगा चुका है. प्रशासन ने बिजली का निजीकरण करने की योजना बनाई है. जिसके तहत कंपनियों की बिड भी आ चुकी है. टाटा ग्रुप, रिलायंस और अडानी समेत कुल 6 कंपनियां बिजली निजीकरण के लिए बिड दे चुकी है. निजी कंपनियों द्वारा फाइनेश्यिल बिड आने के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने बिजली निजीकरण के लिए निकाले गए आरएफपी (रिकेवस्ट फॉर प्रपोजल) की चंद शर्तों में बदलाव किया.

6 कंपनियों ने निजीकरण के लिए किया बिड

चंडीगढ़ प्रशासन ने बिजली निजीकरण के लिए निकाले आरएफपी में जो बदलाव किया है उस पर एसोसिएशन ऑफ प्रोड्यूसर ने आपत्ति जताई है. एसोसिएशन के अनुसार जो भी बदलाव किए गए हैं. उसे तत्काल प्रभाव से खारिज किया जाए. मालूम हो कि चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के लिए छह कंपनियों की बिड आ चुकी हैं. एसोसिएशन का कहना है कि सभी बिड आने के बाद नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता.

ये भी पढ़ें- कैथल नगर परिषद जेई को सौंपी गई स्ट्रीट लाइटों को ऑन-ऑफ करने की जिम्मेदारी

मालूम हो कि पहले जब आरएफपी निकाला गया था तो यह कहा गया था कि ट्रांसमिशन ड्रिस्टीबयूशन लासिज से जो बचत होगी उसमें 75 फीसद कंपनी को मिलेगा और 25 फीसदी पब्लिक को मिलेगा, जबकि ज्वाइंट इलेक्ट्रीसिटी कंपनी ने कहा कि यह शेयर 50-50 फीसदी कर दिया जाए. जिसके बाद इस शर्त में बदलाव कर दिया गया.

चंडीगढ़: प्रशासन ने साल 2018 के जून महीने में स्मार्ट बिजली मीटर लगाने की योजना शुरू की थी. तब दावा किया था कि जल्द ही पूरे शहर में मीटर लग जाएंगे. इसके पीछे प्रशासन ने बिजली चोरी को रोकने को बड़ा कारण बताया था. काम धीमी गति से चलने के कारण ज्वाइंट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (जेईआरसी) ने विभाग से रिपोर्ट मांगी है.

शहर में बिजली के खराब मीटरों समय पर नहीं बदला जा रहा है, जिसपर भी जेईआरसी ने विभाग को कई निर्देश दिए हैं. जेईआरसी (ज्वाइंट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेट्री कमिशन) ने कहा है कि काम ना करने वाले मीटरों को सप्लाई कोड रेगुलेशन्स 2018 के तहत निर्धारित समय सीमा में बदला जाना चाहिए. इसमें लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए.

ठंडे बस्ते में स्मार्ट बिजली मीटर की योजना

ऐसे में अब प्रशासन को स्मार्ट मीटर लगाने की रिपोर्ट हर महीने जेईआरसी को देनी होगी. प्रशासन अभी तक सात हजार मीटर लगा चुका है. प्रशासन ने बिजली का निजीकरण करने की योजना बनाई है. जिसके तहत कंपनियों की बिड भी आ चुकी है. टाटा ग्रुप, रिलायंस और अडानी समेत कुल 6 कंपनियां बिजली निजीकरण के लिए बिड दे चुकी है. निजी कंपनियों द्वारा फाइनेश्यिल बिड आने के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने बिजली निजीकरण के लिए निकाले गए आरएफपी (रिकेवस्ट फॉर प्रपोजल) की चंद शर्तों में बदलाव किया.

6 कंपनियों ने निजीकरण के लिए किया बिड

चंडीगढ़ प्रशासन ने बिजली निजीकरण के लिए निकाले आरएफपी में जो बदलाव किया है उस पर एसोसिएशन ऑफ प्रोड्यूसर ने आपत्ति जताई है. एसोसिएशन के अनुसार जो भी बदलाव किए गए हैं. उसे तत्काल प्रभाव से खारिज किया जाए. मालूम हो कि चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के लिए छह कंपनियों की बिड आ चुकी हैं. एसोसिएशन का कहना है कि सभी बिड आने के बाद नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता.

ये भी पढ़ें- कैथल नगर परिषद जेई को सौंपी गई स्ट्रीट लाइटों को ऑन-ऑफ करने की जिम्मेदारी

मालूम हो कि पहले जब आरएफपी निकाला गया था तो यह कहा गया था कि ट्रांसमिशन ड्रिस्टीबयूशन लासिज से जो बचत होगी उसमें 75 फीसद कंपनी को मिलेगा और 25 फीसदी पब्लिक को मिलेगा, जबकि ज्वाइंट इलेक्ट्रीसिटी कंपनी ने कहा कि यह शेयर 50-50 फीसदी कर दिया जाए. जिसके बाद इस शर्त में बदलाव कर दिया गया.

Last Updated : Apr 5, 2021, 12:30 PM IST
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