चंडीगढ़: हरियाणा सरकार शिक्षा के क्षेत्र में समय-समय पर आवश्यक सुधार करती रही है ताकि राज्य में शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ हो और हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार हासिल हो. सरकार द्वारा गरीब वर्ग के बच्चों के लिए काफी योजनाएं चलाई जा रही हैं जिसका लाभ उठाकर छात्र अपना भविष्य उज्ज्वल बना रहे हैं. अब प्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के बच्चों को निजी स्कूलों में निःशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 25% आरक्षित सीटों पर दाखिला मिलेगा.
सरकार ने हरियाणा स्कूल शिक्षा नियमावली, 2003 के नियम 134-ए को समाप्त करने का निर्णय लिया है. हालांकि प्रदेश में जिन बच्चों के दाखिले नियम 134-ए के तहत, मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों में किये हुए हैं, वे उन्हीं विद्यालयों में नियम 134-ए के तहत शिक्षा पूर्ण करेंगे. उल्लेखनीय है कि हरियाणा राज्य में अब तक प्राइवेट विद्यालयों में बच्चों के दाखिले के संबंध में दो नियम लागू थे, जिनमें से भारत सरकार के निःशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत बने निःशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम, 2011 के तहत मान्यता प्राप्त प्राइवेट विद्यालयों में 25% आरक्षित सीटों पर प्रथम कक्षा में अलाभप्रद व आर्थिक रूप से दुर्बल वर्ग के बच्चों को दाखिला देने का प्रावधान तथा हरियाणा स्कूल शिक्षा नियमावली, 2003 के नियम 134-ए के तहत वर्ष 2007 में मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों में दूसरी से बारहवीं कक्षा तक BPL/EWS वर्ग के मेधावी छात्रों को 25% सीटों पर दाखिला करने हेतु प्रावधान किया गया था.
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वर्ष 2013 में इसमें संशोधन करते हुए सरकार ने 10% सीटों पर दाखिला देने तथा सरकारी स्कूलों में वसूल की जा रही फीस राशि के आधार पर बच्चों से फीस वसूल करने का प्रावधान रखा गया. नियम 134-ए के खत्म हो जाने के बाद अब सरकार गरीब परिवार के बच्चों को शिक्षा का अधिकार नियम (RTE) के अंतर्गत निजी स्कूलों में 25 फीसदी दाखिला दिलाएगी. बता दें कि नियम 134-ए हरियाणा स्कूल शिक्षा नियमों के तहत एक प्रावधान था, जो आरटीई से पहले मौजूद था. नया अधिनियम आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 25 प्रतिशत लाभ प्रदान करता है, जबकि नियम 134-ए केवल 10 प्रतिशत का लाभ प्रदान करता था.
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