चंडीगढ़: हरियाणा में किसान सरकार से नाराज चल रहे हैं. बेशक तीन नए कृषि कानून इसकी बड़ी वजह है. वहीं किसानों की नाराजगी को दूर करने के लिए हरियाणा सरकार ने बड़ा एलान किया है. सरकार ने खराब फसलों की विशेष गिरदावरी करवाकर जल्द मुआवजा (haryana crop special girdawari) देने का एलान किया है. इसमें बड़ी बात ये है कि जिन किसानों ने अपनी फसल का बीमा (haryana crop insurance) नहीं कराया है उन्हें भी पूरा मुआवजा दिया जाएगा. वहीं सरकार के इस एलान के बाद हरियाणा में अब फसलों की गिरदावरी पर राजनीति शुरू हो गई है.
सरकार जहां फसल बीमा और बिना बीमा के भी किसानों को मुआवजा देने की बात जोर-शोर से उठा रही है तो वहीं विपक्षी दल सरकार को इस मुद्दे पर जमकर घेर रहे हैं. विपक्षियों का कहना है कि सरकार ढोंग कर रही है. सरकार ने पहले खराब हुई फसलों का तो अब तक मुआवजा दिया नहीं तो अब क्या देगी. इस मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता केवल ढींगरा ने कहा कि सरकार फसल बीमा के नाम पर किसानों को बेवकूफ बना रही है.
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उन्होंने कहा कि सरकार ये कह रही है कि जिन किसानों ने अपनी फसलों का बीमा नहीं करवाया है उनकी फसल खराब होने पर उन्हें भी मुआवजा दिया जाएगा तो मैं सरकार से ये पूछना चाहता हूं कि बाकी किसानों का बीमा क्यों किया गया. उन्हें भी बिना बीमा ही मुआवजा दिया जा सकता है, लेकिन सरकार ने जबरदस्ती उनके अकाउंट से बीमा के नाम पर पैसे काट लिए. किसान तो पहले ही गरीबी की मार झेल रहा है. उस पर सरकार जबरदस्ती उसके खातों से बीमा के नाम पर पैसे काट रही है. सरकार फसल बीमा के बहाने निजी कंपनियों को फायदा पहुंचा रही है. क्योंकि आज तक किसी भी किसान को उसकी खराब हुई फसल का पर्याप्त मुआवजा नहीं मिला है.
वही इंडियन नेशनल लोकदल के प्रवक्ता रजत पंजेटा फसल बीमा योजना को ही धोखा करार दे दिया. उन्होंने कहा कि ये कोई योजना नहीं है बल्कि किसानों को लूटने के लिए उनके साथ धोखाधड़ी है. उन्होंने कहा कि सरकार बताए कि फसल बीमा योजना के लिए सरकार ने सरकारी कंपनियों को छोड़कर निजी कंपनियों के साथ कॉन्ट्रैक्ट क्यों किया है. इसका सीधा का मतलब है कि सरकार कई सरकारी कंपनियों को छोड़कर रिलायंस जनरल इंश्योरेंस जैसी कंपनियों को सीधे तौर पर फायदा पहुंचा रही है.
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इनेलो प्रवक्ता ने कहा किइन योजनाओं से किसी किसान को मुआवजा तो मिलता नहीं है, लेकिन इन कंपनियों को किसानों के पैसे काटकर अरबों का फायदा पहुंचाया जा रहा है. प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात में फसल बीमा योजना को बंद कर दिया गया है. वेस्ट बंगाल और तेलंगाना समेत कई अन्य राज्यों में भी इस योजना को बंद कर दिया गया है तो हरियाणा सरकार इस योजना को क्यों चला रही है. इसका सीधा सा मतलब यही है कि सरकार किसानों को लूट कर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचा रही है.
दूसरी ओर विपक्ष के सभी आरोपों को निराधार बताते हुए भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण अत्रे ने कहा कि विपक्ष का काम सिर्फ आरोप लगाना है, लेकिन वे अपना समय भूल जाते हैं. उन्होंने कहा कि जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी तब कांग्रेस ने भी इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया था, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाई. इससे पहले जब प्रदेश में इंडियन नेशनल लोकदल की सरकार थी तब उन्होंने भी इस योजना को शुरू करने की कोशिश की थी, लेकिन तब भी ये योजना सफल नहीं हो पाई थी.
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बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि इसकी वजह साफ थी क्योंकि दोनों सरकारें किसानों के हितों को लेकर गंभीर नहीं थी. कांग्रेस राज में तो किसानों को पांच और दस रुपये तक के चेक भी मिले थे. कांग्रेस को इस बात को नहीं भूलना चाहिए. जबकि भाजपा की वर्तमान प्रदेश सरकार किसानों को सफलतापूर्वक तरीके से खराब हुई फसलों का मुआवजा पहुंचा रही है. हरियाणा सरकार की ओर से ये भी तय किया गया है कि किसी भी किसान को 500 रुपये से कम का चेक नहीं दिया जाएगा. चाहे उसकी राशि 500 से कम भी क्यों ना हो.
गौरतलब है कि हरियाणा में बेमौसमी बारिश के कारण किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है. ऐसे में सीएम मनोहर लाल के विशेष गिरदावरी के आदेशों के बाद किसानों को भी अपने नुकसान की भरपाई की उम्मीद जगी है. कई इलाकों में तो पूरी फसल बर्बाद हो चुकी है. बहरहाल विपक्ष ने जरूर सरकार के इस एलान पर कुछ वाजिब सवाल खड़े किए हैं. अब देखना होगा कि सरकार किसानों से किया गया ये एक और वादा कब तक निभाती है, और विपक्ष को जवाब देती है.
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