चंडीगढ़: हरियाणा की सियासत में अपनी अलग पहचान रखने वाले पूर्व गृह राज्य मंत्री और वर्तमान में सिरसा से विधायक गोपाल कांडा को मंगलवार को सबसे बड़ी राहत मिली है. गोपाल कांडा को गीतिका शर्मा सुसाइड मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने बरी कर दिया है. कांडा के बरी होने से उन्हें राजनीतिक जीवनदान भी मिल गया है. गीतिका शर्मा सुसाइड में नाम आने के बाद कांडा को ना केवल गृह राज्य मंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी बल्कि हर पार्टी से दरकिनार कर दिये गये.
ये भी पढ़ें- हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल कांडा बरी, अरुणा चड्ढा को भी कोर्ट से राहत
सिरसा के विधायक गोपाल कांडा वर्तमान में हरियाणा लोकहित पार्टी के अध्यक्ष हैं और अपनी पार्टी के इकलौते विधायक भी. 2019 के लोकसभा चुनाव में कड़े मुकाबले में वो सिरसा सीट से जीतने में कामयाब रहे थे. कांग्रेस की भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में गृह राज्य मंत्री रहे गोपाल कांडा ने 2019 में विधायक बनने के बाद भारतीय जनता पार्टी को समर्थन का ऐलान किया था. हेलिकॉप्टर से वो निर्दलीय विधायकों के साथ दिल्ली भी पहुंचे थे. चर्चा थी कि बीजेपी सरकार में वो मंत्री बन सकते हैं लेकिन मीडिया में खबर आने के बाद बीजेपी को इससे इनकार करना पड़ा. इनकार की सबसे बड़ी वजह थी गीतिका शर्मा केस में कांडा का आोरोपी होना.
गीतिका शर्मा सुसाइड मामले में बरी होने के बाद अब गोपाल कांडा खुलकर बीजेपी के समर्थन में आ सकते हैं. इससे पहले बीजेपी गोपाल कांडा को खुलकर गले लगाने से हिचकिचा रही थी, क्योंकि जैसे ही बीजेपी और गोपाल कांडा की नजदीकियां बढ़ती थी, गीतिका शर्मा केस उस में सबसे बड़ा रोड़ा बन जाता था. हरियाणा में अब राजनीतिक तौर पर उनकी स्वीकार्यता बढ़ गई है. अगले साल हरियाणा में विधानसभा और लोकसभा चुनाव होना है. किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में उनकी अहमियत और ज्यादा बढ़ जायेगी. इसी माहौल में 2009 में उन्होंने निर्दलीय विधायक जुटाकर 40 सीट पाने वाली कांग्रेस सरकार में गृह मंत्री बन गये थे.
ये भी पढ़ें- ऐलनाबाद से गोपाल कांडा के भाई को टिकट देकर बीजेपी ने उतारा एहसानों का कर्ज?
अब आरोपों से बारी होने के बाद गोपाल कांडा के लिए हरियाणा में सियासी परिस्थितियां बदल जाएंगी. राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि अब अदालत से क्लीन चिट मिलने के बाद राजनीतिक पार्टियां उन्हें अपनाने में गुरेज नहीं करेंगी. चर्चा ये भी है कि अगले चुनाव से पहले गोपाल कांडा अपनी हरियाणा लोकहित पार्टी का बीजेपी में विलय कर सकते हैं या फिर बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. हलांकि दूसरी तरफ कुछ राजनीतिक विश्लेषक इससे इनकार भी कर रहे हैं. उनका मानना है कि गोपाल कांडा अकेले रहना बेहतर समझेंगे क्योंकि उनके कांग्रेस और बीजेपी दोनों में अच्छे रिश्ते हैं. अभी भी वो अपनी पार्टी से ही विधायक हैं.
2009 में भी वो निर्दलीय चुनाव जीतकर मंत्री बने थे. इसलिए अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय करना मुश्किल है. गोपाल कांडा को मिली क्लीन चिट पर हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर कहते हैं कि कोर्ट ने दोनों तरफ के तथ्यों को देखकर अपना फैसला सुनाया है. बहस के दौरान दोनों पक्षों ने अपनी अपनी दलीलें दी थी. इसी मामले पर हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा कहते हैं कि न्यायपालिका के फैसले का हम स्वागत करते हैं. न्यायपालिका से बड़ा कोई नहीं है. न्यायपालिका का फैसला सर्वोपरि है.
ये भी पढ़ें- जेजेपी के बिना सरकार बचाने की कवायद में बीजेपी, बिप्लब देब से मिले चार निर्दलीय विधायक और गोपाल कांडा
गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा बीजेपी के नेता हैं. 2021 में बीजेपी में शामिल गोबिंद कांडा को बीजेपी ने ऐलनाबाद उपचुनाव में अभय चौटाला के खिलाफ उम्मीदवार बनाया था लेकिन गोबिंद कांडा चुनाव जीत नहीं सके. 2019 में के चुनाव में भी रानिया सीट से लड़े गोबिंद कांडा हार गये थे. यानी वर्तमान राजनीतिक हालातों में देखें तो गोपाल कांडा की बीजेपी से खासी नजदीकी है. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि गोपाल कांडा सियासी हवा का रुख पहचानने में काफी तेज हैं. कांग्रेस के समय वो भूपेंद्र हुड्डा के करीबी थी और सरकार बदलते ही वो बीजेपी के नजदीकी हो गये. बीजेपी अभी तक सिरसा में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाई है. जबकि सिरसा गोपाल कांडा का गढ़ है.
-
न्याय के मंदिर और अपने ईश्वर पर मुझे विश्वास था। आज मुझे न्याय मिला है। मेरे संघर्ष में हर समय सहयोगी बने रहे सिरसा के जन-जन, देश -प्रदेश के शुभचिंतकों और समर्थकों का आभारी हूं। आज दिल्ली में मां कालका देवी जी के दरबार में नतमस्तक होकर आशीर्वाद लिया।
— Gopal Kanda (@kanda_mla) July 25, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
जय जय मां जीण भवानी जी
जय जय… pic.twitter.com/DDFFmHK1Mn
">न्याय के मंदिर और अपने ईश्वर पर मुझे विश्वास था। आज मुझे न्याय मिला है। मेरे संघर्ष में हर समय सहयोगी बने रहे सिरसा के जन-जन, देश -प्रदेश के शुभचिंतकों और समर्थकों का आभारी हूं। आज दिल्ली में मां कालका देवी जी के दरबार में नतमस्तक होकर आशीर्वाद लिया।
— Gopal Kanda (@kanda_mla) July 25, 2023
जय जय मां जीण भवानी जी
जय जय… pic.twitter.com/DDFFmHK1Mnन्याय के मंदिर और अपने ईश्वर पर मुझे विश्वास था। आज मुझे न्याय मिला है। मेरे संघर्ष में हर समय सहयोगी बने रहे सिरसा के जन-जन, देश -प्रदेश के शुभचिंतकों और समर्थकों का आभारी हूं। आज दिल्ली में मां कालका देवी जी के दरबार में नतमस्तक होकर आशीर्वाद लिया।
— Gopal Kanda (@kanda_mla) July 25, 2023
जय जय मां जीण भवानी जी
जय जय… pic.twitter.com/DDFFmHK1Mn
इसी मामले को लेकर कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता केवल ढींगरा कहते हैं कि न्यायपलिका के फैसले पर प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं है. न्यायालय ने साक्ष्यों को देखते हुए ही अपना फैसला सुनाया होगा. लेकिन उन्होंने कहा कि गीतिका के सुसाइड के बाद उनकी मां ने भी सुसाइड कर लिया था, जो कि अपने आप में दुखद घटना थी.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोर्ट के फैसले के बाद गोपाल कांडा को बहुत बड़ी राहत मिली है. इस फैसले से आने वाले दिनों में उनकी सियासत पर भी असर पड़ेगा. जब तक उन पर केस चलता रहा, तब तक वे हरियाणा में उस तरह से अपनी सियासत नहीं कर पाए, जिस तरह से करना चाहते थे. उनकी बीजेपी से नजदीकियां हैं, यह बात सभी जानते हैं, और उनके भाई तो बीजेपी के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं. ऐसे में हो सकता है कि आने वाले दिनों में वह बीजेपी के और करीब जाएं और भविष्य में कोई बड़ा राजनीतिक कदम भी उठाएं. गुरमीत सिंह, राजनीतिक मामलों के जानकार
ये भी पढ़ें- सोनाली फोगाट की मौत मामले में गोपाल कांडा की एंट्री, आरोपियों की मदद करने का आरोप