चंडीगढ़: सीएम मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा को बाढ़ मुक्त बनाने के लिए सूखा राहत एवं बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की बैठक में 528 परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई है, जिसके तहत लगभग 1100 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वीरवार को चंडीगढ़ में हरियाणा राज्य सूखा राहत एवं बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की 54वीं बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी मौजूद रहे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि खेतों में खड़े पानी की निकासी और पानी के दोबारा इस्तेमाल के लिए 312 करोड़ रुपये से ज्यादा की योजनाएं अनुमोदित की गई हैं. इस बार जलभराव की निकासी के लिए क्लस्टर एप्रोच के माध्यम से योजनाएं तैयार की गई हैं. भिवानी जिले को एक क्लस्टर माना गया है, जिसके तहत 8 गांवों कुंगड़, जटाई, धनाना, बढेसरा, सिवाड़ा, प्रेमनगर, घुसकानी, ढाणी सुखन के आबादी एरिया व जलभराव वाले इलाकों में एचडीपीई पाइपलाइन बिछाई जाएगी. इस पर लगभग 16 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खर्च होगी.
इससे लगभग 2 हजार एकड़ जलभराव वाली भूमि से पानी की निकासी होगी. इसके अलावा, 3 गांवों सिंघवा खास, पुठ्ठी, मदनहेड़ी को मिलकार एक योजना बनाई गई है. जिस पर 9.31 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी. इससे लगभग 1500 एकड़ जलभराव वाली भूमि से पानी की निकासी होगी. इसी प्रकार, लगभग 4 करोड़ रुपये की लागत की एक ओर योजना बनाई गई है, जिसके क्रियान्वित होने से 885 एकड़ जलभराव वाली भूमि से पानी की निकासी होगी.
सीएम ने कहा इसी प्रकार, जिला हिसार को क्लस्टर मानकर 3 गांवों भाटोल जाटान, रांगड़ान और खरकड़ा के खेतों से पानी की निकासी के लिए 3.20 करोड़ रुपये की योजना अनुमोदित की गई है. इससे लगभग 750 एकड़ जलभराव वाली भूमि का सुधार होगा. इसके अलावा, खरबला गांव के लिए भी 2.50 करोड़ रुपये की योजना को भी अनुमोदित किया गया है. जिला रोहतक के लिए भी अलग से योजनाओं को मंजूरी दी गई है. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जहां बहुत ज्यादा जलभराव होता है, ऐसी भूमि पर झीलें बनाई जाएं.
विशेषकर एनसीआर जिलों में लगभग 100 झीलें बनाने की एक योजना तैयार की जाए. इन झीलों के बनने से जलभराव की समस्या का भी स्थायी सामाधान होगा और भू-जल रिचार्जिंग की क्षमता भी बढ़ेगी. इन झीलों को बनाने के लिए किसानों से उनकी जलभराव वाली भूमि के प्रस्ताव मांगे जाएंगे. उन्होंने कहा कि क्षेत्रवार भूमि का अध्ययन करवाया जाए कि किस प्रकार की भूमि या किस इलाके में कितने सेंटीमीटर तक बारिश का पानी जमीन सोख सकती है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल की उपलब्धता आज के समय में एक बड़ी चुनौती है. इसके लिए जल संरक्षण ही एक मात्र समाधान है. इसी दिशा में भू-जल रिचार्जिंग के लिए सरकार द्वारा जिलों में रिचार्जिंग बोरवेल लगाए जा रहे हैं. एक कदम और आगे बढ़ते हुए सरकार ने एक नई योजना बनाई है, जिसके तहत किसान अपनी भूमि पर रिचार्जिंग बोरवेल लगा सकता है. इसके लिए किसानों से आवेदन मांगे गए थे.
अब तक 20 हजार किसानों के आवेदन आ चुके हैं. इन बोरवेल पर सरकार पैसा खर्च करेगी और किसानों से भी कुछ सहयोग लिया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि 54वीं बैठक में विभिन्न श्रेणियों के तहत योजनाएं बनाई गई हैं. इसमें जल संरक्षण और पानी के पुनः उपयोग के लिए 97 योजनाओं पर करीब 179 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की जाएगी. इसके साथ-साथ आबादी प्रोटेक्शन श्रेणी की 67 योजनाओं पर 71.41 करोड़ रुपये, प्रोटेक्शन आफ एग्रीकल्चर लैंड श्रेणी में 125 योजनाओं पर 132.86 करोड़ रुपये, डीवॉटरिंग मशिनरी श्रेणी में 49 योजनाओं पर 77.90 करोड़ रुपये, रिक्लेमेशन ऑफ एग्रीकल्चर लैंड श्रेणी की 68 योजनाओं पर 119.50 करोड़ रुपये तथा रिकंस्ट्रक्शन, ड्रेनों में पानी के समुचित बहाव के लिए मरम्मत व नए स्ट्रक्चर बनाने के लिए 59 योजनाओं पर 110 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि मंजूर की गई है.
इसी प्रकार हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण तथा अटल भूजल योजना के तहत 63 योजनाओं पर 167 करोड़ रुपये की राशि मंजूरी की गई है. बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आमतौर पर 10 जिलों, रोहतक, झज्जर, भिवानी, हिसार, जींद, फतेहाबाद, सोनीपत, कैथल, पलवल और सिरसा में जलभराव की समस्या देखने को मिलती है. इसलिए इन 10 जिलों में विशेष फोकस देते हुए बैठक में अधिकतर योजनाएं इन्हीं जिलों के लिए अनुमोदित की गई हैं.
साल में दो बार जनवरी और मई माह में हरियाणा राज्य सूखा राहत एवं बाढ़ नियंत्रण बोर्ड की बैठक होनी तय की गई है. मई माह में जनवरी की बैठक में तय किए गए छोटी अवधि के प्रोजेक्ट और दीर्घकालीन प्रोजेक्ट्स की समीक्षा की जाएगी. जल संरक्षण और पानी के दोबारा उपयोग के लिए भी पिछली बार के 35 करोड़ रुपये के बजट को 167 करोड़ रुपये तक बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि आबादी और कृषि क्षेत्र में जमा हो रहे पानी को ड्रेन आउट करने की बजाय रिचार्ज करने पर बल दिया जा रहा है. 50 एकड़ से ज्यादा एरिया में पानी खड़ा होता है, वो जमीन सरकार लेने को तैयार है. उस जगह पर तालाब या रिचार्ज वेल बनाने का काम करेंगे.