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पलवल के किसान धान की बजाय दलहन फसल बोने को तैयार

किसानों ने जल संरक्षण को ध्यान में रखते हुए सरकार का साथ देते हुए दलहन की फसलें बोने का निर्णय लिया है. पलवल जिले में गिरते हुए जलस्तर को बचाने के लिए कृषि विभाग ने किसानों से धान की फसल की बजाय दलहन की फसलों की बिजाई करने का अनुरोध किया है.

Palwal farmers ready to farm alternate crops instead of paddy
Palwal farmers ready to farm alternate crops instead of paddy
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Published : May 12, 2020, 10:24 PM IST

पलवल: जिले में गिरते हुए जलस्तर को बचाने के लिए कृषि विभाग ने किसानों से धान की फसल की बजाय दलहन की फसलों की बिजाई करने का अनुरोध किया है. किसानों ने भी जल संरक्षण को ध्यान में रखते हुए सरकार का साथ देते हुए दलहन की फसलें बोने का निर्णय लिया है.

कृषि उपनिदेशक डॉ. महाबीर सिहं ने बताया कि राज्य सरकार ने जल संरक्षण को प्रोत्साहन देने के लिए मेरा पानी-मेरी विरासत योजना भी आरम्भ की है. योजना के बारे में किसानों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा है कि किसान धान के स्थान पर कम पानी से तैयार होने वाली अन्य वैकल्पिक फसलें जैसे कि मक्का, अरहर, ग्वार, तिल, ग्रीष्म मूंग (समर मूंग) व अन्य फसलों की बुआई करें.

उन्होंने कहा कि जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए किसानों को धान की बजाय अन्य वैकल्पिक फसलें अपनानी होंगी, ताकि हम भावी पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य के लिए पानी की बचत सुनिश्चित कर सकें.

उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे जल संरक्षण अभियान को सफल बनाने में अपना योगदान दें. डॉ. महावीर सिहं ने बताया कि किसान फसल चक्र अपनाएं. फसल चक्र के दौरान किसान धान की फसल की बजाय ढैंचा की फसल लगाएं.

उन्होंने कहा कि आमतौर पर किसान कुछ समय बाद ढैंचे की फसल की खेत में जुताई कर देता है और इससे भूमि की उर्वरक शक्ति भी बढ़ती है. ढैंचा की फसल पशु चारे के लिए भी प्रयोग में लाई जा सकती है.

पलवल: जिले में गिरते हुए जलस्तर को बचाने के लिए कृषि विभाग ने किसानों से धान की फसल की बजाय दलहन की फसलों की बिजाई करने का अनुरोध किया है. किसानों ने भी जल संरक्षण को ध्यान में रखते हुए सरकार का साथ देते हुए दलहन की फसलें बोने का निर्णय लिया है.

कृषि उपनिदेशक डॉ. महाबीर सिहं ने बताया कि राज्य सरकार ने जल संरक्षण को प्रोत्साहन देने के लिए मेरा पानी-मेरी विरासत योजना भी आरम्भ की है. योजना के बारे में किसानों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा है कि किसान धान के स्थान पर कम पानी से तैयार होने वाली अन्य वैकल्पिक फसलें जैसे कि मक्का, अरहर, ग्वार, तिल, ग्रीष्म मूंग (समर मूंग) व अन्य फसलों की बुआई करें.

उन्होंने कहा कि जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए किसानों को धान की बजाय अन्य वैकल्पिक फसलें अपनानी होंगी, ताकि हम भावी पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य के लिए पानी की बचत सुनिश्चित कर सकें.

उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे जल संरक्षण अभियान को सफल बनाने में अपना योगदान दें. डॉ. महावीर सिहं ने बताया कि किसान फसल चक्र अपनाएं. फसल चक्र के दौरान किसान धान की फसल की बजाय ढैंचा की फसल लगाएं.

उन्होंने कहा कि आमतौर पर किसान कुछ समय बाद ढैंचे की फसल की खेत में जुताई कर देता है और इससे भूमि की उर्वरक शक्ति भी बढ़ती है. ढैंचा की फसल पशु चारे के लिए भी प्रयोग में लाई जा सकती है.

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