चंडीगढ़: हरियाणा की लोक लेखा समिति ( पीएसी ) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में भ्रष्टाचार के कई मामलों में बड़ी कार्रवाई की सिफारिश की है. पीएसी ने सीएजी की 2017 की रिपोर्ट को आधार मानकर जांच की सिफारिश की है.
हरियाणा की लोक लेखा समिति ने सीएजी की 2017 की टिप्पणी को आधार मानकर कई मामलों में कार्रवाई की सिफारिश की है. गुरुग्राम में करीब 21 करोड़ के ड्यूक टाइल आयरन पाइप की खरीद की गई थी, लेकिन 2011 से 2013 के बीच बिना जरूरत के खरीदे गए 20.80 करोड़ के ये डीआई पाइप का मार्च 2017 तक कोई इस्तेमाल नहीं हुआ.
सीएजी ने की कई मामलों में जांच की सिफारिश
बिना जरूरत के ही करोड़ों के पाइप खरीदकर स्टोर में रखे गए. इस मामले में पीएसी ने सीएजी की 2017 की टिप्पणी को आधार मानकर जांच की सिफारिश की है. इस मामले में सीधा सीधा बिना किसी इस्तेमाल के खरीदे गए इन 20 करोड़ के पाइप जोकि बिना इस्तेमाल के खरीदे गए ये अपने आप मे बड़ा मामला है, जिसपर पीएसी ने विभागीय जांच की शिफारिश की है.
वही कैथल के एक ट्रेन के दोबारा र्निर्माण के लिए 3 करोड़ 70 लाख रुपये में काम आवंटित हुआ था, लेकिन बाद में रिवाइज्ड एस्टिमेट में 7 करोड़ 15 लाख रुपये में अप्रूव किया गया. पीएसी ने इस मामले में भी जांच की सिफारिश की है. इसके साथ-साथ एमडीयू में कंप्यूटराइजेशन के लिए 2010 में 6 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जबकि विश्वविद्यालय ने 32 करोड़ 31 लाख रुपये दिए.
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इस मामले की जांच पहले की जा रही है, बावजूद इसके एक अन्य कंपनी को हायर करके एक करोड़ 40 लाख दिए गए बावजूद काम अभी भी अधूरा है. एमडीयू के 40 कॉलेजों और संस्थानों के वर्गीकरण के लिए किए गए निरीक्षणों का परफॉर्मा भी पूरी तरह नहीं भरा गया, ये वर्गीकरण 2011 से 2017 के बीच होना था. इस मामले में भी पीएसी ने अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने की सिफारिश की है.
सीएजी का काम एक नजर में-
गौरतलब है कि सीएजी की तरफ से हर वर्ष जारी की जाने वाली रिपोर्ट में प्रदेश के अलग-अलग विभागों में हुई अनियमितता और भ्रष्टाचार के मामलों को उठाया जाता है. सीएजी की रिपोर्ट आने के बाद सरकार की तरफ से ये मामला विधानसभा की लोक लेखा समिति को भेजा जाता है. पीएसी में जहां सत्ता पक्ष के विधायक सदस्य होते हैं. वही विपक्षी विधायकों को भी इसमें शामिल किया जाता है.
कौन थे पीएसी कमेटी के सदस्य?
पीएसी की इस कमेटी में चेयरमैन ज्ञान चंद गुप्ता, सदस्यों मे विधायक परमिंदर सिंह ढुल, जय तीरथ, बक्शी सिंह विर्क, हरविंदर कल्याण, पवन सैनी, रणधीर सिंह कापड़ीवास, कृष्ण लाल मिड्ढा और नगेंद्र भड़ाना सदस्य थे.