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22 साल पुराने HPSC भर्ती भ्रष्टाचार मामले में राष्ट्रपति ने दी मुकदमा चलाने की मंजूरी, जानिए क्या है ओपी चौटाला सरकार का ये मामला

हरियाणा में ओपी चौटाला सरकार में हुए हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) की परीक्षा में कथित भ्रष्टाचार के मामले में राष्ट्रपति ने आरोपियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है. ये मामला करीब 22 साल पुराना है. केस के कई आरोपी आज बड़े पद पर हैं. एक आरोपी अब जेजेपी के बड़े नेता हैं तो वहीं एक अन्य कांग्रेस के विधायक. आइये आपको बताते हैं पूरा मामला क्या है.

OP Chautala HPSC Corruption Case
OP Chautala HPSC Corruption Case
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Published : Jun 14, 2023, 10:41 PM IST

Updated : Jun 14, 2023, 10:47 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला की सरकार के कार्यकाल के दौरान हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) के अध्यक्ष और सदस्यों के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार (OP Chautala HPSC Corruption Case) के एक मामले में देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है. इस मामले में एचपीएससी के पूर्व अध्यक्ष केसी बांगड़ और आयोग के 13 पूर्व सदस्य आरोपी हैं. राष्ट्रपति ने सभी आरोपियों पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी.

भ्रष्टाचार के इस मामले में आरोप है कि आरोपियों ने इनेलो शासन के दौरान एचपीएससी की ओर से आयोजित परीक्षाओं में अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया. यह सब तब हुआ जब हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री थे. केसी बांगड़ इस समय जननायक जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. बाकी के 13 पूर्व सदस्यों में प्रदीप चौधरी कालका से वर्तमान में कांग्रेस विधायक हैं. अन्य आरोपियों में दयाल सिंह, एमएस शास्त्री, जगदीश राय, नरेंद्र विद्यालंकार, डूंगर राम, एनएन यादव, चट्टर सिंह, युधवीर सिंह और सतबीर सिंह शामिल हैं.

ये भी पढ़ें- व्यापम घोटाले से भी बड़ा हरियाणा भर्ती घोटाला, युवाओं से माफी मांगें मुख्यमंत्री- रणदीप सुरजेवाला

इसके अलावा रणबीर हुड्डा, ओपी बिश्नोई और केसी बांगड़ की पत्नी संतोष सिंह का नाम भी आरोपियों की लिस्ट में शामिल है. हरियाणा सरकार ने इस मामले में दिसंबर 2022 में सभी के खिलाफ 2001 और 2004 की हरियाणा सिविल सेवा (कार्यकारी शाखा) और संबद्ध सेवाओं की परीक्षा और चयन में अपने आधिकारिक पद के दुरुपयोग के लिए मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के लिए अनुरोध राष्ट्रपति को भेजा था. आपको बता दें कि जुलाई 1999 से लेकर मार्च 2005 तक ओपी चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री थे.

हरियाणा राज्य सतर्कता ब्यूरो ने सभी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 और 120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 और 13 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी. केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने 7 जून को राष्ट्रपति की मंजूरी के बारे में हरियाणा सरकार को सूचित किया था. जिसमें कहा गया था कि सतर्कता ब्यूरो के रिकॉर्ड को देखने से पता चला है कि एचपीएससी के इन पूर्व पदाधिकारियों ने अवैध संतुष्टि के लिए अनुचित पक्ष दिखाया और अनियमितताएं कीं, जिसके परिणामस्वरूप अयोग्य उम्मीदवारों का चयन किया गया.

इस मामले में राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से कहा गया है कि राष्ट्रपति एफआईआर की कॉपी, जांच, फोरेंसिक रिपोर्ट और अन्य प्रासंगिक दस्तावेजों की जांच करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची हैं कि प्रथम दृष्टया धारा 7 (लोक सेवक से संबंधित अपराध) के तहत कथित अपराध का मामला बनता है. इन सभी के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) के साथ ही भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं का प्रावधान किया गया है. राष्ट्रपति से स्वीकृति आदेश में कहा गया है कि राष्ट्रपति द्वारा कानून की अदालत में इन पूर्व एचपीएससी पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 (1) के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी जाती है.

ये भी पढ़ें- एचपीएससी की भर्तियों में खेल कोटा खत्म करके सरकार ने दिखाया अपना खेल और खिलाड़ी विरोधी चेहरा: भूपेंद्र हुड्डा

चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला की सरकार के कार्यकाल के दौरान हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) के अध्यक्ष और सदस्यों के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार (OP Chautala HPSC Corruption Case) के एक मामले में देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है. इस मामले में एचपीएससी के पूर्व अध्यक्ष केसी बांगड़ और आयोग के 13 पूर्व सदस्य आरोपी हैं. राष्ट्रपति ने सभी आरोपियों पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी.

भ्रष्टाचार के इस मामले में आरोप है कि आरोपियों ने इनेलो शासन के दौरान एचपीएससी की ओर से आयोजित परीक्षाओं में अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया. यह सब तब हुआ जब हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री थे. केसी बांगड़ इस समय जननायक जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. बाकी के 13 पूर्व सदस्यों में प्रदीप चौधरी कालका से वर्तमान में कांग्रेस विधायक हैं. अन्य आरोपियों में दयाल सिंह, एमएस शास्त्री, जगदीश राय, नरेंद्र विद्यालंकार, डूंगर राम, एनएन यादव, चट्टर सिंह, युधवीर सिंह और सतबीर सिंह शामिल हैं.

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इसके अलावा रणबीर हुड्डा, ओपी बिश्नोई और केसी बांगड़ की पत्नी संतोष सिंह का नाम भी आरोपियों की लिस्ट में शामिल है. हरियाणा सरकार ने इस मामले में दिसंबर 2022 में सभी के खिलाफ 2001 और 2004 की हरियाणा सिविल सेवा (कार्यकारी शाखा) और संबद्ध सेवाओं की परीक्षा और चयन में अपने आधिकारिक पद के दुरुपयोग के लिए मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के लिए अनुरोध राष्ट्रपति को भेजा था. आपको बता दें कि जुलाई 1999 से लेकर मार्च 2005 तक ओपी चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री थे.

हरियाणा राज्य सतर्कता ब्यूरो ने सभी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 और 120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 और 13 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी. केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने 7 जून को राष्ट्रपति की मंजूरी के बारे में हरियाणा सरकार को सूचित किया था. जिसमें कहा गया था कि सतर्कता ब्यूरो के रिकॉर्ड को देखने से पता चला है कि एचपीएससी के इन पूर्व पदाधिकारियों ने अवैध संतुष्टि के लिए अनुचित पक्ष दिखाया और अनियमितताएं कीं, जिसके परिणामस्वरूप अयोग्य उम्मीदवारों का चयन किया गया.

इस मामले में राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से कहा गया है कि राष्ट्रपति एफआईआर की कॉपी, जांच, फोरेंसिक रिपोर्ट और अन्य प्रासंगिक दस्तावेजों की जांच करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची हैं कि प्रथम दृष्टया धारा 7 (लोक सेवक से संबंधित अपराध) के तहत कथित अपराध का मामला बनता है. इन सभी के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) के साथ ही भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं का प्रावधान किया गया है. राष्ट्रपति से स्वीकृति आदेश में कहा गया है कि राष्ट्रपति द्वारा कानून की अदालत में इन पूर्व एचपीएससी पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 (1) के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी जाती है.

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Last Updated : Jun 14, 2023, 10:47 PM IST
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