चंडीगढ़: आज पूरा देश नीरज चोपड़ा के टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल (Neeraj Chopra Gold Medal Tokyo Olympics) जीतने पर जश्न मना रहा है. ये जीत इसलिए भी खास है क्योंकि नीरज ने गोल्ड जीतकर एथलेटिक्स में पड़े भारत के बरसों पुराने सूखे को खत्म किया है. नीरज ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है. किसान परिवार में जन्मे नीरज की आर्थिक हालत ज्यादा अच्छी नहीं थी.
अपने शौक को पूरा करने के लिए नीरज ने जैसे-तैसे कर सात हजार रुपये का भाला (Neeraj Chopra 7 thousand Javelin) खरीदा था. जिससे वो प्रैक्टिस किया करते थे. बाद में नीरज (Neeraj chopra) जब नेशनल कैंप अटेंड करने गए तो उनके चाचा ने नीरज के लिए एक लाख रुपये का जैवलिन खरीदा. इस भाले की कीमत सात लाख तक होती है. बता दें कि ये भाला लकड़ी का बना होता है. जिसके आगे का हिस्सा नुकीला होता है, जो कि हल्की धातु से बनाया जाता है, ताकी इसे ज्यादा दूर तक फेंका जा सके.
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भाला फेंक एक ट्रैक और फील्ड इवेंट है, जिसमें दौड़ना, कूदना और फेंकना जैसी एथलेटिक प्रतियोगिताएं शामिल हैं. ये एक आउटडोर खेल है. पुरूषों और महिलाओं के लिए भाले का वजन अलग-अलग होता है. पुरुष भाले का वजन 800 ग्राम तो महिला भाले का वजन 600 ग्राम होता है. इस खेल में फेंके जाने वाले भाले की लम्बाई 8 फीट 2 इंच होती है. जहां भाला फेंक पुरुष इवेंट को डिकैथलॉन कहा जाता है, वहीं महिला इवेंट को हेप्टाथलॉन कहा जाता है. ये दोनों एक ही इवेंट हैं.