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नवरात्र के चौथे दिन होती है मां स्कंद माता की पूजा, जानें मंत्र और विधि

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Published : Apr 9, 2019, 4:12 AM IST

संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों को लाल वस्त्र में सुहाग चिन्ह सिंदूर, लाल चूड़ी, महावर, नेल पेंट, लाल बिंदी तथा सेब और लाल फूल एवं चावल बांधकर मां की गोद भरनी चाहिए.

स्कंद माता (डिजाइन फोटो)

चंडीगढ़: आज नवरात्र के चौथे दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की अराधना की जा रही है. ऐसी मान्यता है कि इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं. भक्त को मोक्ष मिलता है. सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है.

ऐसा है स्कंद माता का स्वरूप
स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने की वजह से इन्हें स्कंदमाता नाम किया गया है. भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं. स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं जिनमें से माता ने अपने दो हाथों में कमल का फूल पकड़ा हुआ है. उनकी एक भुजा ऊपर की ओर उठी हुई है, जिससे वह भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और एक हाथ से उन्होंने गोद में बैठे अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है. ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है. सिंह इनका वाहन है.

navratri special sakand mata pooja
स्कंद माता

इस तरह शुरू हुई स्कंदमाता की पूजा
कुमार कार्तिकेय की रक्षा के लिए जब माता पार्वती क्रोधित होकर आदिशक्ति रूप में प्रगट हुईं तो इंद्र भय से कांपने लगे. इंद्र अपने प्राण बचाने के लिए देवी से क्षमा याचना करने लगे. कुमार कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है इसलिए माता को मनाने के लिए इंद्र देवताओं सहित स्कंदमाता नाम से देवी की स्तुति करने लगे और उनका इसी रूप में पूजन किया. इस समय से ही देवी अपने पांचवें स्वरूप में स्कंदमाता रूप से जानी गईं और नवरात्र के पांचवें दिन इनकी पूजा का विधान तय हो गया.

ऐसे करें मां स्कंदमाता की पूजा

स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें. इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें. चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें. इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें. संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों को लाल वस्त्र में सुहाग चिन्ह सिंदूर, लाल चूड़ी, महावर, नेल पेंट, लाल बिंदी तथा सेब और लाल फूल एवं चावल बांधकर मां की गोद भरनी चाहिए.

मां स्कंदमाता का मंत्र
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया.
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
इसके अतिरिक्त इस मंत्र से भी मां की आराधना की जाती है:
या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:..

चंडीगढ़: आज नवरात्र के चौथे दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की अराधना की जा रही है. ऐसी मान्यता है कि इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं. भक्त को मोक्ष मिलता है. सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है.

ऐसा है स्कंद माता का स्वरूप
स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने की वजह से इन्हें स्कंदमाता नाम किया गया है. भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं. स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं जिनमें से माता ने अपने दो हाथों में कमल का फूल पकड़ा हुआ है. उनकी एक भुजा ऊपर की ओर उठी हुई है, जिससे वह भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और एक हाथ से उन्होंने गोद में बैठे अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है. ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है. सिंह इनका वाहन है.

navratri special sakand mata pooja
स्कंद माता

इस तरह शुरू हुई स्कंदमाता की पूजा
कुमार कार्तिकेय की रक्षा के लिए जब माता पार्वती क्रोधित होकर आदिशक्ति रूप में प्रगट हुईं तो इंद्र भय से कांपने लगे. इंद्र अपने प्राण बचाने के लिए देवी से क्षमा याचना करने लगे. कुमार कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है इसलिए माता को मनाने के लिए इंद्र देवताओं सहित स्कंदमाता नाम से देवी की स्तुति करने लगे और उनका इसी रूप में पूजन किया. इस समय से ही देवी अपने पांचवें स्वरूप में स्कंदमाता रूप से जानी गईं और नवरात्र के पांचवें दिन इनकी पूजा का विधान तय हो गया.

ऐसे करें मां स्कंदमाता की पूजा

स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें. इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें. चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें. इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें. संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों को लाल वस्त्र में सुहाग चिन्ह सिंदूर, लाल चूड़ी, महावर, नेल पेंट, लाल बिंदी तथा सेब और लाल फूल एवं चावल बांधकर मां की गोद भरनी चाहिए.

मां स्कंदमाता का मंत्र
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया.
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
इसके अतिरिक्त इस मंत्र से भी मां की आराधना की जाती है:
या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:..

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