दिल्ली/चंडीगढ़: एसवाईएल मामले पर हरियाणा सरकार की ओर से केंद्र सरकार को लिखे पत्र के बाद और पंजाब के हामी भरने के बाद अब बैठक चल रही है. इस बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े हैं.
बैठक में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े हैं और बैठक के बाद ये रिपोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाएगी.
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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से केंद्र सरकार को आदेश दिए गए थे कि हरियाणा और पंजाब दोनों राज्यों के बीच एसवाईएल के विवाद को लेकर बैठक करवाकर इस मामले का हल निकालें. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से 3 हफ्ते का समय दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पहले हरियाणा के सीएम ने पत्र लिखकर बैठक के लिए तैयार होने की बात कही थी.
क्या है एसवाईएल विवाद?
यह पूरा विवाद साल 1966 में हरियाणा राज्य के बनने से शुरू हुआ था. उस वक्त हरियाणा के सीएम पंडित भगवत दयाल शर्मा थे और पंजाब के सीएम ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसाफिर नए नए गद्दी पर बैठे थे. पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर सतलुज-यमुना लिंक नहर परियोजना के अंतर्गत 214 किलोमीटर लंबा जल मार्ग तैयार करने का प्रस्ताव था. इसके तहत पंजाब से सतलुज को हरियाणा में यमुना नदी से जोड़ा जाना है.
इसका 122 किलोमीटर लंबा हिस्सा पंजाब में होगा तो शेष 92 किलोमीटर हरियाणा में. हरियाणा समान वितरण के सिद्धांत मुताबिक कुल 7.2 मिलियन एकड़ फीट पानी में से 4.2 मिलियन एकड़ फीट हिस्से पर दावा करता रहा है लेकिन पंजाब सरकार इसके लिए राजी नहीं है. हरियाणा ने इसके बाद केंद्र का दरवाजा खटखटाया और साल 1976 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसके तहत हरियाणा को 3.5 मिलियन एकड़ फीट पानी का आवंटन किया गया.