चंडीगढ़: हरियाणा में सरकारी नौकरी से लिए लाखों की संख्या में नौजवान तैयारी करते हैं. लेकिन, उनमें से चंद को ही सरकारी नौकरी मिल पाती है. लंबे समय से देखा जा रहा है कि राज्य सरकार द्वारा विभागों, बोर्डों और निगमों के लिए निकाली गई सरकारी नौकरियां अधर में ही लटकी रह जाती हैं. इनमें फैसला लेने में लंबा समय लगता है. वहीं, मनोहर लाल सरकार में कई विभागों में पिछले लंबे समय से सरकारी विभागों में पद में खाली पड़ी हैं, जिसे सरकार द्वारा सभी पदों को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने के भी आदेश दिए गए थे. वहींं, दूसरी तरफ ऐसे कितने पद हैं, जिनकी परीक्षाएं हो चुकी हैं सिर्फ रिजल्ट बाकी है. वे अभी भी कानूनी दांव पेंच में फंसी हुई हैं.
हरियाणा में सरकारी विभागों में हजारों पद खाली: बता दें कि, हरियाणा में सरकारी विभागों में हजारों पद खाली हैं. 2022 में सिर्फ 6000 पदों की भर्ती प्रक्रिया पूरी की गई थी. इतना ही नहीं, हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HSSC) ने भर्ती भी कम निकली है. हरियाणा में नई भर्ती ना होने से जहां एक ओर बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर सरकारी विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों पर वर्कलोड भी बढ़ रहा है. इसके चलते लोगों के काम भी समय पर नहीं हो रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि आम लोगों से जुड़े पुलिस, जन स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, पशुपालन जैसे विभागों में कर्मचारियों की सबसे ज्यादा कमी बीते समय में देखी जा रही है. भले ही हरियाणा में इस साल बेरोजगारी की दर 6 फीसदी से थोड़ी ही अधिक है.
हरियाणा में बेरोजगारी दर: पिछले 9 सालों से भाजपा की सरकार चली आ रही है. वहीं, पीएलएफएस रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 में हरियाणा में बेरोजगारी दर 9.3 प्रतिशत है. इससे पहले हरियाणा में 2020-21 में 6.6 प्रतिशत, 2019-20 में 6.7 प्रतिशत, 2018-19 में 9.8 प्रतिशत और 2017-18 में यह 8.8 प्रतिशत थी. 2023 का आंकड़ा साल के अंत में जारी किया जाएगा. हरियाणा सरकार द्वारा विधानसभा सेशन के दौरान दिए गए आंकड़ो के मुताबिक बेरोजगारी की दर 6 फीसद से थोड़ी ही अधिक है. जबकि, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़े बताते हैं तो हरियाणा में बेरोजगारी दर 37.4 प्रतिशत तक दर्ज की गयी है. 2022 में सीएमआई स्ट्रैटेजिक द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक बेरोजगारी दर के डेट ऑफ इंडिया स्टेट वाइज में हरियाणा का नंबर सबसे अधिक रहा.
जहां जनवरी में 23.4, फरवरी में 30.9, मार्च में 26.5, अप्रैल में 34.5, मई में 24.6, जून में 30.5, जुलाई में 26.9, अगस्त में 37.3, सितंबर में 22.9, अक्टूबर में कब 30.7 और नवंबर में 30.6 के करीब तक बेरोजगारी की दर दर्ज की गई थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा में लाखों ऐसे पद हैं, जो खाली पड़े है. CMIE की रिपोर्ट आने के बाद कई भर्तियों का रिजल्ट निकाल गया, लेकिन फिर भी राज्य में बेरोजगार की संख्या में ज्यादा कमी नहीं देखी गयी. वहीं, HSSC द्वारा इस साल 35,000 के करीब भर्तियां निकली गईं थीं, जिनका चयन प्रक्रिया अभी भी जारी है.
2015 की पीजीटी संस्कृत भर्ती (विज्ञापन संख्या 4/2015) सुप्रीम कोर्ट में अटकी हुई है और उस पर रोक लगी हुई है. हरियाणा पुलिस विज्ञापन 2021 सब इंस्पेक्टर (पुरुष) मामले में आंसर शीट की चुनौती लंबित है और परिणाम बदल सकता है. सीईटी सबसे विवादास्पद विज्ञापन है, जहां मुख्य परीक्षा के लिए 4 गुना उम्मीदवारों को बुलाए जाने को चुनौती दी गई थी. एचपीएससी पीजीटी भर्ती 2019 से पीजीटी भर्ती लंबित है. मानदंड को चुनौती देने वाले विभिन्न मामले दायर किए गए, उसके बाद आयोग ने विज्ञापन वापस ले लिया और नया विज्ञापन जारी किया. लिखित परीक्षा आज तक नहीं लिया गया. हाईकोर्ट से विभिन्न पदों पर स्टे लगा हुआ है. बीते साल एचपीएससी द्वारा एचसीएस-2022 पिछले साल एचसीएस के प्रश्न पत्र में आयोग द्वारा 38 प्रश्न दोहराए गए और अब तक 2 दौर की मुकदमेबाजी दायर की गई है. एक और चुनौती आने की उम्मीद है. ऐसे में इस भर्ती को लेकर देरी हो रही है. - रविंदर सिंह ढुल, पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता हरियाणा एडवोकेट
प्राइवेट सेक्टर में हरियाणा के युवाओं को आरक्षण: इसके साथ ही प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में हरियाणा के युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगाने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ मनोहर लाल सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी. केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद राज्य कानून पर रोक लगाने वाले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया था. रोजगार गारंटी कानून के तहत प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों, खासकर उद्योगों में हरियाणा के युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है, जो निजी क्षेत्र की नौकरियों में प्रति माह 30,000 रुपये से कम आय वाले स्थानीय युवाओं के लिए 75% आरक्षण प्रदान करता है. फरीदाबाद और गुरुग्राम के औद्योगिक संगठनों जिनके द्वारा याचिका दायर की गई थी. संगठनों का कहना है कि यह कानून देश की आर्थिक इकाई के रूप में भारत को प्रभावित कर सकता है, जिसके चलते इस मामले में भी कोई स्पष्ट फैसला नहीं लिया गया है.
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मौजूदा समय में भर्ती के लटक रहे मामले: हरियाणा में लंबे समय से सरकारी भर्तियां अटकी हुई हैं. सरकार की तरफ से निर्णय लिया गया था कि अब ग्रुप सी और डी की सभी भर्तियां कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) के माध्यम से करवाई जाएंगी. वहीं, हरियाणा के आईटीआई डिप्लोमा धारकों ने सीईटी को लेकर अपनी मांग उठाई है. इसके साथ ही हरियाणा अभियोजन विभाग में एडीए के पद भरने के लिए हरियाणा पब्लिक सर्विस कमिशन द्वारा निकाली गई 112 पदों की भर्ती पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. कोर्ट द्वारा एचपीएससी को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गए हैं.
हरियाणा में इन विभागों में भर्ती पर रोक: ऐसे ही हरियाणा लोक सेवा आयोग के माध्यम से होने वाली पीजीटी भर्ती पर रोक लगा दी गई है. नवंबर 2020 में इन पदों को भरने की जिम्मेदारी एचपीएससी को दी गई और इसके लिए फिर से विज्ञापन जारी किया गया. इस मामले में हरियाणा सरकार से जवाब मांगा गया है. हरियाणा में 5500 पुरुष पुलिस सिपाही भर्ती पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने यह आदेश एक पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया है. इससे भर्ती की दूसरी सूची में शामिल 2413 अभ्यर्थियों की नियुक्ति अटक गई है.
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नॉर्मलाइजेशन पॉलिसी पर आपत्ति: इस बीच 41 याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका में दाखिल की कि सरकार ने पुरुष और महिला सिपाही के 6600 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था. परीक्षा के बाद सभी प्रक्रिया पूरी गई, लेकिन नियुक्ति में सरकार ने नॉर्मलाइजेशन की पॉलिसी अपनाई. सरकार के इस फैसले से एक शिफ्ट में अच्छे अंक लेने वाला अभ्यर्थी भी अंतिम सूची से बाहर हाे गया. वहीं, सरकार की नॉर्मलाइजेशन पॉलिसी पर आपत्ति जताई है. पुरुष सिपाही भर्ती की पहली सूची में 3087 अभ्यर्थियों को नियुक्त पत्र मिल चुके हैं. इसके साथ ही हरियाणा सरकार द्वारा 2063 फायर ऑपरेटर कम ड्राइवर के लिए निकली गई भर्ती को चुनौती दी थी. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि 2016 के नियमों के तहत यह पद मौजूद ही नहीं है. हाईकोर्ट ने इसके बाद भर्ती पर रोक लगा दी थी. इसके बाद अब सरकार का कहना है कि नियमों में संशोधन कर दिया गया है और रोक का आदेश हटाया जाएगा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इन मामलों में अभी भी फैसला नहीं लिया गया है.
एसएसपी डायरेक्टरेट ऑफ एनफोर्समेंट सीनियर काउंसिल अरविंद मौदगिल ने कहा कि, चंडीगढ़ दो राज्यों की राजधानी है. ऐसे में यहां पर अधिकारी और कर्मचारी डेपुटेशन पर नियुक्त होते हैं. वहीं, दोनों राज्यों की 60-40 की रेशियो के चलते चंडीगढ़ में कर्मचारियों का ट्रांसफर होता है. चंडीगढ़ की निजी तौर पर निकाली जाने वाली भर्तियां अधिकतर सीटीयू और चंडीगढ़ पुलिस की होती है. बीते दिनों ही सीटीयू में कंडक्टर और ड्राइवर के लिए भर्तियां निकाली गई थी. पिछले हफ्ते ही परीक्षा आयोजित करवाई गई थी. इन परीक्षाओं में एक घपला सामने आया. कुछ ऐसे लोग गिरफ्तार किए गए जो और किसी और की जगह पेपर देने आए हुए थे. उन पर कार्रवाई की जा रही है.
चंडीगढ़ पुलिस द्वारा लंबे समय बाद 700 कॉन्स्टेबल और 41 एएसआई की भर्ती निकाली गई थी, जिसमें हजारों की संख्या में अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है. लेकिन, एएसआई की भर्ती को लेकर जनरल कोटे के एक व्यक्ति द्वारा याचिका दायर की गई थी कि एससी और ओबीसी के तहत उन्हें भी उम्र में छूट दी जाए. ऐसे में वीरवार, 20 जुलाई को अदालत ने इस मामले को डिसमिस कर दिया. - अरविंद मोदगिल, एसएसपी, डायरेक्टरेट ऑफ एनफोर्समेंट सीनियर काउंसिल