चंडीगढ़: हरियाणा में आने वाले कुछ ही दिनों में विधानसभा चुनाव हैं. विधानसभा चुनाव के पास आते ही प्रदेश की राजनीति में माहौल गरम होने लगा है. माहौल गरम होने की असल वजह है 'महागठबंधन' की चर्चाएं.
दरअसल हरियाणा कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला के भाई रणजीत सिंह चौटाला ने महागठबंधन को लेकर एक बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि हरियाणा में कांग्रेस को इनेलो, जेजेपी और बसपा के साथ बातचीत शुरू कर गठबंधन बनाना चाहिए. अब उनके इसी बयान ने महागठबंधन की चर्चाओं को तेज कर दिया.
वहीं उनके इस बयान के बाद कांग्रेसी नेता करण दलाल का बयान भी सामने आया. उन्होंने भी महागठबंधन की चर्चाओं को नकारा नहीं और कह दिया कि आने वाले कुछ ही दिनों में हरियाणा में नया बदलाव देखा जाएगा.
इनेलो का रुख ?
इस महागठबंधन में शामिल होने को लेकर इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष का ये कहना कि राजनीति में किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. वो ये दर्शाता है कि शायद अंदर कुछ पक रहा हो लेकिन वो साथ ही कहते हैं कि ये फैसला उनके सुप्रीम लीडर यानि ओपी चौटाला के हाथ में है. और ओपी चौटाला कांग्रेस के साथ आएंगे इसकी उम्मीद न के बराबर ही है.
जेजेपी क्या कर सकती है ?
अभी महागठबंधन की हवाएं सिर्फ चलना शुरू हुई हैं. न कांग्रेस के किसी बड़े लीडर ने इस पर हामी भरी है न ही किसी और पार्टी ने खुलकर कोई बात की है. इसीलिए जेजेपी भी अभी अपने सुप्रीम लीडर यानि अजय चौटाला का नाम लेकर कुछ भी कहना नहीं चाहती है. लेकिन इनेलो के मुकाबले जेजेपी की इस गठबंधन में जाने की उम्मीद थोड़ी प्रबल है. क्योंकि दिग्विजय चौटाला कहते हैं कि महागठबंधन से इनकार नहीं किया जा सकता है. लेकिन पार्टी इस पर आखिरी फैसला लेगी.
बीएसपी का रुख क्या हो सकता है ?
बीएसपी कांग्रेस के साथ आ सकती है क्योंकि दोनों कई जगहों पर साथ रह चुकी हैं. कर्नाटक की सरकार को भी बीएसपी के इकलौते विधायक का समर्थन हासिल था. और भी कई जगहों पर बीएसपी कांग्रेस का साथ देती रही है. इसीलिए बीएसपी को इस गठबंधन में लाना थोड़ा आसान होगा.
'महागठबंधन' पर बीजेपी क्या कहती है ?
बीजेपी नेता जानते हैं कि ऐसा कोई गठबंधन बनाना आसान नहीं होगा. फिर भी चुटकी लेकर कांग्रेस के हाल पर हंस रहे हैं. रामबिलास शर्मा कहते हैं कि हमने बाप-बेटा एंड कंपनी बंद कर दी है. अब किसी के साथ आने से कुछ नहीं होगा. मोदी के आगे कोई नहीं टिक पएगा. और कैबिनेट मंत्री कविता जैन कहती हैं कि उनका गठबंधन जनता के साथ है.
इसे पहले हुए 'महागठबंधन' का प्रदर्शन कैसा रहा ?
पहले भी ये फॉर्मूला कई राज्यों में अपनाया गया है. बिहार में कांग्रेस ने आरजेडी और जेडीयू के साथ विधानसभा चुनाव लड़ा था जिससे बाद में जेडीयू अलग हो गई. उसके बाद लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने बिहार में आरजेडी और बाकी छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लगी. इसके अलावा 2019 के लोकसभा चुनाव में ही उत्तर प्रदेश में भी एक महागठबंधन बना था जिसमें एसपी-बीएसपी के साथ आरएलडी भी थी. लेकिन इस 'महागठबंधन' को भी कोई खास कामयाबी हासिल नहीं हुई थी.