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Navratri 2019: आज होगी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें पूजा की विधि - will be worship

ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली देवी. मां के हाथों में अक्ष माला और कमंडल होता है. मां ब्रह्मचारिणी के पूजन से ज्ञान सदाचार लगन, एकाग्रता और संयम रखने की शक्ति प्राप्त होती है

मां ब्रह्मचारिणी
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Published : Apr 7, 2019, 6:13 AM IST

चंडीगढ़: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है. ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली देवी. मां के हाथों में अक्ष माला और कमंडल होता है.
मां ब्रह्मचारिणी के पूजन से ज्ञान सदाचार लगन, एकाग्रता और संयम रखने की शक्ति प्राप्त होती है और व्यक्ति अपने कर्तव्य पथ से भटकता नहीं है. मां ब्रह्मचारिणी की भक्ति से लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है.

पूजा विधि:
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में मां को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि अर्पण करें. उन्हें दूध, दही, घृत, मधु व शर्करा से स्नान कराएं और इसके देवी को पिस्ते से बनी मिठाई का भोग लगाएं. इसके बाद पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें. कहा जाता है कि मां पूजा करने वाले भक्त जीवन में सदा शांत चित्त और प्रसन्न रहते हैं. उन्हें किसी प्रकार का भय नहीं सताता.

मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र:
या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

मनोकामना:
जो व्यक्ति भक्ति भाव एवं श्रद्धा से दुर्गा पूजा के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं उन्हें सुख, आरोग्य की प्राप्ति होती है और मन प्रसन्न रहता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं सताता है. सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है, तथा जीवन की अनेक समस्याओं एवं परेशानियों का नाश होता है.

चंडीगढ़: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है. ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली देवी. मां के हाथों में अक्ष माला और कमंडल होता है.
मां ब्रह्मचारिणी के पूजन से ज्ञान सदाचार लगन, एकाग्रता और संयम रखने की शक्ति प्राप्त होती है और व्यक्ति अपने कर्तव्य पथ से भटकता नहीं है. मां ब्रह्मचारिणी की भक्ति से लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है.

पूजा विधि:
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में मां को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि अर्पण करें. उन्हें दूध, दही, घृत, मधु व शर्करा से स्नान कराएं और इसके देवी को पिस्ते से बनी मिठाई का भोग लगाएं. इसके बाद पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें. कहा जाता है कि मां पूजा करने वाले भक्त जीवन में सदा शांत चित्त और प्रसन्न रहते हैं. उन्हें किसी प्रकार का भय नहीं सताता.

मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र:
या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

मनोकामना:
जो व्यक्ति भक्ति भाव एवं श्रद्धा से दुर्गा पूजा के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं उन्हें सुख, आरोग्य की प्राप्ति होती है और मन प्रसन्न रहता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं सताता है. सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है, तथा जीवन की अनेक समस्याओं एवं परेशानियों का नाश होता है.

Intro:नवरात्र को लेकर श्रद्धालुओं को उत्साह, मंदिर सजे
चरखी दादरी। नवरात्र के पहले दिन दादरी शनिवार को शहर के प्रमुख मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई है। चैत्र नवरात्र को लेकर भक्तों में खासा उत्साह नजर आ रहा है। दादरी के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के मंदिरों में श्रद्धालु देर रात से दर्शन पूजन के लिए लगे हुए हैं। पुलिस की तरफ से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।Body:नौ दिनों में देवी पूजा का विशेष महत्व
महंत सच्चानाथ ने बताया कि मां के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में अमृत कलश है। जिससे वहभक्तों पर अमृत वर्षा करती हैं। हिमालयराज की पुत्री होने की वजह से उन्हें शैलपुत्री कहा गया। दुर्गा की शक्ति संतुलित भी है। किसी भी प्रकार की साधना के लिए शक्ति का होना जरूरी है और शक्ति की साधना का पथ अत्यंत गूढ और रहस्यपूर्ण है। हम नवरात्र में व्रत इसलिए करते हैं, ताकि अपने भीतर की शक्ति, संयम और नियम से सुरक्षित हो सकें, उसका अनावश्यक अपव्यय न हो।
विजवल:- 1
सजाए गए मंदिर, मंदिर पहुंचते भक्त व श्रद्धालु व अन्य कट शाटस
बाईट:- 2
ममता, श्रद्धालु
बाईट:-3
बिमला, श्रद्धालु
बाईट:- 4
सच्चानाथ, महंत मंदिरConclusion:
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