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लॉकडाउनः चंडीगढ़ में गरीबों और मजदूरों को नहीं मिल पा रही सरकारी मदद - सरकारी मदद चंडीगढ़

लॉकडाउन के मद्देनजर केंद्र सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन ने गरीब तबके के लोगों के लिए कई घोषणाएं की हैं. लेकिन चंडीगढ़ में रह रहे गरीब और दिहाड़ी मजदूरों को सरकार या चंडीगढ़ प्रशासन की घोषणाओं का कोई फायदा नहीं मिल रहा है.

Lockdown: poor and laborers are not getting government help in Chandigarh
Lockdown: poor and laborers are not getting government help in Chandigarh
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Published : Mar 29, 2020, 10:18 PM IST

चंडीगढ़ः कोरोना वायरस से बचाव के लिए पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया गया है. चंडीगढ़ में भी है लॉकडाउन जारी है. वहीं गरीब लोगों के भूखे मरने की नौबत आ चुकी है. क्योंकि लॉकडाउन की वजह से इन लोगों को कोई काम नहीं मिल रहा है और ये लोग प्रशासन की अनदेखी का शिकार भी हो रहे हैं. क्योंकि प्रशासन की ओर से चलाई गई योजनाओं का लाभ इन लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है.

नहीं मिल रहा सरकारी घोषणाओं की लाभ

लॉकडाउन के दौरान गरीब लोगों को पर्याप्त खाना मिल सके. इसके लिए सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की थी. शहर में खाना बांटने वाली कई गाड़ियां भी चलवाई थी. ताकि जो गरीब लोग लॉकडाउन के दौरान मजदूरी नहीं कर सकते, उनके घर तक खाना पहुंचाया जा सके.

ईटीवी भारत ने चंडीगढ़ में एक मजदूर बस्ती में जाकर इस बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की कि लोगों को खाना मिल पा रहा है या नहीं. झुग्गियों में रहने वाले लोगों का कहना था कि लॉकडाउन की वजह से वह अपनी झुग्गियों से बाहर नहीं जा पा रहे हैं. पहले वह मेहनत मजदूरी करके दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर लेते थे. लेकिन अब वह भी बंद हो गया है और उनके घरों में इतना भी राशन नहीं बचा है कि अब वो अपना गुजारा घर रहकर कर सकें.

चंडीगढ़ में गरीबों और मजदूरों को नहीं मिल पा रही सरकारी मदद

झुग्गियों में रहने वाले लोगों का कहना है कि

उनके और उनके बच्चों कि भूखे मरने की नौबत आ गई है. प्रशासन द्वारा चलाई गाड़ियों में से पिछले 4 दिनों में सिर्फ दो गाड़ियां यहां पहुंची थी और उन्होंने भी 40 - 50 लोगों को थोड़ा-थोड़ा खाना दिया और वे वहां से चली गई. जिससे बाकी लोगों को खाना नहीं मिल पाया और वे भूखे ही रह गए. इतना ही नहीं प्रशासन की ओर से चलाई गई गाड़ियों से बहुत कम मात्रा में खाना दिया जा रहा है, जिससे एक इंसान का पेट नहीं भर सकता. झुग्गियों में रहने वाले लोगों ने प्रशासन के सामने यह गुहार लगाई है कि उनके लिए पर्याप्त खाने का इंतजाम किया जाए, नहीं तो वह भूखे मर जाएंगे.

साथ ही इन लोगों ने यह भी कहा कि

प्रशासन ने फल सब्जी बेचने के लिए सरकारी बसें भी चलाई हैं. लेकिन उन बसों में जो फल और सब्जियां बेची जा रही हैं, वो बहुत ज्यादा महंगी हैं. जिसके चलते गरीब लोग चाहे भी तो वहां से कुछ भी नहीं खरीद सकते, क्योंकि उनके पास इतने पैसे नहीं बचे हैं.

वहीं बातचीत के दौरान एक गाड़ी वहां पर खाना बांटने के लिए पहुंची थी, लेकिन लोगों ने खाना लेने से मना कर दिया. उनका कहना है कि या तो यहां रह रहे हर आदमी को पर्याप्त खाना दिया जाए या उन्हें राशन का सामान दे दिए जाए. इस तरह से कुछ लोगों को खाना देना और वह भी कभी-कभी देना सही नहीं है. प्रशासन इस ओर ध्यान दें नहीं तो लॉकडाउन खत्म होने तक शायद ही यह लोग जिंदा ना बचे.

आपको बता दें कि चंडीगढ़ में बड़ी संख्या में गरीब तबका रहता है जो मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पालता है. लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद से इन लोगों की मेहनत मजदूरी बंद हो गई है और अब इनके पास अपना पेट भरने का कोई जरिया नहीं बचा है. इनके पास इतने पैसे भी नहीं है कि यह लोग राशन खरीद कर अपना घर चला सकें. हालांकि प्रशासन ने खाना बांटने के लिए कुछ गाड़ियां चलवाई थी. लेकिन उन गाड़ियों का खाना भी इन लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है. जिस वजह से अब यह लोग भारी मुसीबत में हैं.

ये भी पढ़ेंः- KMP एक्सप्रेस-वे पर प्रवासी मजदूरों को ट्रक ने कुचला, 5 की मौत

चंडीगढ़ः कोरोना वायरस से बचाव के लिए पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया गया है. चंडीगढ़ में भी है लॉकडाउन जारी है. वहीं गरीब लोगों के भूखे मरने की नौबत आ चुकी है. क्योंकि लॉकडाउन की वजह से इन लोगों को कोई काम नहीं मिल रहा है और ये लोग प्रशासन की अनदेखी का शिकार भी हो रहे हैं. क्योंकि प्रशासन की ओर से चलाई गई योजनाओं का लाभ इन लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है.

नहीं मिल रहा सरकारी घोषणाओं की लाभ

लॉकडाउन के दौरान गरीब लोगों को पर्याप्त खाना मिल सके. इसके लिए सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की थी. शहर में खाना बांटने वाली कई गाड़ियां भी चलवाई थी. ताकि जो गरीब लोग लॉकडाउन के दौरान मजदूरी नहीं कर सकते, उनके घर तक खाना पहुंचाया जा सके.

ईटीवी भारत ने चंडीगढ़ में एक मजदूर बस्ती में जाकर इस बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की कि लोगों को खाना मिल पा रहा है या नहीं. झुग्गियों में रहने वाले लोगों का कहना था कि लॉकडाउन की वजह से वह अपनी झुग्गियों से बाहर नहीं जा पा रहे हैं. पहले वह मेहनत मजदूरी करके दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर लेते थे. लेकिन अब वह भी बंद हो गया है और उनके घरों में इतना भी राशन नहीं बचा है कि अब वो अपना गुजारा घर रहकर कर सकें.

चंडीगढ़ में गरीबों और मजदूरों को नहीं मिल पा रही सरकारी मदद

झुग्गियों में रहने वाले लोगों का कहना है कि

उनके और उनके बच्चों कि भूखे मरने की नौबत आ गई है. प्रशासन द्वारा चलाई गाड़ियों में से पिछले 4 दिनों में सिर्फ दो गाड़ियां यहां पहुंची थी और उन्होंने भी 40 - 50 लोगों को थोड़ा-थोड़ा खाना दिया और वे वहां से चली गई. जिससे बाकी लोगों को खाना नहीं मिल पाया और वे भूखे ही रह गए. इतना ही नहीं प्रशासन की ओर से चलाई गई गाड़ियों से बहुत कम मात्रा में खाना दिया जा रहा है, जिससे एक इंसान का पेट नहीं भर सकता. झुग्गियों में रहने वाले लोगों ने प्रशासन के सामने यह गुहार लगाई है कि उनके लिए पर्याप्त खाने का इंतजाम किया जाए, नहीं तो वह भूखे मर जाएंगे.

साथ ही इन लोगों ने यह भी कहा कि

प्रशासन ने फल सब्जी बेचने के लिए सरकारी बसें भी चलाई हैं. लेकिन उन बसों में जो फल और सब्जियां बेची जा रही हैं, वो बहुत ज्यादा महंगी हैं. जिसके चलते गरीब लोग चाहे भी तो वहां से कुछ भी नहीं खरीद सकते, क्योंकि उनके पास इतने पैसे नहीं बचे हैं.

वहीं बातचीत के दौरान एक गाड़ी वहां पर खाना बांटने के लिए पहुंची थी, लेकिन लोगों ने खाना लेने से मना कर दिया. उनका कहना है कि या तो यहां रह रहे हर आदमी को पर्याप्त खाना दिया जाए या उन्हें राशन का सामान दे दिए जाए. इस तरह से कुछ लोगों को खाना देना और वह भी कभी-कभी देना सही नहीं है. प्रशासन इस ओर ध्यान दें नहीं तो लॉकडाउन खत्म होने तक शायद ही यह लोग जिंदा ना बचे.

आपको बता दें कि चंडीगढ़ में बड़ी संख्या में गरीब तबका रहता है जो मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पालता है. लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद से इन लोगों की मेहनत मजदूरी बंद हो गई है और अब इनके पास अपना पेट भरने का कोई जरिया नहीं बचा है. इनके पास इतने पैसे भी नहीं है कि यह लोग राशन खरीद कर अपना घर चला सकें. हालांकि प्रशासन ने खाना बांटने के लिए कुछ गाड़ियां चलवाई थी. लेकिन उन गाड़ियों का खाना भी इन लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है. जिस वजह से अब यह लोग भारी मुसीबत में हैं.

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