चंडीगढ़: देश की सियासत में इन दिनों ओल्ड पेंशन स्कीम का मुद्दा गरमाया हुआ है. कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारों ने ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से लागू कर दिया है. चाहे बात हिमाचल प्रदेश की हो या राजस्थान की. ये सभी राज्य ओल्ड पेंशन स्कीम को अपने प्रदेश में शुरू कर चुके हैं और अब लगातार इस मुद्दे पर बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं. इधर इस मुद्दे पर हरियाणा नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा पहले की साफ कर चुके हैं कि अगर आगामी चुनाव के बाद उनकी सरकार बनती है. तो वो प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करेंगे.
ओल्ड स्कीम के पक्ष में दुष्यंत चौटाला? ऐसे में हरियाणा सरकार पर भी पुरानी पेंशन नीति को बहाल करने का दबाव बन रहा है. क्योंकि ज्यादातर राज्यों में बीजेपी की सरकार है और केंद्र में भी. अब इसको लेकर बीजेपी शासित राज्यों को फैसला लेना है. इधर इस मामले को लेकर हरियाणा की बीजेपी सरकार की सहयोगी पार्टी जेजेपी भी इसके पक्ष में दिखाई दे रही है. हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि उन्होंने मामले पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल से बातचीत की हैं. उन्होंने कहा कि अगर हम एनपीएस (न्यू पेंशन स्कीम) और ओपीएस (ओल्ड पेंशन स्कीम) का डिफरेंस देखते हैं, तो वो चार प्रतिशत है.
नई स्कीम में हो सकता है बदलाव: उन्होंने कहा कि हम इस पर चर्चा भी कर रहे हैं कि एनपीएस में ही 4 परसेंट बढ़ाकर, अपने कर्मचारियों को फायदा दें. जो ओपीएस में मिल रहा है. तो लगता है कि इससे कर्मचारी भी संतुष्ट होंगे और हमें स्कीम को बदलने की जरूरत भी नहीं है. उन्होंने केंद्र से भी आग्रह किया कि वो इस पर विचार करें. उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का ये बयान बताता है कि कहीं ना कहीं कांग्रेस पार्टी की ओपीएस को लेकर जो रणनीति बनी है, उसकी वजह से वो भी दबाव में आ गए हैं. वहीं उनका बयान उनकी सहयोगी पार्टी बीजेपी को भी दबाव में ला सकता है.
बीजेपी को हो सकता है नुकसान: जिस तरीके से बीते चुनाव में हिमाचल में इस मुद्दे को लेकर राजनीति हुई और बीजेपी को नुकसान हुआ. कहीं ना कहीं बीजेपी भी जरूर इस पर विचार कर रही होगी. जब बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेजेपी कर्मचारियों को लाभ देने के लिए इस पर काम करने के लिए तैयार है. तो क्या बीजेपी इसके लिए तैयार है होगी? ये सबसे बड़ा सवाल है. इस मामले पर बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण अत्रे ने कहा कि अगर प्रदेश और जनता के हित में होगा तो सरकार निश्चित तौर पर ही इसको लेकर कोई ना कोई फैसला जरूर लेगी. आखरी फैसला तो इस मामले में सरकार को ही लेना है.
वहीं इस मामले में हरियाणा कांग्रेस के प्रवक्ता केवल ढींगरा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी जब सत्ता में आएगी तो हर हाल में ओपीएस को लागू करेगी. कांग्रेस शासित राज्यों में इसको लागू किया है और हरियाणा में भी अगर कांग्रेस सरकार बनती है, तो इसको लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बीजेपी निश्चित तौर पर इसकी वजह से अब दबाव में है और हो सकता है कि इसी दबाव को देखते हुए वो कोई कदम उठाएं. इधर ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने को लेकर कर्मचारी भी इसके पक्ष में हैं. हरियाणा सर्व कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि कर्मचारियों की लंबे समय से ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग है.
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इसको लेकर कर्मचारी लगातार अपनी आवाज को भी बुलंद कर रहे हैं. सरकार को ओल्ड पेंशन स्कीम को कर्मचारियों के हित के लिए लागू करना चाहिए. इधर राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह इस मुद्दे को लेकर कहते हैं कि ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने को लेकर कर्मचारी लगातार अपनी आवाज उठा रहे हैं. कांग्रेस शासित राज्यों ने ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू कर दिया है, तो ऐसे में दबाव निश्चित तौर पर ही बीजेपी शासित राज्यों पर होगा. वे कहते हैं कि बीजेपी को इसका समाधान निकालना होगा. नहीं तो इसका नुकसान भी चुनावों में पार्टी को हो सकता है जैसा कि हिमाचल में भी देखने को मिला.
नई और पुरानी पेंशन नीति में अंतर: पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के अंतिम वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है. ये पेंशन कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई के आंकड़ों से तय की जाती है. इसमें कर्मचारियों के वेतन से पैसा नहीं काटा जाता. कर्मचारी को दी जाने वाली पेंशन का भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है. इसके अतिरिक्त इस पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है. रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर पेंशन का पैसा उसके परिजनों को मिलने लगता है. पुरानी पेंशन स्कीम में हर 6 महीने बाद कर्मचारियों को DA डीए दिए जाने का प्रावधान है. जब-जब सरकार वेतन आयोग का गठन करती है, पेंशन भी रिवाइज हो जाती है.
वहीं नई पेंशन स्कीम में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी. जहां पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा होती थी, वहीं नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है. पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायर होने के समय सैलरी की आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी, जबकि नई पेंशन योजना में आपको कितनी पेंशन मिलेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है. दोनों में सबसे बड़ा अंतर ये है कि पुरानी पेंशन योजना एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है. नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें आपके द्वारा एनपीएस में लगाए गए पैसे को शेयर बाजार में लगाया जाता है.