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संपत्ति नाम करवाने के बाद अगर नहीं की मां-बाप की सेवा तो हो जाएंगे बेदखल, जानें क्या कहता है नियम

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Published : Aug 2, 2021, 5:35 PM IST

अक्सर देखा जाता है कि माता-पिता अपनी प्रॉपर्टी बच्चों या फिर रिश्तेदारों के नाम कर देते हैं. बाद में वो लोग उन्हें दरकिनार कर देते हैं. लेकिन अब अगर बच्चों ने मां-बाप की सेवा नहीं की तो वो बेदखल (property transfer canceled) हो सकते हैं.

What is a property tribunal?
What is a property tribunal?

चंडीगढ़: ऐसे कई मामले सामने आते हैं जब बुजुर्ग माता-पिता प्रॉपर्टी बच्चों के नाम कर देते हैं, लेकिन बाद में वो अपने माता पिता का ध्यान नहीं रखते. जिससे बुजुर्ग दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो जाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. चंडीगढ़ के एडीसी केपीएस माही की अध्यक्षता में बने ट्रिब्यूनल के अनुसार अगर बुजुर्ग माता-पिता अपनी संपत्ति अपने बच्चों को या अन्य रिश्तेदारों के नाम कर देते हैं. बाद में वो लोग उन्हें दरकिनार कर देते हैं. तो माता-पिता संपत्ति हस्तांतरण को रद्द (property transfer canceled) कर सकते हैं.

उन्होंने बताया कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के रखरखाव एवं कल्याण अधिनियम 2007 के सेक्शन 23 के तहत माता-पिता को ये अधिकार मिलता है कि वो किसी भी वक्त इस हस्तांतरण को रद्द कर सकते हैं. चंडीगढ़ के अतिरिक्त उपायुक्त और ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष केपीएस माही ने बताया माता-पिता बुढ़ापे में अपने बच्चों के नाम अपनी सारी संपत्ति कर देते हैं और वो ये उम्मीद रखते हैं कि बुढ़ापे में उनके बच्चे उनका ख्याल रखेंगे, लेकिन ऐसे कई मामले सामने आते हैं जब माता-पिता की संपत्ति अपने नाम करवाने के बाद बच्चे अपने माता-पिता का ध्यान नहीं रखते और उन्हें दर-दर की ठोकरे खाने के लिए छोड़ देते हैं.

ऐसे में बुजुर्ग लोगों के पास कोई विकल्प नहीं बचता, लेकिन अधिनियम 2007 के सेक्शन 23 के तहत उन्हें अधिकार दिया गया है कि अगर ऐसा कोई मामला सामने आता है तो बुजुर्ग लोग अपनी संपत्ति हस्तांतरण को वापस ले सकते हैं. ट्रिब्यूनल में ये भी कहा गया है कि बहुत से बुजुर्गों को संबंधी हस्तांतरण के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती.

ये भी पढ़ें- हरियाणा की इस ताई ने अपनों को छोड़ गौशाला को दान कर दी डेढ़ करोड़ की संपत्ति, जानिए क्यों

कई बार तो बुजुर्ग मौखिक तौर पर ही अपनी संपत्ति दूसरों के नाम कर देते हैं, लेकिन बाद में मौखिक तौर पर की गई किसी भी शर्त को पूरा नहीं किया जाता. ट्रिब्यूनल की ओर से सब रजिस्ट्रार को भी ये आदेश दिया गया है कि जब भी कोई बुजुर्ग अपनी संपत्ति को अपने बच्चों या रिश्तेदारों के नाम ट्रांसफर करवाए. उस वक्त उसे इस प्रावधान के बारे में भी जानकारी दी जानी चाहिए. बुजुर्गों को इस अधिनियम के बारे में पूरी जानकारी मिले, ये सब रजिस्ट्रार को खुद सुनिश्चित भी करना होगा.

चंडीगढ़: ऐसे कई मामले सामने आते हैं जब बुजुर्ग माता-पिता प्रॉपर्टी बच्चों के नाम कर देते हैं, लेकिन बाद में वो अपने माता पिता का ध्यान नहीं रखते. जिससे बुजुर्ग दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो जाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. चंडीगढ़ के एडीसी केपीएस माही की अध्यक्षता में बने ट्रिब्यूनल के अनुसार अगर बुजुर्ग माता-पिता अपनी संपत्ति अपने बच्चों को या अन्य रिश्तेदारों के नाम कर देते हैं. बाद में वो लोग उन्हें दरकिनार कर देते हैं. तो माता-पिता संपत्ति हस्तांतरण को रद्द (property transfer canceled) कर सकते हैं.

उन्होंने बताया कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के रखरखाव एवं कल्याण अधिनियम 2007 के सेक्शन 23 के तहत माता-पिता को ये अधिकार मिलता है कि वो किसी भी वक्त इस हस्तांतरण को रद्द कर सकते हैं. चंडीगढ़ के अतिरिक्त उपायुक्त और ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष केपीएस माही ने बताया माता-पिता बुढ़ापे में अपने बच्चों के नाम अपनी सारी संपत्ति कर देते हैं और वो ये उम्मीद रखते हैं कि बुढ़ापे में उनके बच्चे उनका ख्याल रखेंगे, लेकिन ऐसे कई मामले सामने आते हैं जब माता-पिता की संपत्ति अपने नाम करवाने के बाद बच्चे अपने माता-पिता का ध्यान नहीं रखते और उन्हें दर-दर की ठोकरे खाने के लिए छोड़ देते हैं.

ऐसे में बुजुर्ग लोगों के पास कोई विकल्प नहीं बचता, लेकिन अधिनियम 2007 के सेक्शन 23 के तहत उन्हें अधिकार दिया गया है कि अगर ऐसा कोई मामला सामने आता है तो बुजुर्ग लोग अपनी संपत्ति हस्तांतरण को वापस ले सकते हैं. ट्रिब्यूनल में ये भी कहा गया है कि बहुत से बुजुर्गों को संबंधी हस्तांतरण के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती.

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कई बार तो बुजुर्ग मौखिक तौर पर ही अपनी संपत्ति दूसरों के नाम कर देते हैं, लेकिन बाद में मौखिक तौर पर की गई किसी भी शर्त को पूरा नहीं किया जाता. ट्रिब्यूनल की ओर से सब रजिस्ट्रार को भी ये आदेश दिया गया है कि जब भी कोई बुजुर्ग अपनी संपत्ति को अपने बच्चों या रिश्तेदारों के नाम ट्रांसफर करवाए. उस वक्त उसे इस प्रावधान के बारे में भी जानकारी दी जानी चाहिए. बुजुर्गों को इस अधिनियम के बारे में पूरी जानकारी मिले, ये सब रजिस्ट्रार को खुद सुनिश्चित भी करना होगा.

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