चंडीगढ़: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने 11 दिसंबर को हड़ताल बुलाई. इस हड़ताल की वजह से देशभर में अस्पताल पहुंचे मरीजों को समस्या उठानी पड़ी. ये हड़ताल आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी की मंजूरी देने के खिलाफ है. ऐसे में ये समझना जरूरी है कि डॉक्टर हड़ताल क्यों कर रहे हैं?
इस बारे में ईटीवी भारत ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन चंडीगढ़ इकाई के पूर्व निदेशक और वर्ल्ड हेल्थ एसोसिएशन के एडवाइजर डॉक्टर रमणीक सिंह बेदी से बातचीत की. उन्होंने बताया की सरकार ने आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी करने की मंजूरी दी है जिस वजह से देशभर के डॉक्टर से हड़ताल पर हैं, क्योंकि डॉक्टर सरकार के इस फैसले से नाखुश हैं.
आयुर्वेदिक डॉक्टर से मरीज की जान को खतरा हो सकता है?
उनका कहना है की ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर करीब 8 साल इसके लिए पढ़ाई और प्रैक्टिस करते हैं तब वो ऑपरेशन करने के काबिल हो पाते हैं. ऑपरेशन करना मरीज की जिंदगी और मौत से जुड़ा सवाल होता है हर कोई ऑपरेशन जैसी गंभीर काम को अंजाम नहीं दे सकता. जिस डॉक्टर ने आयुर्वेद की पढ़ाई की हो वो डॉक्टर ऑपरेशन कैसे कर सकता है. ऐसा करना मरीज की जान को जोखिम में डालने जैसा होगा.
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डॉ. रमणीक ने कहा कि भारत में आयुर्वेद का अपना एक स्थान है. लोग इलाज के लिए आयुर्वेद का सहारा भी लेते हैं. अगर आयुर्वेद के जरिए इलाज करने वाले डॉक्टर को ऑपरेशन करने की मशीन दी जाएगी तो वो ना तो ठीक से ऑपरेशन कर पाएंगे और ना ही ठीक से आयुर्वेद से इलाज कर पाएंगे. सरकार के इस फैसले से चिकित्सा पद्धति बिगड़ जाएगी और ये है ना सिर्फ चिकित्सकों बल्कि मरीजों के लिए भी घातक होगा.
आखिर मामला क्या है?
20 नवंबर को सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (CCIM) ने एक नोटिफिकेशन जारी किया. ये नोटिफिकेशन पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई करने वाले आयुर्वेदिक डॉक्टरों को 58 तरह की सर्जरी करने की मंजूरी देता है.
किस तरह की सर्जरी की मंजूरी दी गई है?
सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडिया आयुर्वेदिक डॉक्टरों को 58 तरह की सर्जरी करने की मंजूरी देता है. इसमें 39 जनरल सर्जरी है, जिन्हें आयुर्वेद की भाषा में 'शल्य' कहा जाता है और 19 तरह की सर्जरी नाक, कान, गला, आंख से जुड़ी है, जिसे 'शालक्य' कहा जाता है.
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2016 में भी सरकार जारी कर चुकी है ऐसा नोटिफिकेशन
2016 में भी सरकार ने ऐसा ही नोटिफिकेशन जारी किया था. आयुर्वेदिक डॉक्टरों की सर्जरी को लेकर इस बार का नोटिफिकेशन पहले से ज्यादा क्लियर है. 2016 के नोटिफिकेशन में कहा गया था कि सीसीआईएम ने पीजी कोर्स के लिए जो सिलेबस जारी किया है, उसके तहत स्टूडेंट को सर्जरी की ट्रेनिंग दी जाएगी. इस बार स्पष्ट लिखा गया है कि 58 सर्जरी कर सकते हैं. आयुर्वेदिक कॉलेजों में शुरू से ही 'शल्य' और 'शालक्य' डिपार्टमेंट होते हैं.
सरकार का क्या कहना है?
सरकार का कहना है कि ये आयुर्वेद में इस्तेमाल होने वाले टर्म को मॉडर्न मेडिकल टर्म में बदलने की कवायद है. मकसद है कि अलग-अलग मेडिकल फील्ड के लोगों के बीच बेहतर कम्युनिकेशन हो सके.