चंडीगढ़: हरियाणा और दिल्ली के बीच पानी को लेकर विवाद लगातार जारी है. दिल्ली सरकार हरियाणा पर पानी न देने के आरोप लगा रही है. दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा के आरोपों की वजह से दिल्ली और हरियाणा के बीच राजनीति गरमाई हुई है. इस मुद्दे को लेकर दिल्ली लगातार राजनीति कर रही है. वहीं इसका हरियाणा सरकार और उसके अधिकारी भी लगातार जवाब दे रहे हैं, लेकिन इसी बीच ये जानना भी जरूरी है कि हरियाणा में पानी की स्थिति क्या है और दिल्ली को हरियाणा से पानी कैसे जाता है, और दिल्ली सरकार के आरोपों में कितनी सच्चाई है.
हरियाणा जल संसाधन विभाग के इंजीनियर इन चीफ राकेश चौहान के मुताबिक दिल्ली सरकार की ओर से जो आरोप लगाए जा रहे हैं वह निराधार हैं. हरियाणा दिल्ली को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 719 क्यूसेक पानी की जगह 950 क्यूसेक से अधिक का पानी उपलब्ध करवा रहा है. ऐसे में दिल्ली सरकार के आरोप निराधार हैं और उसमें कोई दम नहीं है.
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राकेश चौहान के मुताबिक हरियाणा खुद पानी की समस्या से जूझ रहा है. यमुना में 40% पानी की कमी मानसून की वजह से आई है. वहीं भाखड़ा में भी 25% की कमी दर्ज की जा रही है. जबकि रणजीत सागर डैम में भी 30% पानी कम हुआ है. ऐसे में हरियाणा खुद पानी की समस्या से जूझ रहा है, और खुद के लोगों को पेयजल सुविधा मुहैया करवाने में परेशानी हो रही है. बावजूद इसके हरियाणा दिल्ली को मुनक नहर से 950 क्यूसेक से अधिक पानी उपलब्ध करवा रहा है.
उन्होंने कहा कि हरियाणा का अपना कोई पानी का स्रोत नहीं है. जो पानी उपलब्ध है उसी से ही वह दिल्ली की जरूरत को पूरा करता है. जिन तीन प्लांट को दिल्ली को पानी देने की जिम्मेदारी हरियाणा की है वह पूरी की जा रही है. जबकि दिल्ली सरकार खुद पानी की बर्बादी कर रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में 20 से 30% पानी की बर्बादी हो रही है. बावजूद इसके वे हरियाणा पर आरोप लगाकर केवल राजनीति कर रहे हैं. जबकि केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की एक टीम ये पहले ही कह चुकी है कि हरियाणा दिल्ली को निर्धारित पानी दे रहा है, और बल्कि उससे भी ज्यादा पानी उपलब्ध करवा रहा है.
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वहीं हरियाणा की खुद की करीब 5000 क्यूसेक पानी की जरूरत है और इस वक्त हरियाणा को खुद 1900 क्यूसेक पानी मिल रहा है यानी हरियाणा खुद पानी की कमी से दो-चार हो रहा है. बावजूद इसके दिल्ली को निर्धारित मात्रा से ज्यादा पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है. विभाग के अधिकारियों के मुताबिक राघव चड्ढा के आरोपों में दम नहीं है और हरियाणा लगातार तय सीमा से ज्यादा पानी दिल्ली को उपलब्ध करवा रहा है.
बता दें कि, दिल्ली और हरियाणा के बीच पानी के बंटवारे को लेकर होने वाला विवाद नया नहीं है. ये विवाद 1956 से ही चल रहा है, जब वह पूर्वी पंजाब का हिस्सा था. इस बीच दोनों सरकारें हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी लड़ती रही हैं, लेकिन ये समस्या आज भी नहीं सुलझी है. बरसात के दिनों में जब यमुना का जलस्तर बढ़ता है तो दिल्ली में जलभराव की समस्या आ जाती है, वहीं जब गर्मी के समय में दिल्ली बूंद-बूंद के लिए तरसती है तो हरियाणा सरकार पर पानी की कटौती के आरोप लगते रहे हैं.
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