चंडीगढ़: देश के उप प्रधान मंत्री और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री रहे ताऊ देवीलाल की 25 सितंबर को जयंती है. इस दिन को उनकी विरासत के ऊपर अपना-अपना दावा करने वाली इंडियन नेशनल लोकदल यानी इनेलो और जननायक जनता पार्टी यानी जेजेपी है साल अलग-अलग कार्यक्रम करती है. हालांकि 2018 से पहले यह एक साथ इंडियन नेशनल लोकदल के बैनर तले इस कार्यक्रम को करते थे. लेकिन, दिसंबर 2018 में इंडियन नेशनल लोकदल से अलग होकर जननायक जनता पार्टी का गठन हुआ. तब से यह दोनों ही अलग-अलग इस दिन पर कार्यक्रम करते हैं.
जेजेपी का सीकर के रास्ते राजस्थान विधानसभा चुनाव में एंट्री का प्लान: ताऊ देवीलाल जयंती सीकर में मनाकर जेजेपी अब राजस्थान की विधानसभा का दरवाजा अपनी चाबी से खोलने की तैयारी में है. पार्टी 25 सितंबर को जननायक चौधरी देवीलाल की जयंती 'किसान विजय सम्मान दिवस' के तौर पर मना रही है. कार्यक्रम के लिए पार्टी ने पदाधिकारियों की ड्यूटी भी लगाई हैं. हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि इस रैली के साथ ही जेजेपी राजस्थान में विधानसभा चुनाव का शंखनाद कर देगी. राजस्थान में जेजेपी 25-30 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. यानी जेजेपी राजस्थान के रण में उतर कर अन्य दलों के राजनीतिक समीकरण पर भी असर कर सकती है.
क्या है जेजेपी का राजस्थान से नाता?: ऐसा नहीं है कि जननायक जनता पार्टी पहली बार राजस्थान में विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रही है. जननायक जनता पार्टी के नेताओं का राजस्थान से पुराना नाता रहा है. सीकर लोकसभा क्षेत्र से ही सांसद बनकर चौ. देवीलाल देश के उपप्रधानमंत्री बने थे, इसी के चलते जेजेपी सीकर में ताऊ देवीलाल की जयंती पर रैली कर रही है. इसके साथ ही जेजेपी के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह चौटाला का भी राजस्थान से पुराना नाता रहा है. उन्होंने 1989 में पहला चुनाव राजस्थान की दाता रामगढ़ की विधानसभा सीट से जीता था. दूसरा चुनाव राजस्थान की नोहर विधानसभा सीट से सन 1993 में लड़ा और राजस्थान से दूसरी बार विधायक बने थे. दुष्यंत चौटाला कहते हैं कि चौ देवीलाल के समय से जहां हम राजस्थान में मजबूत रहे हैं और जहां हमारे विधायक बने हैं, ऐसे 18 जिलों में जेजेपी फोकस कर रही है.
हरियाणा में क्या है जेजेपी की स्थिति?: दिसंबर 2018 में बनी जननायक जनता पार्टी ने हरियाणा में आम आदमी पार्टी के साथ पांच-पांच सीटों पर मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था. लेकिन, कांग्रेस और अन्य दलों की तरह उसके हाथ कोई सफलता नहीं लगी. क्योंकि इस चुनाव में बीजेपी ने प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की. जबकि, 2019 के विधानसभा चुनाव में जेजेपी अकेले मैदान में उतरी और उसको बड़ी कामयाबी मिली. पार्टी ने 10 विधानसभा सीटों परचम लहराया. जेजेपी को करीब 17 फीसदी वोट मिले. इसके बाद बीजेपी के साथ पार्टी ने मिलकर प्रदेश में सरकार बनाई. वहीं, दुष्यंत चौटाला उप मुख्यमंत्री बने. वर्तमान में जेजेपी हरियाणा हो नहीं बल्कि राजस्थान पर भी अपना राजनीतिक फोकस कर रही है. इसके लिए वह अपने राजस्थान से पुराने राजनीतिक नाते सहारा ले रही है.
इनेलो की I.N.D.I.A गठबंधन में एंट्री कर खुद को मजबूत करने की तैयारी: इधर इंडियन नेशनल लोकदल भी 25 सितंबर यानी ताऊ देवीलाल की जयंती पर सम्मान समारोह करने जा रही है. पार्टी का यह कार्यक्रम कैथल में आयोजित होगा. इस कार्यक्रम के लिए इनेलो ने I.N.D.I.A गठबंधन के कई दिग्गज नेताओं को आमंत्रित किया है. इन में से ज्यादातर नेता पहले भी इनेलो के ताऊ देवीलाल की जयंती पर होने वाले इस कार्यक्रम में शिरकत करते रहे हैं. इनेलो नेता अभय चौटाला बता चुके हैं कि इस बार आने वाले नेताओं में नीतीश कुमार, फारूक अब्दुल्ला, ममता बनर्जी की पार्टी, सुखबीर बादल, उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे आएंगे, इसके साथ ही सीताराम येचुरी, तेजस्वी यादव, जयंत चौधरी आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी आएंगे.
असमंजस में इनेलो!: हालांकि कांग्रेस को बुलावा दिया जाएगा या नहीं यह अभी तय नहीं है. इनेलो नेता कई बार खुद बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए I.N.D.I.A गठबंधन में शामिल होने की इच्छा जता चुके हैं. हालांकि इसको लेकर अभी कोई औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है. यानी इंडियन नेशनल लोकदल तो चाह रही है कि वह इस गठबंधन के साथ आगे बढ़े, लेकिन अभी इसके औपचारिक ऐलान का इंतजार है.
वहीं राजनीतिक मामलों की जानकारी प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि अगर I.N.D.I.A. के साथ इनेलो का गठबंधन होता है तो उसका फायदा गठबंधन के सहयोगी दलों को भी होगा, लेकिन इसका सबसे ज्यादा फायदा हरियाणा में मात्र एक विधायक वाली पार्टी रह गई इनेलो को हो सकता है.
क्या है इनेलो की हरियाणा में स्थिति?: किसी वक्त हरियाणा में सत्ता पर काबिज रही इंडियन नेशनल लोकदल का ग्राफ पिछले करीब दो दशक में लगातार गिरता गया है. साल 2009 के विधानसभा चुनाव में इनेलो को 31 सीटों पर जीत मिली थी. उसका वोट प्रतिशत भी 25 फीसदी से अधिक था. जबकि, साल 2014 में इनेलो हरियाणा में मुख्य विपक्षी पार्टी रही. इनेलो को इस चुनाव में 19 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि उसका वोट प्रतिशत करीब एक फीसदी से ज्यादा कम हो गया था. लेकिन, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी दो हिस्सों में बंट गई.
पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के बेटे अजय चौटाला ने जहां जननायक जनता पार्टी की स्थापना की तो वही अभय चौटाला इंडियन नेशनल लोकदल के साथ ही रहे. 2019 के लोकसभा चुनाव में तो बीजेपी ने सभी सिम जीत ली थी, जिसकी वजह से कोई भी पार्टी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई. लेकिन, 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजे ने सभी को चौंका दिया. इस चुनाव में जननायक जनता पार्टी ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की. जबकि इंडियन नेशनल लोकदल मात्र एक विधायक वाली पार्टी बनकर रह गई. इस चुनाव में सिर्फ अभय चौटाला ही अपनी सीट बचा सके. अब वर्तमान में अभय चौटाला पदयात्रा के जरिए पूरे प्रदेश भर में घूम रहे हैं. जिससे वे उम्मीद कर रहे हैं कि इनेलो फिर से एक मजबूत दल के तौर पर प्रदेश में उभरेगी.
क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकार?: राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि जिस तरह से प्रदेश भर में इनेलो ने पदयात्रा निकाली है उसका पार्टी को फायदा मिलेगा. वह कहते हैं कि इस तरह की यात्राओं का अक्सर हम राजनीतिक दलों को लाभ होते हुए भी देखते हैं. हालांकि इससे हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 कितना वोट स्विंग हरियाणा में होगा यह देखना अगले चुनाव में दिलचस्प रहेगा.
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