ETV Bharat / state

हरियाणा के सूरमा संदीप और सुमित, जैवलिन थ्रो में जीता गोल्ड और सिल्वर - हरियाणा जैवलिन थ्रो

संदीप ने 66.18 मी. थ्रो कर और सुमित ने 62.88 मी. थ्रो कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बेहतर किया है साथ ही संदीप और सुमित ने वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स में वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ गोल्ड और सिल्वर भी जीता है.

javelin throw
author img

By

Published : Nov 11, 2019, 10:26 AM IST

सोनीपत: जैवलिन थ्रो F-64 कैटेगरी में हरियाणा के पैरा-एथलीट संदीप ने गोल्ड और सुमित ने सिल्वर मेडल जीते. दोनों ने अपने-अपने वर्ल्ड रिकॉर्ड भी सुधारे हैं. संदीप और सुमित दोनों हादसे के कारण दिव्यांग हो गए थे.

दुबई में वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में संदीप ने 66.18 मीटर जैवलिन थ्रो किया और एफ 44 कैटेगरी का 65.80 मीटर में अपना रिकॉर्ड सुधारा. वहीं सुमित ने 62.88 मीटर की थ्रो के साथ अपना एफ 64 का 60.45 मीटर का रिकॉर्ड बेहतर किया. दोनों ने अगले साल टोक्यो में में होने वाले पैरालंपिक के लिए क्वालिफाई किया.

पिता ने किया मोटिवेट
गुरुग्राम के संदीप जब 12 साल के थे, तब उन्होंने हादसे में पैर गंवा दिए थे. संदीप का कहना है कि एक बार तो यूं लगा था, मानो जिंदगी खत्म ही हो गई है, लेकिन फौजी पिता ने बचपन से ही सीख दी थी कि अंतिम दम तक हार नहीं माननी है. उनकी इस सीख ने ही संदीप को हौसला दिया और खेल से जोड़ दिया.

रियो पैरालिंपिक में हार
संदीप बताते हैं, 'परिवार और कोच के भरोसे के कारण ही मैं यहां तक पहुंच सका हूं. कोच नवल सिंह 2014 से मेरे साथ हैं. मैं रियो पैरालिंपिक में मामूली अंतर से मेडल चूक गया था और चौथे नंबर पर रहा था. जब भारत लौटा तो लगा कि चौथे और 40वें नंबर में कोई फर्क नहीं है.

जब तक आप पोडियम फिनिश नहीं करते, तब तक मेहनत करते रहनी चाहिए. मैंने अपनी हार को मोटिवेशन के रूप में लिया और कड़ी मेहनत की. कोच ने फिनलैंड में मेरी टेक्नीक पर लगभग डेढ़ महीने तक काम किया. इससे मेरा खेल बिलकुल ही बदल गया. मैंने पिछले साल एशियन गेम्स और अब वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीता.

ये भी पढे़ं:-मिसेज यूनाइटेड नेशन प्रतियोगिता में फर्स्ट रनरअप रही चंडीगढ़ की डॉक्टर विभा

सुमित पैरा एथलीट बनकर किया सपना पूरा
वहीं सोनीपत के सुमित पहलवान थे. उनका सपना था कि कुश्ती में वर्ल्ड चैंपियन बने, लेकिन करीब चार साल पहले दुर्घटना का शिकार हो गए, जिससे घुटने का निचला हिस्सा काटना पड़ा. सामान्य कैटेगरी में चैंपियन नहीं बन सके तो पैरा खेल से जुड़े, ताकि सपना पूरा कर सकें.

सुमित ने जीता सिल्वर मेडल
सुमित के जीजाजी वीरेंद्र धनकड़ भी पैरा एथलीट जैवलिन थ्रोअर हैं. उन्होंने सुमित को हौसला दिया और शुरुआती कोचिंग दी. इसके बाद द्रोणाचार्य अवॉर्डी कोच नवल सिंह के पास दिल्ली भेज दिया. इसके बाद सुमित ने एशियन गेम्स के लिए क्वालिफाई किया. इस बार उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ सिल्वर जीता.

सोनीपत: जैवलिन थ्रो F-64 कैटेगरी में हरियाणा के पैरा-एथलीट संदीप ने गोल्ड और सुमित ने सिल्वर मेडल जीते. दोनों ने अपने-अपने वर्ल्ड रिकॉर्ड भी सुधारे हैं. संदीप और सुमित दोनों हादसे के कारण दिव्यांग हो गए थे.

दुबई में वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में संदीप ने 66.18 मीटर जैवलिन थ्रो किया और एफ 44 कैटेगरी का 65.80 मीटर में अपना रिकॉर्ड सुधारा. वहीं सुमित ने 62.88 मीटर की थ्रो के साथ अपना एफ 64 का 60.45 मीटर का रिकॉर्ड बेहतर किया. दोनों ने अगले साल टोक्यो में में होने वाले पैरालंपिक के लिए क्वालिफाई किया.

पिता ने किया मोटिवेट
गुरुग्राम के संदीप जब 12 साल के थे, तब उन्होंने हादसे में पैर गंवा दिए थे. संदीप का कहना है कि एक बार तो यूं लगा था, मानो जिंदगी खत्म ही हो गई है, लेकिन फौजी पिता ने बचपन से ही सीख दी थी कि अंतिम दम तक हार नहीं माननी है. उनकी इस सीख ने ही संदीप को हौसला दिया और खेल से जोड़ दिया.

रियो पैरालिंपिक में हार
संदीप बताते हैं, 'परिवार और कोच के भरोसे के कारण ही मैं यहां तक पहुंच सका हूं. कोच नवल सिंह 2014 से मेरे साथ हैं. मैं रियो पैरालिंपिक में मामूली अंतर से मेडल चूक गया था और चौथे नंबर पर रहा था. जब भारत लौटा तो लगा कि चौथे और 40वें नंबर में कोई फर्क नहीं है.

जब तक आप पोडियम फिनिश नहीं करते, तब तक मेहनत करते रहनी चाहिए. मैंने अपनी हार को मोटिवेशन के रूप में लिया और कड़ी मेहनत की. कोच ने फिनलैंड में मेरी टेक्नीक पर लगभग डेढ़ महीने तक काम किया. इससे मेरा खेल बिलकुल ही बदल गया. मैंने पिछले साल एशियन गेम्स और अब वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीता.

ये भी पढे़ं:-मिसेज यूनाइटेड नेशन प्रतियोगिता में फर्स्ट रनरअप रही चंडीगढ़ की डॉक्टर विभा

सुमित पैरा एथलीट बनकर किया सपना पूरा
वहीं सोनीपत के सुमित पहलवान थे. उनका सपना था कि कुश्ती में वर्ल्ड चैंपियन बने, लेकिन करीब चार साल पहले दुर्घटना का शिकार हो गए, जिससे घुटने का निचला हिस्सा काटना पड़ा. सामान्य कैटेगरी में चैंपियन नहीं बन सके तो पैरा खेल से जुड़े, ताकि सपना पूरा कर सकें.

सुमित ने जीता सिल्वर मेडल
सुमित के जीजाजी वीरेंद्र धनकड़ भी पैरा एथलीट जैवलिन थ्रोअर हैं. उन्होंने सुमित को हौसला दिया और शुरुआती कोचिंग दी. इसके बाद द्रोणाचार्य अवॉर्डी कोच नवल सिंह के पास दिल्ली भेज दिया. इसके बाद सुमित ने एशियन गेम्स के लिए क्वालिफाई किया. इस बार उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ सिल्वर जीता.

Intro:एंकर - नाथूसरी चैपटा तहसील का एक ऐसा गांव जो तहसील के सरकारी रिकार्ड से गायब हो चुका है। दसअसल यह मामला है सिरसा जिले के गांव चाडीवाल का। तहसील रिकार्ड में गांव का नाम दर्ज नहीं होने से लोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड रहा है।

Body:वीओ 1 - कुछ समय पहले ऐलनाबाद के गांव रूपावास में विकलांग महिला को मृत घोशित करने का मामला सामने आया था तो अब नाथुसरी चैपटा तहसील के गांव चाडीवाल का रिकार्ड सरकारी रिकार्ड से गायब होने का मामला सामने आया है। जहां रूपावास की महिला खुद को जिंदा साबित करने के लिए दर दर की ठोकरें खा रही थी तो अब चाडीवाल गांव के किसान सिरसा जिले के होना साबित करने के लिए ठोकरें खा रहे हैं। इस विशय में जब गांव के लोगों से बातचीत की गई तो गांव के लोगों ने अनेकों प्रकार की परेशानियां बताईं। लोगों का कहना है कि मामला आज का नहीं है बल्कि चार से पांच महीने हो गए। जिसके कारण वे ना तो मेरी फसल का ब्यौरा दर्ज करवा पा रहे हैं और ना ही उन्हें किसान सम्मान योजना का लाभ मिला है। यहां तक कि किसानों का फसली बीमा क्लेम भी नहीं मिला है। ऐसे में लोगों ने कहा कि उनको किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने व उसे रिन्यु करवाने में भी काफी मुसीबतों का सामना करना पड रहा है। किसानों का कहना है कि वे उच्च अधिकारियों सहित उपायुक्त महोदय को भी काफी बार इस समस्या से अवगत करवा चुके हैं, लेकिन उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ।
बाईट - जय करण, करण चाडीवाल, रामकुमार, सुनील, सुरजा राम किसान।

वीओ 2 - वहीं इस बारे में जब तहसीलदार से बातचीत की गई तो उन्होंने ने भी इस बात पर सहमति जताई कि चाडीवाल गांव का रिकार्ड तहसील परिसर में दर्ज नहीं है। ऐसे में उन्होंने कहा कि एनआईसी के साॅफ्टवेयर में अपडेशन के कारण यह हुआ है। वे बार बार चंडीगढ इस बारे में लिख रहे हैं। लेकिन लगभग 2 महीने से गांव का रिकार्ड दर्ज नहीं हो पा रहा।
बाईट - तहसीलदार।
Conclusion:वीओ 3 - एक के बाद एक गलती हमें सरकारी विभाग की देखने को मिल रही है। पहले समाज कल्याण विभाग ने रूपावास की महिला को मृत घोशित कर दिया तो अब तहसील परिसर ने गांव को ही सरकारी रिकार्ड से उडा दिया। इसे हम गलती कहें या अधिकारियों की लापरवाही। ग्रामीणों का कहना है कि चार से पांच महीनों से उन्हें यह समस्या आ रही है लेकिन तहसीलदार साहब गलती छुपाने के लिए केवल दो महीनों से रिकार्ड गायब होने की बात कह रहे हैं। तहसीदार से जब इस समस्या के निदान का सवाल किया गया तो उनका कहना है कि वे भी नहीं जानते कि कब इस समस्या का निदान हो सकता है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.