चंडीगढ़: दुनिया भर में कोरोना को लेकर सभी देश अपने-अपने स्तर पर जंग लड़ रहे हैं. भारत में भी कोरोना के खिलाफ जंग जारी है. इस लाड़ाई में कोरोना को देश से मार भगाने के लिए अहम योगदान निभा रहे देश के असली हीरो डॉक्टर्स भी कोरोना के खतरे के बीच अपनी ड्यूटी को ईमानदारी और निष्ठा से कर रहे हैं. आम दिनों के मुकाबले ये वक्त डॉक्टर्स के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हैं. बावजूद इसके डॉक्टर्स जिस हिम्मत के साथ लोगों का इलाज कर रहे हैं, वो काबिल-ए-तारीफ है.
पंचकूला के जिस सेक्टर 6 अस्पताल में 2 कोरोना मरीजों का इलाज चल रहा है. उस अस्पताल के सीनियर सर्जन डॉ. विवेक भादू और उनके परिवार से ईटीवी भारत से बातचीत की. डॉ. विवेक भादू की पत्नी पेशे से शिक्षिका हैं. उनसे जब हमने कोरोना जैसे घातक वायरस के खिलाफ चल रही जंग और खतरे के बारे में बात की तो उनका जवाब था कि उन्हें गर्व महसूस होता है कि उनके पति विवेक भादू डॉक्टर हैं.
'पिता के डॉक्टर होने पर है गर्व'
वहीं डॉ. विवेक भादू की बेटी ने कहा कि उन्हें गर्व महसूस होता है कि उनके पिता डॉक्टर हैं. अपने ही पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए वो भी जल्द डॉक्टर बनने जा रही हैं. उन्हें बहुत खुशी होती है कि उनके पिता कोरोना वॉरियर हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब पापा बाहर होते हैं तो थोड़ी टेंशन जरूर होती है, लेकिन फिर लगता है अगर पापा नहीं जाएंगे तो लोगों का इलाज कौन करेगा.
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वहीं जब ईटीवी भारत ने डॉक्टर विवेक भादू से बात की तो उन्होंने कहा कि वायरस खुद चलकर घर नहीं आ सकता. उसे लाना पड़ता है, इसीलिए सभी तरह की एतिहात अस्पताल से लेकर घर तक हर जगह बरती जाती है. उन्होंने बताया कि अस्पताल से लौटने के बाद वो घर पर आते ही पहले बाहर जूते उतार देते हैं. फिर बिना किसी से मिले नहाने जाते हैं और फिर कपड़ों को धोने के लिए अलग कर देते हैं, ताकि वायरस घर से दूर रह सके.