चंडीगढ़: चेस यानी शतरंज दिमाग से खेला जाने वाला खेल है. हर साल 20 जुलाई को इंटरनेशनल चेस डे के रूप में मनाया जाता है. इस खेल को सीखने के लिए व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह कितने समय में सीख सकता है. विशषज्ञ की मानें तो चेस एक ऐसी खेल है, जिसे कोई भी उम्र का व्यक्ति सीख कर अपने जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है. भले ही इस खेल में समय लगता है, लेकिन यह दिमाग के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है.
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चंडीगढ़ में पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र हर साल हर चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर लाते हैं. चंडीगढ़ में दो बहन भाई की जोड़ी है, जिन्होंने बचपन से चेस खेला है. आज वे चंडीगढ़ ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से आने वाले छात्रों को चेस सीखा रहे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत ने इंटरनेशनल चेस डे के मौके दोनों बहन भाई से खास बातचीत की. चंडीगढ़ की श्वेता राठौर और नितिन राठौर (भाई-बहन) की जोड़ी ने पंजाब यूनिवर्सिटी और चंडीगढ़ का नाम रोशन किया है. इन अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों ने 'कौन बनेगा करोड़पति' के नौवें संस्करण में अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर प्रतियोगी होने के दौरान शतरंज पर विस्तार से चर्चा करने का मौका मिला था.
बता दें कि नितिन और श्वेता राठौर का परिवार शतरंज खेल के लिए पूरी तरह से समर्पित है. श्वेता ने बताया कि उनके पिता बैजनाथ एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे हैं. उन्होंने बताया कि शतरंज हमारे परिवार के खून में है और हमें यकीन है कि इस खेल का अनुभव कई शतरंज खिलाड़ियों को प्रेरित करेगा. श्वेता राठौर फिलहाल पंजाब यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग में क्लर्क और पीयू शतरंज टीम के कोच के रूप में काम कर रही हैं. वहीं, नितिन राठौर इस समय इंटरनेशनल चेस फेडरेशन के मेंबर हैं.
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नितिन राठौर पिछले 36 सालों से चेस खेल रहे हैं. नितिन ने बताया कि, हमारे पिता हरियाणा ऑडिट डिपार्टमेंट में तैनात थे. उन्होंने अपने विभाग के लिए भी कई नेशनल और इंटरनेशनल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है. जिसके बाद उनकी माता ने और फिर उन्होंने चेस खेलना सीखा. साथ ही उनकी बहन श्वेता राठौर ने भी चेस में ही अपना करियर बनाने का सोचा. नितिन राठौर को सबसे पहले चेस खेलने का मौका वर्ल्ड यूनिवर्सिटी द्वारा करवाए गए एक आयोजन में मिला. जहां देश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी के छात्र आए हुए थे. वहीं, 40 टॉप यूनिवर्सिटी में पंजाब यूनिवर्सिटी ने आठवां स्थान हासिल किया था.
वहीं, श्वेता राठौर ने बताया कि, चेस के कारण जहां मुझे बॉलीवुड के बेहतरीन एक्टर अमिताभ बच्चन से मिलने का मौका मिला. इसके साथ ही मैंने देश के हर कोने में जाकर चेस खिलाड़ियों के साथ खेल का अनुभव साझा किया है. इस अनुभव के चलते वह पंजाब यूनिवर्सिटी में चेस कोच हैं. यूनिवर्सिटी के छात्र पिछले 7 सालों से लगातार गोल्ड मेडल लेकर आ रहे हैं.
श्वेता राठौर ने बताया कि, चेस एक साइकोलॉजिकल गेम है. जिस व्यक्ति की साइकोलॉजी अच्छी है, वह इस खेल के हर गुण को अच्छे से सीख जाता है. साथ ही शतरंज की हर बाजी को जीत सकता है. वहीं, नितिन राठौर ने बताया कि वैसे तो चेस किसी भी उम्र में सीख सकते हैं, लेकिन बच्चों के लिए काफी असरदार है. मनीमाजरा के निवासी संदीप गोयल के बेटे सविनय गोयल ने 2020 में 95% अंक लेकर अपने पिता को चौंका दिया था. सविनय इस समय यूएसए में बीटेक कर रहा है. इसके अलावा महिला शतरंज कोच श्वेता राठौर और पुरुष चेस कोच नितिन राठौर का चार वर्षीय बेटा नीतियांश अंडर 15 में सबसे कम उम्र का खिलाड़ी बना है.