ETV Bharat / state

कहानी सफलता की: हैसियत से आगे बढ़कर संजू बने प्रोफेशनल गोल्फर, प्रेरणादायी है संघर्ष की कहानी - सफलता की प्रेरक कहानी हिंदी में

जो लोग अपने बुरे हालातों के सामने झुककर बड़े सपने देखना बंद कर देत हैं उनके लिए चंडीगढ़ के गोल्फर संजू (Chandigarh Golfer Sanju) एक प्रेरणा स्रोत हैं. अपनी आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद संजू ने 'अमीरों के गेम' गोल्फ में हाथ आजमाया और आज दर्जनभर चैंपियनशिप में अपना लोहा मनवा कर सफल गोल्फर बन चुके हैं.

inspiring-story-of-chandigarh-golfer-sanju-success
हैसियत से आगे बढ़कर संजू बना प्रोफेशनल गोल्फर
author img

By

Published : Oct 30, 2021, 5:45 PM IST

Updated : Oct 30, 2021, 6:00 PM IST

चंडीगढ़: गोल्फ के खेल को अक्सर लोग अमीरों को शौक से जोड़कर देखते हैं. इस खेल को सभी अमीरों का खेल ही मानते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. अगर आपकी चाह है और जज़्बा है तो उसके लिए आपको जरूरत है तो सिर्फ कड़ी मेहनत करने की. लक्ष्य को निर्धारित कर आगे बढ़ने की. कुछ ऐसा ही करके दिखाया चंडीगढ़ के संजू ने जो एक कैडी (गोल्फर का सामान उठाने वाला सहायक) का काम करते थे, लेकिन मन में चाहत थी गोल्फर बनने की तो बस उन्होंने उस ओर कदम बढ़ा दिया.

ईटीवी भारत ने संजू से उनके इस सफर को लेकर खास बातचीत की. संजू कहते हैं कि वे गोल्फ के इस ग्राउंड में ही कैडी के तौर पर काम करते थे. उनको इस खेल में आगे बढ़ने के लिए गोल्फ क्लब के कुछ पदाधिकारियों का सहयोग मिला. और उन्हीं के सहयोग के दम पर वह आज एक प्रोफेशनल गोल्फर बन गए हैं. वे कहते हैं कि जिस ग्राउंड में आप एक कैडी के तौर पर काम करते रहे हो. वहां सब के साथ आज एक प्रोफेशनल गोल्फर की तरह खेलना उन्हें अच्छा लगता है.

हैसियत से आगे बढ़कर संजू बना प्रोफेशनल गोल्फर

जब संजू से पूछा गया कि कैडी के तौर पर यहां कितने साल काम किया? उन्होंने कहा कि उन्होंने यहां पर 2 साल कैडी के तौर पर काम किया. 6 साल से वे एक गोल्फर की भूमिका निभा रहे हैं. वे कहते हैं कि उन्होंने जमशेदपुर, कोयंबटूर जैसे शहरों में प्रोफेशनल मैच खेले हैं. जूनियर खेलों में वे नंबर वन गोल्फर रहे हैं. एमेच्योर में भी दूसरे नंबर पर रहे हैं. इसके साथ ही और आगे बढ़ने के लिए अपने प्रयास जारी रखे हुए हैं.

ये पढ़ें- जुनून को जिंदगी बनाकर सफलता हासिल करने का नाम है दिव्या गोकुलनाथ

जब संजू से सवाल किया गया कि उनका फैमिली बैकग्राउंड क्या उन्हें गोल्फ खेल में आने के लिए प्रेरणा देता था या फिर उनके सामने इसको लेकर चुनौतियां थी? इसको लेकर संजू ने कहा कि उनका फैमिली बैकग्राउंड ऐसा नहीं था कि वे इस खेल में आगे बढ़ पाए. उनके घरवाले चाहते थे कि वह कोई और काम करें. जिससे उनकी जीविका चलती रहे, लेकिन उनके मन में गोल्फर बनने की तमन्ना थी, और वे इसी दिशा में आगे काम करते रहे. उनको चंडीगढ़ प्रेस क्लब के कुछ लोगों का साथ मिला और साथ ही उन्हें स्पॉन्सर भी मिले. जिसके बाद में इस खेल में आगे बढ़ते चले जा रहे हैं.

golfer-sanju-success-from-struggling-caddie
सीनियर्स का सहयोग और साथ से तो संजू ने गोल्फ में हासिल किए कई मुकाम

संजू ने कहा कि घर पर उनके माता-पिता के साथ-साथ उनके तीन भाई और एक बहन हैं. परिवार की ऐसी स्थिति नहीं थी कि वे उन्हें गोल्फ जैसे खेल को खेलने के लिए प्रेरित कर पाते, लेकिन उनका खुद का जज्बा था और लोगों का जो उन्हें सहयोग मिला उससे वे आज इस मुकाम तक पहुंच पाए हैं. उनकी परिवारिक परिस्थिति ऐसी नहीं थी कि वे एक प्रोफेशनल गोल्फर बन पाते, लेकिन उनके मन में इस खेल को खेलने की भावना थी और वे इसी को लेकर आगे चल रहे हैं.

ये पढे़ं- किसान की बेटी की सफलता, राज्यपाल ने 20 स्वर्ण पदक से नवाजा

संजू आने वाले बड़े गोल्फ के टूर्नामेंट को अपना लक्ष्य बना रहे हैं. उसी के लिए ही वे लगातार प्रैक्टिस कर रहे हैं. उसके लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं. ताकि मैं उन खेलों में जाकर शानदार तरीके से परफॉर्म कर पाऊं. इसके साथ ही उनको आगे बढ़ने के लिए चंडीगढ़ गोल्फ क्लब के पदाधिकारियों के साथ साथ उनके स्पॉन्सर भी प्रेरित करते रहते हैं. उनका सहयोग उन्हें लगातार मिल रहा है.

संजू की अभी तक की बड़ी उपलब्धियां: 2019 में हुए एमेच्योर चैंपियनशिप में दूसरा स्थान हासिल किया. 2018 में सीजीसी चंडीगढ़ में पहला स्थान हासिल किया. साल 2018 में फॉरेस्ट हिल्स गोल्फ समरवीर कप में वे रनर अप रहे. 2017 में पंजाब जूनियर गोल्फ चैलेंज चैंपियनशिप में विजेता रहे. साल 2017 में ही लखनऊ में हुई जूनियर गोल्फ चैलेंज चैंपियनशिप में भी उपविजेता रहे. साल 2017 में समर जूनियर क्लासिक गोल्फ चैंपियनशिप में विजेता रहे. इन्विटेशनल जूनियर गोल्फ चैंपियनशिप में 2017 में विजेता बने. साल 2017 में ही इंडिपेंडेंट जूनियर गोल्फ चैंपियनशिप में भी विजेता बने. सीजीसी जूनियर गोल्फ चैंपियनशिप 2014-15 में भी तीन बार विजेता रहे.

संजू सुबह गोल्फ ग्राउंड में आ जाते हैं, और 18 होल की गेम खेलते हैं. जिसके बाद थोड़ा आराम करते हैं. शाम में फिर से ग्राउंड में आकर प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं. इस दौरान उनके मैच भी चलते रहते हैं और प्रैक्टिस भी. वह इस खेल में आगे बढ़ने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं.

golfer-sanju-success-from-struggling-caddie
कड़ी मेहनत से चंडीगढ़ के गोल्फर संजू ने अपने सपने कर दिखाए सच

पिता करते हैं प्राइवेट नौकरी: संजू कहते हैं कि उनके पिताजी सेक्टर 17 में प्राइवेट नौकरी करते हैं और उनकी माताजी एक हाउसवाइफ के तौर पर घर पर काम करती हैं. जहां तक उनके भाई बहनों का सवाल है तो वे सभी अभी पढ़ाई कर रहे हैं. संजू घर में उन सब में बड़े हैं. वे कहते हैं कि शुरुआत में तो माता-पिता को भी लगता था कि मैं यह क्या कर रहा हूं, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें भी समझ आने लगा कि मैं सही दिशा में आगे बढ़ रहा हूं. अब उनका भी सहयोग उनको पूरा मिल रहा है और उन्हें मेरी उपलब्धियों को देखकर खुशी भी मिलती है.

ये पढे़ं- नौकरी छोड़ शुरू किया चॉकलेट का व्यवसाय, जानें कैसे मिली सफलता

संजू से जब पूछा गया कि वह अभी तक अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या मानते हैं? उन्होंने कहा कि 2019 में एमेच्योर गोल्फ टूर्नामेंट खेला था. इस टूर्नामेंट में पहले 2 दिन काफी पिछड़ गए थे, लेकिन आखरी दिन उन्होंने खेल का रुख बदलते हुए नंबर दो का स्थान हासिल कर लिया. उसके बाद कोविड-19 की वजह से गोल्फ के टूर्नामेंट नहीं हो पाए. प्रैक्टिस करने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. लेकिन अब धीरे-धीरे चीजें बदल रही है. उम्मीद है गोल्फ उन्हें जिंदगी में काफी आगे तक लेकर जाएगा.

ये पढे़ें- नेताजी बोस : आज भी मिलती है उनकी जिंदगी से प्रेरणा

चंडीगढ़: गोल्फ के खेल को अक्सर लोग अमीरों को शौक से जोड़कर देखते हैं. इस खेल को सभी अमीरों का खेल ही मानते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. अगर आपकी चाह है और जज़्बा है तो उसके लिए आपको जरूरत है तो सिर्फ कड़ी मेहनत करने की. लक्ष्य को निर्धारित कर आगे बढ़ने की. कुछ ऐसा ही करके दिखाया चंडीगढ़ के संजू ने जो एक कैडी (गोल्फर का सामान उठाने वाला सहायक) का काम करते थे, लेकिन मन में चाहत थी गोल्फर बनने की तो बस उन्होंने उस ओर कदम बढ़ा दिया.

ईटीवी भारत ने संजू से उनके इस सफर को लेकर खास बातचीत की. संजू कहते हैं कि वे गोल्फ के इस ग्राउंड में ही कैडी के तौर पर काम करते थे. उनको इस खेल में आगे बढ़ने के लिए गोल्फ क्लब के कुछ पदाधिकारियों का सहयोग मिला. और उन्हीं के सहयोग के दम पर वह आज एक प्रोफेशनल गोल्फर बन गए हैं. वे कहते हैं कि जिस ग्राउंड में आप एक कैडी के तौर पर काम करते रहे हो. वहां सब के साथ आज एक प्रोफेशनल गोल्फर की तरह खेलना उन्हें अच्छा लगता है.

हैसियत से आगे बढ़कर संजू बना प्रोफेशनल गोल्फर

जब संजू से पूछा गया कि कैडी के तौर पर यहां कितने साल काम किया? उन्होंने कहा कि उन्होंने यहां पर 2 साल कैडी के तौर पर काम किया. 6 साल से वे एक गोल्फर की भूमिका निभा रहे हैं. वे कहते हैं कि उन्होंने जमशेदपुर, कोयंबटूर जैसे शहरों में प्रोफेशनल मैच खेले हैं. जूनियर खेलों में वे नंबर वन गोल्फर रहे हैं. एमेच्योर में भी दूसरे नंबर पर रहे हैं. इसके साथ ही और आगे बढ़ने के लिए अपने प्रयास जारी रखे हुए हैं.

ये पढ़ें- जुनून को जिंदगी बनाकर सफलता हासिल करने का नाम है दिव्या गोकुलनाथ

जब संजू से सवाल किया गया कि उनका फैमिली बैकग्राउंड क्या उन्हें गोल्फ खेल में आने के लिए प्रेरणा देता था या फिर उनके सामने इसको लेकर चुनौतियां थी? इसको लेकर संजू ने कहा कि उनका फैमिली बैकग्राउंड ऐसा नहीं था कि वे इस खेल में आगे बढ़ पाए. उनके घरवाले चाहते थे कि वह कोई और काम करें. जिससे उनकी जीविका चलती रहे, लेकिन उनके मन में गोल्फर बनने की तमन्ना थी, और वे इसी दिशा में आगे काम करते रहे. उनको चंडीगढ़ प्रेस क्लब के कुछ लोगों का साथ मिला और साथ ही उन्हें स्पॉन्सर भी मिले. जिसके बाद में इस खेल में आगे बढ़ते चले जा रहे हैं.

golfer-sanju-success-from-struggling-caddie
सीनियर्स का सहयोग और साथ से तो संजू ने गोल्फ में हासिल किए कई मुकाम

संजू ने कहा कि घर पर उनके माता-पिता के साथ-साथ उनके तीन भाई और एक बहन हैं. परिवार की ऐसी स्थिति नहीं थी कि वे उन्हें गोल्फ जैसे खेल को खेलने के लिए प्रेरित कर पाते, लेकिन उनका खुद का जज्बा था और लोगों का जो उन्हें सहयोग मिला उससे वे आज इस मुकाम तक पहुंच पाए हैं. उनकी परिवारिक परिस्थिति ऐसी नहीं थी कि वे एक प्रोफेशनल गोल्फर बन पाते, लेकिन उनके मन में इस खेल को खेलने की भावना थी और वे इसी को लेकर आगे चल रहे हैं.

ये पढे़ं- किसान की बेटी की सफलता, राज्यपाल ने 20 स्वर्ण पदक से नवाजा

संजू आने वाले बड़े गोल्फ के टूर्नामेंट को अपना लक्ष्य बना रहे हैं. उसी के लिए ही वे लगातार प्रैक्टिस कर रहे हैं. उसके लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं. ताकि मैं उन खेलों में जाकर शानदार तरीके से परफॉर्म कर पाऊं. इसके साथ ही उनको आगे बढ़ने के लिए चंडीगढ़ गोल्फ क्लब के पदाधिकारियों के साथ साथ उनके स्पॉन्सर भी प्रेरित करते रहते हैं. उनका सहयोग उन्हें लगातार मिल रहा है.

संजू की अभी तक की बड़ी उपलब्धियां: 2019 में हुए एमेच्योर चैंपियनशिप में दूसरा स्थान हासिल किया. 2018 में सीजीसी चंडीगढ़ में पहला स्थान हासिल किया. साल 2018 में फॉरेस्ट हिल्स गोल्फ समरवीर कप में वे रनर अप रहे. 2017 में पंजाब जूनियर गोल्फ चैलेंज चैंपियनशिप में विजेता रहे. साल 2017 में ही लखनऊ में हुई जूनियर गोल्फ चैलेंज चैंपियनशिप में भी उपविजेता रहे. साल 2017 में समर जूनियर क्लासिक गोल्फ चैंपियनशिप में विजेता रहे. इन्विटेशनल जूनियर गोल्फ चैंपियनशिप में 2017 में विजेता बने. साल 2017 में ही इंडिपेंडेंट जूनियर गोल्फ चैंपियनशिप में भी विजेता बने. सीजीसी जूनियर गोल्फ चैंपियनशिप 2014-15 में भी तीन बार विजेता रहे.

संजू सुबह गोल्फ ग्राउंड में आ जाते हैं, और 18 होल की गेम खेलते हैं. जिसके बाद थोड़ा आराम करते हैं. शाम में फिर से ग्राउंड में आकर प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं. इस दौरान उनके मैच भी चलते रहते हैं और प्रैक्टिस भी. वह इस खेल में आगे बढ़ने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं.

golfer-sanju-success-from-struggling-caddie
कड़ी मेहनत से चंडीगढ़ के गोल्फर संजू ने अपने सपने कर दिखाए सच

पिता करते हैं प्राइवेट नौकरी: संजू कहते हैं कि उनके पिताजी सेक्टर 17 में प्राइवेट नौकरी करते हैं और उनकी माताजी एक हाउसवाइफ के तौर पर घर पर काम करती हैं. जहां तक उनके भाई बहनों का सवाल है तो वे सभी अभी पढ़ाई कर रहे हैं. संजू घर में उन सब में बड़े हैं. वे कहते हैं कि शुरुआत में तो माता-पिता को भी लगता था कि मैं यह क्या कर रहा हूं, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें भी समझ आने लगा कि मैं सही दिशा में आगे बढ़ रहा हूं. अब उनका भी सहयोग उनको पूरा मिल रहा है और उन्हें मेरी उपलब्धियों को देखकर खुशी भी मिलती है.

ये पढे़ं- नौकरी छोड़ शुरू किया चॉकलेट का व्यवसाय, जानें कैसे मिली सफलता

संजू से जब पूछा गया कि वह अभी तक अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या मानते हैं? उन्होंने कहा कि 2019 में एमेच्योर गोल्फ टूर्नामेंट खेला था. इस टूर्नामेंट में पहले 2 दिन काफी पिछड़ गए थे, लेकिन आखरी दिन उन्होंने खेल का रुख बदलते हुए नंबर दो का स्थान हासिल कर लिया. उसके बाद कोविड-19 की वजह से गोल्फ के टूर्नामेंट नहीं हो पाए. प्रैक्टिस करने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. लेकिन अब धीरे-धीरे चीजें बदल रही है. उम्मीद है गोल्फ उन्हें जिंदगी में काफी आगे तक लेकर जाएगा.

ये पढे़ें- नेताजी बोस : आज भी मिलती है उनकी जिंदगी से प्रेरणा

Last Updated : Oct 30, 2021, 6:00 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.