चंडीगढ़: हरियाणा में कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए हरियाणा सरकार ने तमाम तरह के प्रयास किए हैं, जैसे लॉकडाउन लगाया गया, टेस्टिंग की गई, ऑक्सीजन प्लांट लगाए आदि. कोरोना की दूसरी लहर काफी हद तक जानलेवा साबित हुई है.
फिलहाल कोरोना के मामलों में आई गिरावट के बाद सरकार ने कुछ हद तक राहत की सांस जरूर ली है. मगर इसी बीच तीसरी लहर की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक हो सकती है. वहीं तीसरी लहर की चेतावनी को लेकर हरियाणा सरकार अपने स्तर पर तैयार होने का दम भर रही है.
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हालांकि व्यवस्थाओं की बात की जाए तो तीसरी लहर को लेकर कोई बड़ी तैयारी की गई है, ऐसा बिल्कुल भी नजर नहीं आता है. जो आंकड़े निकलकर सामने आए हैं वे बेहद चौंकाने वाले हैं. प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में केवल 450 बेडस बच्चों के लिए रखे गए हैं. आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में अभी 58 लाख से ज्यादा बच्चे 16 साल से कम उम्र के हैं, और सरकारी अस्पतालों में बच्चों के डॉक्टर्स की संख्या केवल 92 है.
दूसरी लहर में हजारों बच्चे हुए थे संक्रमित
दूसरी लहर की बात की जाए तो हरियाणा में 5 साल से कम आयु वर्ग के कुल 6994 बच्चे 23 मई तक संक्रमित हुए. जिसमें से 16 की मौत हुई थी. मृत्यु दर 0.2 प्रतिशत रही थी. वहीं 23 मई तक 5 से 14 आयु वर्ग के कुल 33,051 संक्रमित हुए और 9 मौतों के मामले सामने आए. प्रदेश में 14 साल तक के अब तक 40 हजार से अधिक बच्चे संक्रमित हो चुके हैं.
हरियाणा के अस्पतालों में कुल बेड की बात की जाए तो-
- कोरोना बेड की संख्या 19,500 है
- आइसोलेशन के लिए 45,000 बेड हैं
- आईसीयू वेंटिलेटर बेड 5290 (प्राइवेट और मेडिकल कॉलेज)
- ऑक्सीजन बेड 13,990 (मेडिकल कॉलेज, सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में)
- ग्रामीण क्षेत्र में 1817 आइसोलेशन सेंटर बनाए गए हैं
- सरकारी अस्पतालों में बच्चों के लिए बेड- 450
कुल मिलाकर तीसरी लहर से निपटने की तैयारियों को लेकर सरकार की तरफ से जैसा दावा किया गया है वैसा नजर नहीं आ रहा. प्रदेश स्तर पर सरकारी सुविधाओं के आधार पर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर की संख्या बेहद कम है, बच्चों के लिए अस्पतालों में बेड की संख्या भी ज्यादा नहीं है. ऐसे में अब भी वक्त रहते अगर सरकार की नींद नहीं टूटी तो आने वाले समय में हालात बेहद भयावह हो सकते हैं.
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