चंडीगढ़: देशभर की राजनीतिक पार्टियां लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हैं. फिलहाल सभी पार्टियों का फोकस राजस्थान विधानसभा चुनाव पर है. हरियाणा बीजेपी भी हरियाणा और राजस्थान में अपने सियासी नफा नुकसान के हिसाब से काम कर रही है. हरियाणा और राजस्थान के बिश्नोई वोट बैंक को साधने के लिए बीजेपी हर संभव प्रयास करती दिखाई भी दे रही है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आदमपुर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक भव्य बिश्नोई की मंगेतर परी बिश्नोई को हरियाणा कैडर में नियुक्त होने की एनओसी को मंजूरी दे दी है.
राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक हरियाणा के सीएम ने ऐसा कर एक तीर से दो शिकार करने की कोशिश की है. एक तरफ मनोहर लाल ने हरियाणा के बिश्नोई समाज से किया वादा निभाकर उनका दिल जीता, तो दूसरी तरफ राजस्थान में बीजेपी को इसका सियासी फायदा मिल सकता है. क्योंकि हरियाणा ज्यादा बिश्नोई समाज का चुनावी असर राजस्थान में है. लिहाजा मनोहर लाल का ये मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है.
बिश्नोई समाज को साधने में जुटी बीजेपी: हरियाणा में बिश्नोई वोट बैंक को पक्का करने के लिए बीजेपी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. कुलदीप बिश्नोई के बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी ने आदमपुर विधानसभा उपचुनाव में उनके बेटे को टिकट दी. जिसके बाद भव्य बिश्नोई आदमपुर चुनावी अखाड़े में जीतकर हरियाणा विधानसभा पहुंचे. कुलदीप बिश्नोई को राजस्थान में पार्टी बड़ी जिम्मेदारी भी दे चुकी है. जिसको देखते हुए बीजेपी बिश्नोई वोट बैंक को साधने के लिए हर संभव कोशिश करती दिखाई देती है. भव्य बिश्नोई की मंगेतर को हरियाणा कैडर देकर सीएम मनोहर लाल ने एक तरफ बिश्नोई समाज से अपना वादा पूरा किया, दूसरी तरफ वोट बैंक भी मजबूत करने का काम किया.
हरियाणा में बिश्नोई समाज का कितना असर? हरियाणा में भले ही बिश्नोई वोट बैंक एक फीसदी के करीब हो, लेकिन पूर्व सीएम भजन लाल के परिवार की अपनी अलग पहचान है. उनकी विरासत को उनके बेटे चंद्रमोहन और कुलदीप बिश्नोई संभाल रहे हैं. चंद्रमोहन कांग्रेस के साथ हैं और कुलदीप बिश्नोई और उनके बेटे भव्य बिश्नोई बीजेपी के साथ हैं. वहीं बिश्नोई वोट बैंक का असर हरियाणा में हिसार और फतेहाबाद के आस पास के इलाकों में है, लेकिन हरियाणा के मुकाबले राजस्थान में बिश्नोई समाज का ज्यादा असर है.
कुलदीप बिश्नोई और राजस्थान विधानसभा चुनाव: कुलदीप बिश्नोई के बीजेपी में शामिल होने के बाद से ये चर्चा आम रही है कि, बीजेपी इसका फायदा राजस्थान विधानसभा चुनाव में उठाने की कोशिश करेगी. हुआ भी कुछ ऐसा ही. बीजेपी ने कुलदीप बिश्नोई को राजस्थान चुनाव का प्रभारी नियुक्त किया है. वहीं कुलदीप बिश्नोई के राजस्थान से लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चाएं भी इस दिनों सियासी गलियारों में तेज हैं. कुलदीप बिश्नोई का राजस्थान के बिश्नोई समाज में भी बड़ा प्रभाव है, इसका फायदा भी बीजेपी राजस्थान के चुनाव में जरूर उठाना चाहेगी.
राजस्थान में बिश्नोई वोट बैंक और असर: हरियाणा से ज्यादा बिश्नोई समाज का चुनावी असर राजस्थान में है. राजस्थान में बिश्नोई समाज के वोट बैंक का असर 6 से 7 जिलों में सीधे तौर पर देखने को मिलता है. राजस्थान में बिश्नोई वोट बैंक करीब 2 से 3 फीसदी के बीच है. ऐसे नहीं ये वोट बैंक कुछ सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाता है. इसी को देखते हुए भाजपा ने कुलदीप बिश्नोई को सह प्रभारी की जिम्मेदारी दी.
क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ: राजनीतिक मामलों के जानकार डॉक्टर सुरेंद्र धीमान ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि कुलदीप बिश्नोई और उनके परिवार का सियासी फायदा बीजेपी हरियाणा ही नहीं राजस्थान में भी उठाने की कोशिश करेगी. इसी को देखते हुए हरियाणा में जहां उनके बेटे को विधायक तौर पर खड़ा किया है. वहीं राजस्थान में कुलदीप बिश्नोई को सह प्रभारी बनाया गया है. हरियाणा में भले ही बिश्नोई समाज बड़ा वोट बैंक नहीं है, लेकिन इसका हिसार और फतेहाबाद के आसपास असर देखने को मिलता है.
राजस्थान में कई जिलों में बिश्नोई समाज का अपना बहुत बड़ा आधार है, ऐसे में इसका फायदा निश्चित तौर पर ही बीजेपी राजस्थान में उठाना चाहेगी. राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने कहा कि राजनीति में हर पार्टी सियासी समीकरण के आधार पर नेताओं को आगे बढ़ती है. कुलदीप बिश्नोई को भी बीजेपी में आने के बाद पार्टी ने राजस्थान में इसी को देखते हुए सह प्रभारी की जिम्मेदारी दी है. हरियाणा में तो इतना असर बिश्नोई समाज का नहीं है. लेकिन राजस्थान में इसका निश्चित तौर पर ही पार्टी फायदा उठाना चाहेगी क्योंकि वहां पर बिश्नोई समाज का वोट कई सीटों पर सीधा असर डालता है.