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चंडीगढ़: महावीर फोगाट के जीवन पर आधारित किताब अखाड़ा का हिन्दी रूपान्तरण प्रकाशित

चंडीगढ़ प्रेस क्लब में महावीर फोगाट के जीवन पर आधारित किताब अखाड़ा का हिन्दी रुपान्तरण लॉन्च किया गया. इस मौके पर इस किताब के लेखक खेल पत्रकार सौरभ दुग्गल भी मौजूद रहे.

महावीर फोगाट के जीवन पर आधारित किताब अखाड़ा का हिन्दी रूपान्तरण प्रकाशित
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Published : Sep 17, 2019, 11:35 PM IST

चंडीगढ़: चंडीगढ़ प्रेस क्लब में महावीर फोगाट के जीवन पर आधारित किताब अखाड़ा के हिंदी संस्करण को रिलीज किया गया. इस मौके पर महावीर फोगाट और उनकी बेटी पहलवान बबीता फोगाट मौजूद रहे. इस किताब को जाने-माने खेल पत्रकार सौरभ दुग्गल ने लिखा है. पहले यह किताब इंग्लिश में प्रकाशित की गई थी. जिसके हिन्दी रूपान्तरण का प्रकाशन अब किया गया. इस मौके पर इस किताब के लेखक सौरभ दुग्गल ने इस किताब को लिखने की अपनी यात्रा को सभी लोगों के साथ साझा किया.

उन्होंने बताया कि किस तरह वह साल 2008 में महावीर फोगाट से मिले और किस तरह उनके मन में महावीर फोगाट के जीवन पर आधारित एक किताब लिखने का विचार आया. उस समय तक महावीर फोगाट की बेटियां गीता, बबीता, संगीता और विनेश कुश्ती कर रही थी. साल 2010 में गीता ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था. महावीर फोगाट की कुश्ती के प्रति निष्ठा और मेहनत को देखकर सौरभ दुग्गल ने उनकी जीवनी को सबके सामने लाने का फैसला किया और किताब लिखने की शुरुआत की. उन्होंने बताया कि हालांकि महावीर फोगाट के जीवन पर आमिर खान फिल्म दंगल बना चुके हैं. लेकिन इस किताब में महावीर फोगाट की जीवन की ऐसी बहुत सी घटनाओं को उतारा गया है. जो फिल्म में दिखाई नहीं जा सकी हैं.

महावीर फोगाट के जीवन पर आधारित किताब अखाड़ा का हिन्दी रूपान्तरण प्रकाशित

इस अवसर पर महावीर फोगाट ने बताया कि जब सौरभ दुग्गल उनसे किताब के बारे में बात करने आए तो उन्होंने सौरव से कहा कि मैं अपने जीवन की हर बात तुमसे सच सच सांझा करूंगा. तुम्हें सही और गलत का फैसला खुद करना है. महावीर फोगाट ने बताया कि वह देश के लिए स्वर्ण पदक चाहते थे, जितनी कुश्ती वह खुद लड़ सकते थे, उन्होंने लड़ी और इसके बाद उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण पदक के लिए अपनी बेटियों को कुश्ती के लिए तैयार कर रहा शुरू किया.

इस कार्यक्रम में पहलवान बबीता फोगाट भी मौजूद थी. उन्होंने कहा कि वह और उनकी बहनों ने हमेशा देश सेवा को ही सबसे पहले रखा है. बबीता ने कहा कि खेलों के बाद अब वह राजनीति में उतरना चाहती हैं. ताकि देश के लिए ज्यादा से ज्यादा काम कर सकें, उन्होंने कहा कि अगर उन्हें मौका मिलता है तो वे युवाओं, महिलाओं और खिलाड़ियों के लिए खास तौर पर काम करेंगी.

ये भी पढ़ें: आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की धमकी, छावनी में तब्दील हरियाणा के रेलवे स्टेशन

चंडीगढ़: चंडीगढ़ प्रेस क्लब में महावीर फोगाट के जीवन पर आधारित किताब अखाड़ा के हिंदी संस्करण को रिलीज किया गया. इस मौके पर महावीर फोगाट और उनकी बेटी पहलवान बबीता फोगाट मौजूद रहे. इस किताब को जाने-माने खेल पत्रकार सौरभ दुग्गल ने लिखा है. पहले यह किताब इंग्लिश में प्रकाशित की गई थी. जिसके हिन्दी रूपान्तरण का प्रकाशन अब किया गया. इस मौके पर इस किताब के लेखक सौरभ दुग्गल ने इस किताब को लिखने की अपनी यात्रा को सभी लोगों के साथ साझा किया.

उन्होंने बताया कि किस तरह वह साल 2008 में महावीर फोगाट से मिले और किस तरह उनके मन में महावीर फोगाट के जीवन पर आधारित एक किताब लिखने का विचार आया. उस समय तक महावीर फोगाट की बेटियां गीता, बबीता, संगीता और विनेश कुश्ती कर रही थी. साल 2010 में गीता ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था. महावीर फोगाट की कुश्ती के प्रति निष्ठा और मेहनत को देखकर सौरभ दुग्गल ने उनकी जीवनी को सबके सामने लाने का फैसला किया और किताब लिखने की शुरुआत की. उन्होंने बताया कि हालांकि महावीर फोगाट के जीवन पर आमिर खान फिल्म दंगल बना चुके हैं. लेकिन इस किताब में महावीर फोगाट की जीवन की ऐसी बहुत सी घटनाओं को उतारा गया है. जो फिल्म में दिखाई नहीं जा सकी हैं.

महावीर फोगाट के जीवन पर आधारित किताब अखाड़ा का हिन्दी रूपान्तरण प्रकाशित

इस अवसर पर महावीर फोगाट ने बताया कि जब सौरभ दुग्गल उनसे किताब के बारे में बात करने आए तो उन्होंने सौरव से कहा कि मैं अपने जीवन की हर बात तुमसे सच सच सांझा करूंगा. तुम्हें सही और गलत का फैसला खुद करना है. महावीर फोगाट ने बताया कि वह देश के लिए स्वर्ण पदक चाहते थे, जितनी कुश्ती वह खुद लड़ सकते थे, उन्होंने लड़ी और इसके बाद उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण पदक के लिए अपनी बेटियों को कुश्ती के लिए तैयार कर रहा शुरू किया.

इस कार्यक्रम में पहलवान बबीता फोगाट भी मौजूद थी. उन्होंने कहा कि वह और उनकी बहनों ने हमेशा देश सेवा को ही सबसे पहले रखा है. बबीता ने कहा कि खेलों के बाद अब वह राजनीति में उतरना चाहती हैं. ताकि देश के लिए ज्यादा से ज्यादा काम कर सकें, उन्होंने कहा कि अगर उन्हें मौका मिलता है तो वे युवाओं, महिलाओं और खिलाड़ियों के लिए खास तौर पर काम करेंगी.

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Intro:मंगलवार को महावीर फोगाट और उनकी बेटी पहलवान बबीता फोगाट चंडीगढ़ में थे यहां चंडीगढ़ प्रेस क्लब में महावीर फोगाट के जीवन पर आधारित किताब अखाड़ा के हिंदी संस्करण को रिलीज किया गया इस किताब को जाने-माने खेल पत्रकार सौरभ दुग्गल ने लिखा है। पहले यह किताब इंग्लिश में प्रकाशित की गई थी और अब इसे हिंदी में प्रकाशित किया गया है।
Body:इस मौके पर इस किताब के लेखक सौरभ दुग्गल ने इस किताब को लिखने की अपनी यात्रा को सभी लोगों के साथ साझा किया।
उन्होंने बताया कि किस तरह साल 2008 में महावीर फोगाट से मिले और किस तरह उनके मन में महावीर फोगाट के जीवन पर आधारित एक किताब लिखने का विचार आया ।उस समय तक महावीर फोगाट की बेटियां गीता बबीता संगीता और विनेश कुश्ती कर रही थी। गीता कई प्रतियोगिताओं में मेडल प्राप्त कर चुकी थी मगर बाकी तीन बहने उस समय काफी छोटी थी। साल 2010 में गीता ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था। महावीर फोगाट की कुश्ती के प्रति निष्ठा और मेहनत को देखकर सौरभ दुग्गल ने उनकी जीवनी को सबके सामने लाने का फैसला किया और यह किताब लिखने की शुरुआत की।
उन्होंने बताया कि हालांकि महावीर फोगाट के जीवन पर आधारित आमिर खान फिल्म दंगल बना चुके हैं। लेकिन इस किताब में महावीर फोगाट की जीवन ऐसी बहुत सी घटनाओं को उतारा गया है जो फिल्म में दिखाई नहीं जा सकी।

इस अवसर पर महावीर फोगाट ने बताया कि जब सौरभ दुग्गल उनसे किताब के बारे में बात करने आए तो उन्होंने सौरव से कहा कि मैं अपने जीवन की हर बात तुमसे सच सच सांझा करूंगा तुम्हें सही और गलत का फैसला खुद करना है। महावीर फोगाट ने बताया कि वह देश के लिए स्वर्ण पदक चाहते थे जितनी कुश्ती व खुद लड़ सकते थे उन्होंने लड़ी और इसके बाद उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण पदक के लिए अपनी बेटियों को कुश्ती के लिए तैयार कर रहा शुरू किया। उनकी बेटियों ने भी इसके लिए खूब मेहनत की और देश के लिए स्वर्ण पदक जीतकर ही लाई।
इस कार्यक्रम में पहलवान बबीता फोगाट भी मौजूद थी उन्होंने कहा कि वह और उनकी बहनों ने हमेशा देश सेवा को ही सबसे पहले रखा है देश के लिए खेलना और पदक जीतना भी देश सेवा ही है बबीता ने कहा कि खेलों के बाद अब वे राजनीति में उतरना चाहती हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा देश के लिए काम कर सकें उन्होंने कहा कि अगर उन्हें मौका मिलता है तो वे युवाओं महिलाओं और खिलाड़ियों के लिए खास तौर पर काम करेंगी।
स्पीच-
महावीर फोगाट
बबीता फोगाट

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