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HC से दुष्यंत चौटाला को बड़ी राहत, डिप्टी सीएम की शपथ दिलाने वाली याचिका खारिज

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Published : Nov 16, 2019, 4:08 PM IST

हरियाणा सरकार की तरफ से दुष्यंत चौटाला के डिप्टी सीएम बनाए जाने के खिलाफ दायर याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. हाई कोर्ट में दायर याचिका में डिप्टी सीएम की नियुक्ति संविधान के अनुसार नहीं होने का दावा किया गया था.

highcourt deputy cm matter

चंडीगढ़: जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला के डिप्टी सीएम पद को चुनौती देने वाली याचिका हाई कोर्ट ने रद्द कर दी है. पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने इस याचिका को कर दिया है.

डिप्टी सीएम पद के खिलाफ थी याचिका
मोहाली सेक्टर-59 निवासी वकील जगमोहन सिंह भट्टी की तरफ से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. जिसमें कहा गया था कि संविधान में उपमुख्यमंत्री पद का प्रावधान ही नहीं है. ऐसे में इस पद पर कोई नियुक्ति नहीं की जा सकती.

क्या था उस याचिका में?
याचिका में कहा गया था कि दो राजनीतिक दलों ने आपसी समझ के साथ सरकार बनाते हुए इस पद पर नियुक्ति पर सहमति बना ली, जबकि संविधान में इसका कोई उल्लेख नहीं है. केंद्र या राज्य सरकार ऐसी कोई नियुक्ति नहीं कर सकती. ऐसे में इस पद पर नियुक्ति को खारिज किया जाए और इस पद पर दिए जाने वाले सभी लाभ व भत्ते दिए जाने पर उन्हें रिकवर किया जाए.

1993 के हाई कोर्ट के फैसले की दलील

याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि आर्टिकल 164 में डिप्टी सीएम के पद का कोई विवरण नहीं है, याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से हरद्वारी लाल के 1993 के हाई कोर्ट के फैसले की दलील दी गई थी.

केस की जानकारी देते वकील दीपक बालियान

वहीं पिछली सुनवाई पर हाई कोर्ट ने कई फैसलों का रेफरेंस दिया था जिसपर राज्य सरकार की तरफ से इन सभी फैसलों को हाई कोर्ट के समक्ष रख गया. इनमें सुप्रीम कोर्ट के केएल शर्मा की जजमेंट, बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के साथ हाल ही में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को भी राज्य की तरफ से रखा गया. हाई कोर्ट ने सभी फैसलों को देखकर याचिका को खारिज कर दिया.

देवीलाल के उप प्रधानमंत्री पद के खिलाफ भी थी याचिका
बता दें कि चौधरी देवीलाल की उप प्रधानमंत्री की शपथ को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया था. तत्कालीन राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरमण दुष्यंत चौटाला के परदादा देवीलाल को शपथ दिला रहे थे. राष्ट्रपति शपथ दिलाते वक्त मंत्री पद बोले, लेकिन देवीलाल ने उपप्रधानमंत्री पद बोला.

ये भी पढ़ें- 400 साधुओं को नपुंसक बनाने का मामला, 18 दिसंबर को अगली सुनवाई

इस पर राष्ट्रपति ने दोबारा मंत्री पद बोला, लेकिन देवीलाल फिर दोबारा से उप प्रधानमंत्री ही बोले. शपथ तो हो गई, लेकिन उनका उप प्रधानमंत्री पद पर शपथ लेना सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज हो गया, क्योंकि संविधान में ये पद नहीं है. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उप प्रधानमंत्री भले ही वे बन गए, लेकिन उनके पास वास्तविक अधिकार केंद्रीय मंत्री जैसे रहेंगे.

चंडीगढ़: जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला के डिप्टी सीएम पद को चुनौती देने वाली याचिका हाई कोर्ट ने रद्द कर दी है. पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने इस याचिका को कर दिया है.

डिप्टी सीएम पद के खिलाफ थी याचिका
मोहाली सेक्टर-59 निवासी वकील जगमोहन सिंह भट्टी की तरफ से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. जिसमें कहा गया था कि संविधान में उपमुख्यमंत्री पद का प्रावधान ही नहीं है. ऐसे में इस पद पर कोई नियुक्ति नहीं की जा सकती.

क्या था उस याचिका में?
याचिका में कहा गया था कि दो राजनीतिक दलों ने आपसी समझ के साथ सरकार बनाते हुए इस पद पर नियुक्ति पर सहमति बना ली, जबकि संविधान में इसका कोई उल्लेख नहीं है. केंद्र या राज्य सरकार ऐसी कोई नियुक्ति नहीं कर सकती. ऐसे में इस पद पर नियुक्ति को खारिज किया जाए और इस पद पर दिए जाने वाले सभी लाभ व भत्ते दिए जाने पर उन्हें रिकवर किया जाए.

1993 के हाई कोर्ट के फैसले की दलील

याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि आर्टिकल 164 में डिप्टी सीएम के पद का कोई विवरण नहीं है, याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से हरद्वारी लाल के 1993 के हाई कोर्ट के फैसले की दलील दी गई थी.

केस की जानकारी देते वकील दीपक बालियान

वहीं पिछली सुनवाई पर हाई कोर्ट ने कई फैसलों का रेफरेंस दिया था जिसपर राज्य सरकार की तरफ से इन सभी फैसलों को हाई कोर्ट के समक्ष रख गया. इनमें सुप्रीम कोर्ट के केएल शर्मा की जजमेंट, बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के साथ हाल ही में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को भी राज्य की तरफ से रखा गया. हाई कोर्ट ने सभी फैसलों को देखकर याचिका को खारिज कर दिया.

देवीलाल के उप प्रधानमंत्री पद के खिलाफ भी थी याचिका
बता दें कि चौधरी देवीलाल की उप प्रधानमंत्री की शपथ को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया था. तत्कालीन राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरमण दुष्यंत चौटाला के परदादा देवीलाल को शपथ दिला रहे थे. राष्ट्रपति शपथ दिलाते वक्त मंत्री पद बोले, लेकिन देवीलाल ने उपप्रधानमंत्री पद बोला.

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इस पर राष्ट्रपति ने दोबारा मंत्री पद बोला, लेकिन देवीलाल फिर दोबारा से उप प्रधानमंत्री ही बोले. शपथ तो हो गई, लेकिन उनका उप प्रधानमंत्री पद पर शपथ लेना सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज हो गया, क्योंकि संविधान में ये पद नहीं है. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उप प्रधानमंत्री भले ही वे बन गए, लेकिन उनके पास वास्तविक अधिकार केंद्रीय मंत्री जैसे रहेंगे.

Intro:एंकर -
हरियाणा सरकार कि तरफ से दुष्यन्त चौटाला को डिप्टी सीएम बनाये जाने के खिलाफ दायर याचिका को हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया है । हाइकोर्ट में दायर याचिका में डिप्टी सीएम की नियुक्ति संविधान के अनुसार नही होने का दावा किया गया था । हाइकोर्ट की तरफ से इस मामले में कोई नोटिस हरियाणा सरकार को नही भेजा था इसके बावजूद हरियाणा सरकार ने हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के 5 फैसलों का हवाला दिया जिन्हें कोर्ट ने सही माना और याचिका को खारिज कर दिया ।


Body:वीओ -
हाइकोर्ट में हुई सुनवाई की जनकारी देते हुए एडिशनल एडवोकेट जरनल दीपक बाल्याण ने बताया कि याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि आर्टिकल 164 में डिप्टी सीएम के पद का कोई विवरण नही है । याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से हरद्वारी लाल के 1993 के हाइकोर्ट के फैसले की दलील दी गई थी ।
वहीं पिछली सुनवाई पर हाइकोर्ट ने कई फैसलों का रेफरेंस दिया था जिसपर स्टेट गवर्नमेंट की तरफ से इन सभी फैसलों को हाइकोर्ट के समक्ष रख गया । इनमे सुप्रीम कोर्ट के केएल शर्मा की जजमेंट , बॉम्बे हाइकोर्ट के फैसले के साथ हाल ही में कर्नाटका हाइकोर्ट के फैसले को भी स्टेट कि तरफ से रखा गया । हाइकोर्ट ने सभी फैसलों को देखकर याचिका को खारिज कर दिया ।
बाइट - दीपक बाल्याण , एएजी हरियाणा


Conclusion:गौरतलब है कि याचिकाकर्ता वकील जगमोहन भट्टी की तरफ से सविधान के आर्टिकल 164,1 का हवाला दिया गया था जिसे हाइकोर्ट में पड़ा भी गया । हालांकि हाइकोर्ट में याचिककर्ता की दलीलों के दूसरी तरफ अलग - अलग हाइकोर्ट में इस तरह के मामलों को चुनोती देने की जजमेंट्स को भी रखा गया जिसको देखते हुए कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी ।
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