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हरियाणा का चंडीगढ़ में नई विधानसभा बनने से ना घटेगा ना बढ़ेगा किसी का वर्चस्व- स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता

पंजाब के तमाम राजनीतिक दल हरियाणा के नए विधानसभा भवन के निर्माण के लिए चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा दी जाने वाली जमीन पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं, और अगर हरियाणा को जमीन दी जाती है तो इसके खिलाफ विरोध करने की बात कह रहे हैं

Haryana Vidhan Sabha
पंजाब के तमाम राजनीतिक दल हरियाणा के नए विधानसभा भवन के निर्माण के लिए चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा दी जाने वाली जमीन पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं, और अगर हरियाणा को जमीन दी जाती है तो इसके खिलाफ विरोध करने की बात कह रहे हैं
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Published : Nov 26, 2022, 1:50 PM IST

Updated : Nov 26, 2022, 2:34 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा के नए भवन के निर्माण (Haryana Vidhansabha New building Construction) को लेकर पंजाब के राजनीतिक दल एक सुर में विरोध करते नजर आ रहे हैं. हरियाणा चंडीगढ़ में नए विधानसभा का निर्माण करना चाह रहा है. इसके लिए वह चंडीगढ़ प्रशासन को जमीन के बदले जमीन देने की तैयारी में है लेकिन इस सब के बीच पंजाब के तमाम राजनीतिक दल हरियाणा के नए विधानसभा भवन के निर्माण के लिए चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा दी जाने वाली जमीन पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं, और अगर हरियाणा को जमीन दी जाती है तो इसके खिलाफ विरोध करने की बात कह रहे हैं.


हरियाणा विधानसभा (Haryana Vidhan Sabha) के नए भवन के निर्माण और आने वाले शीतकालीन सत्र को लेकर हरियाणा विधानसभा की क्या तैयारी है। इन सभी तमाम विषयों को लेकर ईटीवी भारत ने हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने पंजाब के राजनीतिक दलों के विरोध को राजनीति से प्रेरित बताया तो वही हरियाणा विधानसभा का सत्र दिसंबर के तीसरे सप्ताह में होने की उम्मीद जताई.

स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता

ये भी पढ़ें- 'जल्द बनेगा हरियाणा का अलग विधानसभा सदन, पंजाब यूनिवर्सिटी में भी मिलेगी हिस्सेदारी'


पंजाब के तमाम सियासी दलों द्वारा हरियाणा विधानसभा के नए भवन (New building of Haryana Vidhansabha) के निर्माण को दी जाने वाली जमीन को लेकर जताए जा रहे विरोध पर हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि मुझे लगता है कि उन्हें शायद वास्तविकता की जानकारी नहीं है, इसलिए वे विरोध जता रहे हैं. उनका कहना है कि लोकतंत्र में जो हमारी संवैधानिक संस्थाएं हैं उनका मजबूत होना जरूरी है. वे कहते हैं कि अगर संविधानिक संस्थाओं के लिए जो सुविधाएं और आवश्यकताएं हैं वह नहीं मिल पाएंगी से तो उससे हमारा लोकतंत्र मजबूत नहीं हो पाएगा.



वे कहते हैं कि मैं पंजाब के तमाम राजनीतिक दलों से सवाल करना चाहूंगा कि जो हमारा 60 और 40 फीसदी का समझौता हुआ था और जिसमें से अभी तक हरियाणा को सिर्फ 27 फ़ीसदी ही मिल पाया है. 13 प्रतिशत अभी भी नहीं मिला है उसके लिए वे आवाज क्यों नहीं उठाते हैं. कहां तो उन्हें यह चाहिए था कि वह हमारे जो 13 फीसदी का हिस्सा है उसे दिलाने के लिए आवाज उठाते. हरियाणा को उसका हक दिलाने के लिए आगे आते लेकिन उसके बारे में भी कोई बात नहीं करते हैं.



उनका कहना है कि आज विधानसभा की जो स्थिति है उसके हिसाब से हमारी विधायकों संख्या अभी 90 है. जब हरियाणा विधानसभा वह बना था, उस समय विधायकों की संख्या 54 थी. वे कहते हैं कि 4 साल बाद जो परिसीमन होने वाला है उसके बाद यह संख्या करीब 125 तक हो जाएगी. वे कहते हैं कि विधानसभा का जो सदन का वर्तमान हॉल है उसमें 90 सीटों के इलावा दो अतिरिक्त सीटें लगाना भी मुश्किल है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा-पंजाब विधानसभा बंटवारे का मुद्दा फिर गरमाया, अब सीएम ने केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखकर की ये मांग

वे कहते हैं कि जब 2026 में यह संख्या 125 हो जाएगी, और 35 नए विधायक सदन में आएंगे. उनके बारे में हम आज नहीं सोचेंगे तो फिर कब सोचेंगे. इसलिए हालात को देखते हुए हमें नई जगह मिलनी चाहिए. वहीं हरियाणा को मिलने वाली जमीन को लेकर शिरोमणि अकाली दल ने 2 सदस्य कमेटी बनाई है जो इस मामले की कानूनी समीक्षा करेगी. इसको लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि यह बातें सब राजनीतिक फायदा उठाने के लिए की जा रही हैं, और इस मामले को राजनीतिक चश्मे से देखने की कोशिश हो रही है.

वे कहते हैं कि चंडीगढ़ में आज कोई पहली बार सुनी नहीं मांगी गई है इससे पहले भी पंजाब को जब सचिवालय के लिए जगह चाहिए थी उन्होंने मिनी सचिवालय बनाया और हरियाणा को जब जरूरत थी तो हरियाणा ने भी मिनी सचिवालय बनाया. आज हरियाणा को नए विधानसभा भवन की जरूरत महसूस हो रही है तो हमने इसलिए यह जमीन मांगी है. वे कहते हैं कि इससे किसी का वर्चस्व बढ़ जाएगा या घट जाएगा मुझे ऐसा नहीं लगता है. वे कहते हैं कि चंडीगढ़ यूनियन टेरिटरी है और जमीन देना ना देना का फैसला उनका है.

वही शीतकालीन सत्र की तैयारियों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि शीतकालीन सत्र की तारीख का अंतिम फैसला तो हरियाणा मंत्रिमंडल को करना है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि दिसंबर के तीसरे सप्ताह तक हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र होगा. उनका कहना है कि उन्होंने शीतकालीन विधानसभा सत्र के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली है.

उनका कहना है क्योंकि विधानसभा को अब ई विधानसभा (E Vidhan Sabha) कर दिया गया है ऐसे में विधायकों को काम करने में किसी तरह की कोई परेशानी ना हो उसके लिए भी प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा और युवा प्रशिक्षण शिविर 5 दिसंबर को होगा. उनका कहना है कि हरियाणा विधानसभा देश की ऐसी विधानसभा है जहां पर 50 फ़ीसदी विधायक नए चुनकर आए हैं. ऐसे में उनका प्रशिक्षण होना जरूरी है. चाहे फिर वह विधानसभा की कार्यवाही को लेकर हो बजट को लेकर हो या फिर अन्य सदन की कार्रवाई को लेकर हो.

ये भी पढ़ें- हरियाणा विधानसभा के नए भवन पर राजनीति कर रहे पंजाब के सियासी दलों पर हरियाणा का पलटवार

चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा के नए भवन के निर्माण (Haryana Vidhansabha New building Construction) को लेकर पंजाब के राजनीतिक दल एक सुर में विरोध करते नजर आ रहे हैं. हरियाणा चंडीगढ़ में नए विधानसभा का निर्माण करना चाह रहा है. इसके लिए वह चंडीगढ़ प्रशासन को जमीन के बदले जमीन देने की तैयारी में है लेकिन इस सब के बीच पंजाब के तमाम राजनीतिक दल हरियाणा के नए विधानसभा भवन के निर्माण के लिए चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा दी जाने वाली जमीन पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं, और अगर हरियाणा को जमीन दी जाती है तो इसके खिलाफ विरोध करने की बात कह रहे हैं.


हरियाणा विधानसभा (Haryana Vidhan Sabha) के नए भवन के निर्माण और आने वाले शीतकालीन सत्र को लेकर हरियाणा विधानसभा की क्या तैयारी है। इन सभी तमाम विषयों को लेकर ईटीवी भारत ने हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने पंजाब के राजनीतिक दलों के विरोध को राजनीति से प्रेरित बताया तो वही हरियाणा विधानसभा का सत्र दिसंबर के तीसरे सप्ताह में होने की उम्मीद जताई.

स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता

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पंजाब के तमाम सियासी दलों द्वारा हरियाणा विधानसभा के नए भवन (New building of Haryana Vidhansabha) के निर्माण को दी जाने वाली जमीन को लेकर जताए जा रहे विरोध पर हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि मुझे लगता है कि उन्हें शायद वास्तविकता की जानकारी नहीं है, इसलिए वे विरोध जता रहे हैं. उनका कहना है कि लोकतंत्र में जो हमारी संवैधानिक संस्थाएं हैं उनका मजबूत होना जरूरी है. वे कहते हैं कि अगर संविधानिक संस्थाओं के लिए जो सुविधाएं और आवश्यकताएं हैं वह नहीं मिल पाएंगी से तो उससे हमारा लोकतंत्र मजबूत नहीं हो पाएगा.



वे कहते हैं कि मैं पंजाब के तमाम राजनीतिक दलों से सवाल करना चाहूंगा कि जो हमारा 60 और 40 फीसदी का समझौता हुआ था और जिसमें से अभी तक हरियाणा को सिर्फ 27 फ़ीसदी ही मिल पाया है. 13 प्रतिशत अभी भी नहीं मिला है उसके लिए वे आवाज क्यों नहीं उठाते हैं. कहां तो उन्हें यह चाहिए था कि वह हमारे जो 13 फीसदी का हिस्सा है उसे दिलाने के लिए आवाज उठाते. हरियाणा को उसका हक दिलाने के लिए आगे आते लेकिन उसके बारे में भी कोई बात नहीं करते हैं.



उनका कहना है कि आज विधानसभा की जो स्थिति है उसके हिसाब से हमारी विधायकों संख्या अभी 90 है. जब हरियाणा विधानसभा वह बना था, उस समय विधायकों की संख्या 54 थी. वे कहते हैं कि 4 साल बाद जो परिसीमन होने वाला है उसके बाद यह संख्या करीब 125 तक हो जाएगी. वे कहते हैं कि विधानसभा का जो सदन का वर्तमान हॉल है उसमें 90 सीटों के इलावा दो अतिरिक्त सीटें लगाना भी मुश्किल है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा-पंजाब विधानसभा बंटवारे का मुद्दा फिर गरमाया, अब सीएम ने केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखकर की ये मांग

वे कहते हैं कि जब 2026 में यह संख्या 125 हो जाएगी, और 35 नए विधायक सदन में आएंगे. उनके बारे में हम आज नहीं सोचेंगे तो फिर कब सोचेंगे. इसलिए हालात को देखते हुए हमें नई जगह मिलनी चाहिए. वहीं हरियाणा को मिलने वाली जमीन को लेकर शिरोमणि अकाली दल ने 2 सदस्य कमेटी बनाई है जो इस मामले की कानूनी समीक्षा करेगी. इसको लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि यह बातें सब राजनीतिक फायदा उठाने के लिए की जा रही हैं, और इस मामले को राजनीतिक चश्मे से देखने की कोशिश हो रही है.

वे कहते हैं कि चंडीगढ़ में आज कोई पहली बार सुनी नहीं मांगी गई है इससे पहले भी पंजाब को जब सचिवालय के लिए जगह चाहिए थी उन्होंने मिनी सचिवालय बनाया और हरियाणा को जब जरूरत थी तो हरियाणा ने भी मिनी सचिवालय बनाया. आज हरियाणा को नए विधानसभा भवन की जरूरत महसूस हो रही है तो हमने इसलिए यह जमीन मांगी है. वे कहते हैं कि इससे किसी का वर्चस्व बढ़ जाएगा या घट जाएगा मुझे ऐसा नहीं लगता है. वे कहते हैं कि चंडीगढ़ यूनियन टेरिटरी है और जमीन देना ना देना का फैसला उनका है.

वही शीतकालीन सत्र की तैयारियों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि शीतकालीन सत्र की तारीख का अंतिम फैसला तो हरियाणा मंत्रिमंडल को करना है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि दिसंबर के तीसरे सप्ताह तक हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र होगा. उनका कहना है कि उन्होंने शीतकालीन विधानसभा सत्र के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली है.

उनका कहना है क्योंकि विधानसभा को अब ई विधानसभा (E Vidhan Sabha) कर दिया गया है ऐसे में विधायकों को काम करने में किसी तरह की कोई परेशानी ना हो उसके लिए भी प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा और युवा प्रशिक्षण शिविर 5 दिसंबर को होगा. उनका कहना है कि हरियाणा विधानसभा देश की ऐसी विधानसभा है जहां पर 50 फ़ीसदी विधायक नए चुनकर आए हैं. ऐसे में उनका प्रशिक्षण होना जरूरी है. चाहे फिर वह विधानसभा की कार्यवाही को लेकर हो बजट को लेकर हो या फिर अन्य सदन की कार्रवाई को लेकर हो.

ये भी पढ़ें- हरियाणा विधानसभा के नए भवन पर राजनीति कर रहे पंजाब के सियासी दलों पर हरियाणा का पलटवार

Last Updated : Nov 26, 2022, 2:34 PM IST
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